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सेलीब्रिटी नहीं उत्‍पाद निर्माता कंपनी की जवाबदारी है : प्रियंका चोपड़ा

भोपाल : मैगी नूडल्स के ताजा विवाद के प्रकाश में मशहूर फिल्म अदाकारा प्रियंका चोपडा ने उत्पादों का विज्ञापन करने वाले बॉलीवुड कलाकारों का पक्ष लेते हुए कहा यह केवल उत्पाद निर्माता कंपनी की ही जवाबदारी है कि उसका उत्पाद लोगों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा हो. प्रियंका ने बॉलीवुड कलाकारों द्वारा जंक फूड उत्पादों […]

भोपाल : मैगी नूडल्स के ताजा विवाद के प्रकाश में मशहूर फिल्म अदाकारा प्रियंका चोपडा ने उत्पादों का विज्ञापन करने वाले बॉलीवुड कलाकारों का पक्ष लेते हुए कहा यह केवल उत्पाद निर्माता कंपनी की ही जवाबदारी है कि उसका उत्पाद लोगों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा हो.

प्रियंका ने बॉलीवुड कलाकारों द्वारा जंक फूड उत्पादों के विज्ञापनों से बच्चों पर पडने वाले असर और हाल ही में एक नूडल्स के ब्रांड पर उठे विवाद के बाद लगे प्रतिबंध के सवाल पर कहा,’ जब हम किसी उत्पाद के विज्ञापन के लिये किसी कंपनी से करार करते हैं तो उसमें उत्पाद की पूरी जानकारी दी जाती है. लेकिन यह उस कंपनी की जवाबदारी होती है कि जो जानकारी करार में दी गयी है वह पूरी तरह से सत्य और कानूनी तौर पर सही हो. इसमें कलाकारों को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि आखिरकार यह उत्पाद सरकार से लाइसेंस और अनुमति के बाद ही बाजार में ब्रिकी के लिए आते हैं.’

यूनिसेफ की गुडविल एंबेसेडर प्रियंका ने यहां किशोर आयु के बालकों और बालिकाओं में एनीमिया की रोकथाम की अहम जरुरत पर जोर डाला और कहा कि इसके कारण बडी तादाद में किशोर बालक बालिकाओं का पोषण और स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है.

बॉलीवुड कलाकारों द्वारा जंक फूड के विज्ञापन या किसी भी तरह से समर्थन करने पर उठे विवाद पर अभिनेत्री ने कहा,’ यदि मुझे पता होगा कि कोई उत्पाद खराब है तो मैं निश्चित तौर उसका प्रचार कभी नहीं करुंगी लेकिन यदि हमें (कलाकारों) इसकी जानकारी नहीं है तो इसके लिये हमें जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता.’

उन्होंने आगे कहा,’ आखिरकार सरकार की अनुमति मिलने के बाद ही इन उत्पादों का निर्माण होता है.’ उन्होंने लोगों को सलाह देते हुए कहा कि यदि इसके बाद भी लोगों को पता चलता है कि कोई उत्पाद खराब है तो लोगों को स्वयं ही उसका उपयोग बंद कर देना चाहिये.

प्रियंका ने एनीमिया को देश भर में किशोर उम्र के बालक बालिकाओं के पोषण और स्वास्थ्य की प्रमुख समस्या बताते हुए कहा कि प्रति सप्ताह आयरन फोलिक एसिड (आईएफए) की नीली गोली तथा प्रति छह माह में एक कृमिनाशक गोली लेना इस समस्या का सरल और व्यावहारिक समाधान है. उन्होंने कहा कि आज जरुरत है कि इस पीढी और आने वाली पीढियों पर दीर्घकालीन और सकारात्मक प्रभाव डालने वाले इन उपायों के प्रति जागरुकता बढाई जाए.

उन्होंने कहा कि 10 से 19 वर्ष की दुनिया की सर्वाधिक किशोर आयु की आबादी भारत में है. इस आयु समूह की भारत में आबादी का एक चौथाई हिस्सा है और यही भविष्य की भारतीय अर्थव्यवस्था और समाज के मुख्य संचालक हैं. हालांकि 15 से 19 वर्ष आयु समूह की 56 फीसद बालिकाएं और 30 प्रतिशत बालक एनीमिया से ग्रस्त हैं. इनमें से अधिकांश की उंचाई भी सामान्य से कम है.

उन्होंने कहा कि जागरुकता और पोषक आहार के इस्तेमाल से इस समस्या से प्रभावी ढंग से निपटा जा सकता है. इस अवसर पर यूनिसेफ इंडिया के प्रतिनिधि जेम्स गिटायू भी उपस्थित थे.

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