वार में व्यग्य डालने का जोखिम “वार छोड़ ना यार” में

नयी दिल्ली: नवोदित फिल्म निर्देशक फराज हैदर ने अपनी फिल्म ‘वार छोड़ ना यार’ में भारत और पाकिस्तान की सरहद पर संघर्ष जैसे गंभीर विषय को हास्य और व्यंग्य के साथ पेश कर इस मुद्दे पर दर्शकों के लिए एक अलग तरह की संदेश देने वाली और मनोरंजक फिल्म बनाने का दावा किया है. फराज […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 6, 2013 11:43 AM

नयी दिल्ली: नवोदित फिल्म निर्देशक फराज हैदर ने अपनी फिल्म ‘वार छोड़ ना यार’ में भारत और पाकिस्तान की सरहद पर संघर्ष जैसे गंभीर विषय को हास्य और व्यंग्य के साथ पेश कर इस मुद्दे पर दर्शकों के लिए एक अलग तरह की संदेश देने वाली और मनोरंजक फिल्म बनाने का दावा किया है. फराज ने बताया कि वह भारत और पाकिस्तान के बीच मुद्दों को किसी ऐसे माध्यम से उठाना चाहते थे कि लोगों का मनोरंजन भी हो और जंग छोड़ने का संदेश भी पहुंचे. उन्होंने इसके लिए जंग में व्यंग्य डालने का जोखिम उठाया.उन्होंने यह भी साफ किया कि यह फिल्म पाकिस्तान या किसी भी देश के खिलाफ नहीं बल्कि सरहद पर लड़ाई के खिलाफ है. फराज का दावा है कि इससे पहले दोनों देशों के बीच इस तरह की कोई फिल्म नहीं बनाई गयी है.

फराज ने बातचीत में कहा कि किसी भी नये निर्देशक के लिए अलग तरह की फिल्म बनाना जरुरी है. भारत और पाकिस्तान पर बन रही फिल्म में तो वैसे भी कुछ अलग विषय होना आवश्यक था क्योंकि दोनों देशों के बीच संघर्ष पर संवेदनशील और भावनात्मक प्रकार की कई फिल्में बन चुकी हैं. लेकिन इस बार जंग पर नई तरह की फिल्म देखने को मिलेगी.

उन्होंने कहा कि फिल्म बनाने में इसलिए भी जोखिम था क्योंकि अंतरराष्ट्रीय संबंध और सेना के संवेदनशील और तकनीकी पहलुओं का भी पूरा ध्यान रखना था.नवोदित निर्देशक ने कहा, ‘‘अच्छी बात यह रही कि मैंने फिल्म में कुछ भी ऐसा नहीं किया जिसमें दृश्य काटने पड़ें. सेंसर बोर्ड की स्क्रीनिंग कमेटी ने भी बिना कांट-छांट के फिल्म पर अपनी मुहर लगा दी.’’

Next Article

Exit mobile version