फिल्‍म रिव्‍यू : पारिवारिक थ्रिलर है अजय-तब्‍बू की ”दृश्यम”

II अनुप्रिया अनंत II फिल्म : दृश्यम कलाकार : अजय देवगन, तब्बू, श्रेया शरन, इशिता दत्ता, मृणाल जाधव निर्देशक : निशिकांत कामत रेटिंग : 2.5 स्टार अजय देवगन की फिल्म हिंदी में ‘दृश्यम’ मूल रूप से साउथ में बनी फिल्म का ही रीमेक है. ‘देवदास’ के बाद शायद ‘दृश्यम’ वह दूसरी फिल्म होगी, जिसके इतने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 31, 2015 4:26 PM

II अनुप्रिया अनंत II

फिल्म : दृश्यम

कलाकार : अजय देवगन, तब्बू, श्रेया शरन, इशिता दत्ता, मृणाल जाधव

निर्देशक : निशिकांत कामत
रेटिंग : 2.5 स्टार
अजय देवगन की फिल्म हिंदी में ‘दृश्यम’ मूल रूप से साउथ में बनी फिल्म का ही रीमेक है. ‘देवदास’ के बाद शायद ‘दृश्यम’ वह दूसरी फिल्म होगी, जिसके इतने रीमेक बने हैं और सभी कामयाब रहे हैं. मूल रूप से यह फिल्म जीतू जोसेफ की कहानी है. उन्होंने ही इसका मूल रूप बनाया.
बाद में अन्य भाषाओं में यह फिल्म बनी. हिंदी में भी कहानी वही है. सिर्फ कुछ तब्दीलियां की गयी हैं. विजय एक केबल की दुकान चलाता है. वह चौथी फेल है. लेकिन उसे फिल्मों में बहुत अधिक दिलचस्पी है. वे सारी फिल्में केबल पर ही बैठ कर देखा करता है. उसका छोटा सा परिवार है. जिसमें उसकी दो बेटियां हैं और पत् नी है. विजय को दिन दुनिया से कुछ भी खास लेना देना नहीं है. लेकिन कुछ लोग हैं, जो उससे प्रभावित हैं, जिनमें वहां के एक छोटे से रेस्टोरेंट के बुजुर्ग हैं.
विजय की जिंदगी सामान्य चल रही है. लेकिन अचानक एक हादसा गुजरता है. और जिंदगी बदल जाती है. विजय हर कीमत पर अपने परिवार की रक्षा करना चाहता है. इसके लिए वह पुलिस से भी लड़ जाने को तैयार है. लेकिन यहां वह पुलिस से किसी हिंसा से लड़ाई या विरोध नहीं करता. वह अलग रास्ता इख्तियार करता है. लेकिन इस रास्ते से उसका तात्पर्य कहीं भी पुलिस को किसी चोर उचक्के की तरह चकमा देना हरगिज नहीं है. वह सिर्फ अपने परिवार की रक्षा करना चाहता है.
क्या सही है. क्या गलत उसे कुछ समझ नहीं आता. विजय के साथ कहानी आगे बढ़ती जाती है. दर्शकों को सब पता है. लेकिन फिर भी दिलचस्पी बरकरार है. विजय का झूठ झूठ नहीं लगता. वह उचित समय पर सही निर्णय लगता. लेकिन इसी बीच उनकी जिंदगी में पुलिस पदाधिकारी की एंट्री होती है. आइपीएस का इस केस से व्यक्तिगत लेना देना है. लेकिन वह सारे हथकंडे अपना कर भी सच सामने नहीं ला पाती. जुर्म हुआ है. दर्शक भी वाकिफ हैं. पुलिस प्रशासन भी. लेकिन वह हकीकत सामने लाने में अक्षम हैं.
तब्बू ने एक मां और एक पुलिस अधिकारी की भूमिका बखूबी निभायी है. उनके भाव दर्शाते हैं कि वह कितनी क्रूर पुलिस अधिकारी हैं. लेकिन अगले ही पल वह जब बेटे के लिए बिलख कर रोने लगती हैं तो एक मां का दिल भी दर्शकों के सामने आता है. अजय देवगन अपनी आंखों से अभिनय करने में माहिर हैं. लेकिन अजय ने पिछले कुछ सालों में ऐसी फिल्मों का चुनाव नहीं किया,जिसमें वे अपने भाव व आंखों से अभिनय करें.
यह फिल्म उस लिहाज से अजय की वापसी कराती है. यह अजय की विजय वाली फिल्म है. मसलन अजय फिर से अपने अभिनय से दर्शकों के दिल पर विजय हासिल करेंगे. तब्बू बेहतरीन अभिनेत्री हैं. उन्होंने सीमित लेकिन प्रभावशाली दृश्यों में अपनी तरफ ध्यान आकर्षित किया है. श्रेया शरन, इशिता, मृणाल ने अपनी मासूमियत से दिल जीत है. फिल्म का अंत चौकाता है. और यही फिल्म को खास बना देता है.

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