फिल्‍म रिव्‍यू : ”बाहुबली” ने मचाया बॉक्‍स ऑफिस पर धमाल

फिल्म : बाहुबली – द बिनिंग निर्माता : धर्मा प्रोडक्शन निर्देशक : एस एस राजमौली कलाकार : प्रभास, राणा डुग्गाबत्ती, तमन्ना भाटिया, अनुष्का शेट्टी, रमैया,सुदीप रेटिंग: तीन ।। उर्मिला कोरी ।। मुंबई : दक्षिण भारतीय फिल्में अपने अलग-अलग प्रयोगों की वजह से जानी जाती रही हैं. खासकर लार्जर दैन लाइफ सिनेमा को परिभाषित करने में […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 10, 2015 5:43 PM

फिल्म : बाहुबली – द बिनिंग

निर्माता : धर्मा प्रोडक्शन

निर्देशक : एस एस राजमौली

कलाकार : प्रभास, राणा डुग्गाबत्ती, तमन्ना भाटिया, अनुष्का शेट्टी, रमैया,सुदीप

रेटिंग: तीन

।। उर्मिला कोरी ।।

मुंबई : दक्षिण भारतीय फिल्में अपने अलग-अलग प्रयोगों की वजह से जानी जाती रही हैं. खासकर लार्जर दैन लाइफ सिनेमा को परिभाषित करने में उनका कोई सानी नहीं है. यही वजह है कि रोबोट, बॉम्बे, रोजा, मक्‍खी, शिवाजी, मगधीरा जैसी फिल्में न सिर्फ बॉलीवुड के फिल्मकारों को अपील करती हैं बल्कि बॉलीवुड के दर्शक भी इन फिल्मों के दर्शक है. भारत की सबसे महंगी फिल्म ‘बाहुबली – द बिगनिंग’ इसी की अगली कड़ी है.

२५० करोड़ के लागत से बनी यह तेलगु फिल्म हिंदी भाषियों के लिए हिंदी में डब हुई है. यह प्राचीन भारत के एक साम्राज्य माहेशमति की कहानी है. फिल्म की कहानी किसी पौराणिक कहानी पर आधारित नहीं है लेकिन महाभारत से प्रेरित जरुर लगती है. यहां भी बड़े भाई को उसकी शारीरिक विकलांगता की वजह से सत्ता से दूर कर दिया जाता है. सत्ता छोटे भाई को मिल जाती है जिससे वह छोटे भाई और उसके बेटे से नफरत करने लगता है. छोटे भाई की मौत हो जाती है. अब किसको सत्ता मिलेगी.

महाभारत की कहानी की तरह यह भी दो चचेरे भाईयों की कहानी है. जो सत्ता के लिए एक दूसरे के सामने आ खड़े होते हैं. सत्ता मिल जाने के बाद किस तरह से एक भाई दूसरे भाई की जान का दुश्मन बन उसके परिवार को खत्म करना चाहता है लेकिन उसका बेटा बच जाता है. परिस्थितियां कुछ ऐसी बनती है कि वह फिर माहेशमति लौट आता है. अपने पिता का बदला लेने और अपनी मां को अपने चाचा की कैद से आजाद करने के लिए. यह बाहुबली के पराक्रम की कहानी है.

जिसे राजमौली ने लार्जर दैन लाइफ स्टाइल में परदे पर उकेरा है. यह फिल्म आंखों के लिए एक विजुअल ट्रीट की तरह है. माहेशमति का खूबसूरत साम्राज्य, विशाल झरना, बर्फीला तूफान हो या युद्ध के सींस फिल्म की यूएसपी है. कंप्यूटर जनरेट इमेज(सीजी) के लिए इस फिल्म की विशेष तारीफ करनी होगी. इस तरह की सीजी इफेक्ट्स भारतीय सिनेमा में अब तक नजर नहीं आया है. एसएस राजमौली ने तीन साल तक इस एक फिल्म की शूटिंग की है.

यह बात फिल्म के विजुअल इफेक्टस से साफ हो जाती है. फिल्म की कहानी भले ही पुरानी घिसी पिटी है लेकिन फिल्म की प्रस्तुति ऐसी थी कि जब अंत में सीक्वल की बात सामने आती है तो जिज्ञासा अभी से बंध जाती है कि ‘बाहुबली – द कन्क्लूजन’ २०१६ में कैसा होगा. संगीत भी इस फिल्म की एक खामी नजर आती है. खासकर गानें. फिल्म की गति में रोकते हैं. अभिनय की बात करें तो रमैया ने सशक्त राजमाता के किरदार को बखूबी जिया है.

प्रभाष, राणा दुग्गाबत्ती का अंदाज और पराक्रम का प्रदर्शन साउथ के अभिनेताओं की ही छाप नजर आती है. तमन्ना अपने किरदार में ठीक रही है. अनुष्का शेट्टी के लिए करने को कुछ नहीं था. अन्य किरदार भी अपनी भूमिका में जमे हैं. फिर चाहे बाहुबली के चाचा की भूमिका हो या कट्प्पा की. फिल्म के संवाद में भोजपुरी का होना अटपटा सा लगता है. समझ नहीं आता कि आदिवासी जाति को भोजपुरी भाषा क्यों दी गयी है. कुलमिलाकर बाहुबली आंखों के लिए एक मनोरंजक फिल्म है. जो कहानी में खामी के बावजूद पूरी फिल्म से आपको जोड़े रखती है.

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