मैं दिवालिया हो गया था: अनुपम खेर
कुआलालंपुर : बॉलीवुड के लोकप्रिय अभिनेता अनुपम खेर ने खुलासा करते हुए बताया कि भारत में एक खास पहचान बना चुका उनका एक्टिंग स्कूल ‘द एक्टिंग प्रीपेयर्स’ दरअसल 11 साल पहले उनके दिवालियापन का नतीजा था. अभिनय संस्थान के महत्व पर जोर देते हुए ‘सिल्वर लाइनिंग्स प्लेबुक’ स्टार ने मलेशिया सरकार से देश में ऐसा […]
कुआलालंपुर : बॉलीवुड के लोकप्रिय अभिनेता अनुपम खेर ने खुलासा करते हुए बताया कि भारत में एक खास पहचान बना चुका उनका एक्टिंग स्कूल ‘द एक्टिंग प्रीपेयर्स’ दरअसल 11 साल पहले उनके दिवालियापन का नतीजा था.
अभिनय संस्थान के महत्व पर जोर देते हुए ‘सिल्वर लाइनिंग्स प्लेबुक’ स्टार ने मलेशिया सरकार से देश में ऐसा ही एक अभिनय एक स्कूल खोलने की अपील की. आईफा 2015 के उद्घाटन सत्र ‘बिजनेस फोरम’ को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा,’ मैं फिल्म निर्माण के हर दूसरे पक्ष पर विफल हो चुका था और पूरी तरह से दिवालिया था. क्योंकि मेरे सपने हकीकत से कहीं उंचे थे.’
खेर ने आगे कहा,’ इसलिए, मैंने भविष्य के अभिनेता और अभिनेत्रियां तैयार करने के लिए एक छोटे से कमरे में 12 छात्रों के साथ अपना एक्टिंग स्कूल शुरु किया. मैं मलेशिया सरकार से भी अनुरोध करुंगा कि वह यहां एक एक्टिंग स्कूल खोले क्योंकि इससे एक पेशे के निर्माण में मदद मिलेगी.’
हिंदी फिल्म उद्योग में 31 साल पूरे कर चुके 60 वर्षीय खेर ने कहा कि उन्हें इस बात की खुशी है कि बॉलीवुड की फिल्मों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक पहचान बनाई है. उन्होंने कहा,’ हमारे सिनेमा ने पिछले 60 वर्ष में विकास किया है क्योंकि हमने लोगों को अपनी फिल्मों के जरिए खुश किया है. हमारी कहानियों का मुख्य उद्देश्य खुशी फैलाना है. हमारे सिनेमा का एक भावनात्मक जुडाव है.’
अभिनेता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भारतीय सिनेमा को लोकप्रिय बनाने का श्रेय दिया. उन्होंने कहा, ‘ भारत एक युवा देश है और मनोरंजन हमारी पिछली सरकारों की प्राथमिकता की सूची में सबसे अंतिम स्थान पर आता था. भारतीय सिनेमा का कारोबार किसी भी तरह से पीछे मुडकर नहीं देख रहा. मुझे मोदी जी में पूरा भरोसा है और उनकी कई यात्राओं के लिए मैं उनका शुक्रगुजार हूं कि लोग भारतीय सिनेमा को सम्मान की नजर से देखते हैं.’
खेर ने बॉलीवुड शब्द के इस्तेमाल की निंदा करते हुए कहा, ‘मुझे बॉलीवुड शब्द का इस्तेमाल करना पसंद नहीं है. हमने हॉलीवुड जैसा लगने वाला एक शब्द ले लिया. हमारा उद्योग हिंदी फिल्म उद्योग है और इसकी अवसंरचना और कॉरपोरेट्स के आगमन के चलते इसमें यह क्षमता है कि यह अगले 10 वर्ष में किसी भी अन्य उद्योग पर बढत हासिल कर सकता है.’