भारतीय टेलीविजन इंडस्ट्री में बदलाव की इबारत लिखनेवालों में एकता कपूर का नाम प्रमुखता से लिया जायेगा. टेलीविजन इंडस्ट्री के सबसे बड़े प्रोडक्शन हाउस की जननी एकता ने अपनी मेहनत से यह मुकाम हासिल किया है. सफलता की एक मिसाल बन चुकी एकता अपनी जिंदगी के 40 साल पूरे कर लिये हैं. इस मौके पर उनके जीवन और अब तक के सफर पर फैमिली की विशेष प्रस्तुति.
उन्हें शादी से नहीं, बल्कि शादी से जुड़े सवालों से परहेज है. अरे आप 40 की होने जा रही हैं, अब तक शादी नहीं की! ऐसी बातें सुन कर उनका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच जाता है. वह उन लोगों से बिंदास बातें करना पसंद करती हैं, जो उनके काम की बात करें, उनके काम की समीक्षा करें, न कि उन्हें नसीहतें दें कि लड़कियों को तो इस उम्र तक मां बन जाना चाहिए. ऐसे लोगों को उनका जवाब होता है, ‘बालाजी टेलीफिल्म्स उनका बच्चा है और वहां काम कर रहे प्रत्येक व्यक्ति की वह मां हैं.’
हां, उनकी बातों में हकीकत भी है. वह वाकई कई लोगों की अन्नपूर्णा मां तो हैं ही. आखिर बालाजी टेलीफिल्म्स बहुत से लोगों को रोजगार के साथ-साथ नयी ऊंचाइयां छूने के मौके भी दे रहा है. बात हो रही है एकता कपूर की, जो दिल से तो अब भी बच्ची हैं, लेकिन अपनी सृजनशीलता से उन्होंने लोगों को चौंकाया है. वह टेलीविजन इंडस्ट्री के सबसे बड़े प्रोडक्शन हाउस की जननी हैं.
एकता ने पिछले दो दशक में जो मुकाम हासिल किया है, वह सिर्फ और सिर्फ उनकी मेहनत का नतीजा है. यहां मेहनत को रेखांकित करना इसलिए आवश्यक है, क्योंकि एकता के बारे में एक धारणा है कि वह अभिनेता जितेंद्र की पुत्री हैं, तो उनके लिए यह सफलता आसान रही होगी. लेकिन, यह एकता की मेहनत है कि उन्हें आज लोग जितेंद्र की बेटी के रूप में नहीं, बल्कि जितेंद्र को एकता के पिता के रूप में जानते हैं.
एक पिता के लिए इससे अधिक गर्व की बात और क्या होगी. हालांकि अपने काम को लेकर सख्ती के चलते एकता की कई बार नकारात्मक छवि भी बनी है, पर हकीकत मेंवह यारों की यार हैं. महीने की पहली तारीख को अगर आप अंधेरी स्थित ‘बालाजी टेलीफिल्म्स’ के ऑफिस जायें, तो वहां आपको ऐसे बुजुर्ग मिलेंगे, जिन्हें उनके बच्चों ने घर से निकाल कर बेसहारा छोड़ दिया है. एकता उन्हें महीने की शुरुआत में कुछ पैसे देती हैं, ताकि उनका गुजारा हो सके. पिछले कई सालों से वह यह नेक काम कर रही हैं, पर एकता इसके बारे में किसी से बात करना पसंद नहीं करतीं, वह सिर्फ अपने काम की बात करती हैं.
एकता को लंबे ब्रेक लेना, छुट्टियों पर जाना पसंद नहीं है. वह साल भर में महज सात से आठ दिन छुट्टी पर जाती होंगी. ‘इतनी दौलत और शोहरत हासिल करने के बाद अब अगला कदम क्या?’ पूछने पर उनका जवाब होता है, ‘ मैं काम के बिना जिंदा नहीं रह सकती.’ एकता को दूर से देखनेवाले लोग उन्हें आग का गोला मानेंगे, लेकिन साथ काम करनेवाले एकता की दरियादिली के कायल हैं.
यह संभव है कि एकता ने स्वयं के लिए एक ऐसा कवच बना रखा है, ताकि कोई उन्हें हराने की जुर्रत न करे. एकता या तो काम करती हैं या फिर अपने परिवार और दोस्तों के साथ वक्त बिताती हैं. वह अपनी जिंदगी में परिवार और दोस्तों को बहुत अहमियत देती हैं. एकता बालाजी पर अटूट विश्वास इसलिए नहीं करतीं कि बालाजी उनके परिवार के कुल देवता हैं, बल्कि वह बचपन से अपने माता-पिता के साथ वहां जाती रही हैं और उन्हें लगता है कि बालाजी से उनका राबतां है.
वह पूजा के साथ अपने कर्म पर भी पूरा ध्यान देती हैं. परिवार को जब भी जरूरत हो, वह मौजूद होती हैं. मां की तबियत अगर खराब हो जाये, तो एकता पूरे दिन उनके साथ होती हैं. यह मां से उनके लगाव का ही नतीजा है कि वे अपने प्रत्येक शो में खुद से पहले औपचारिकता के लिए ही सही, पर शोभा कपूर का नाम शामिल करना नहीं भूलतीं.
एकता की सफलता का एक कारण यह भी है कि वह उन प्रतिभाओं को जरूर मौका देती हैं, जो मेहनती हैं. बस एकता को एक बार यकीन भर हो जाये कि इस बंदे में दम है. एकता दिखावे में या मीडिया पब्लिसिटी में भी यकीन नहीं रखतीं. फिल्मों को लेकर उनकी सोच बिल्कुल अलग है. उनके सोच में स्पष्ट है कि फिल्मों में वह बोल्ड रहेंगी, लेकिन टीवी धारावाहिक में नैतिक व पारिवारिक मूल्य उनके लिए हमेशा अहम होंगे.
एकता फिटनेस को बहुत तवज्जो देती हैं. वह स्पष्ट कहती हैं कि आप शरीर से फिट हैं, तभी आप दिमाग से भी फिट हैं और बेहतर सोच सकते हैं. जाहिर है कि एकता 40 के पार भी कामयाबी की नयी इबारत लिखती रहेंगी और लोगों को चौंकाती रहेंगी, क्योंकि चुनौतियों को गले लगाना और फिर उन्हें ठेंगा दिखा कर उन पर राज करना एकता को पसंद हैं. आखिर वह यों ही ‘क्वीन ऑफ टेलीविजन’ नहीं हैं.
एकता कपूर से विशेष बातचीत पर आधारित