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फिल्‍म रिव्‍यू : ”बैंगिस्तान” टॉपिक अच्छा लेकिन ट्रीटमेंट स्तरहीन

II उर्मिला कोरी II फिल्म : बैंगिस्तान निर्माता: एक्सेल प्रोडक्शन हाउस निर्देशक: करन अंशुमन संगीतकार: अमित संपत कलाकार: रितेश देशमुख, पुलकित सम्राट, जैकलीन फर्नांडीज और अन्य रेटिंग: दो पिछले कुछ समय से हर महीने आतंकवाद और धर्म पर आधारित फिल्में दस्तक दे रही है. इसी की अगली कड़ी फिल्म बैंगिस्तान है. यह आंतकवाद आधारित कॉमेडी […]

II उर्मिला कोरी II

फिल्म : बैंगिस्तान

निर्माता: एक्सेल प्रोडक्शन हाउस

निर्देशक: करन अंशुमन

संगीतकार: अमित संपत

कलाकार: रितेश देशमुख, पुलकित सम्राट, जैकलीन फर्नांडीज और अन्य

रेटिंग: दो

पिछले कुछ समय से हर महीने आतंकवाद और धर्म पर आधारित फिल्में दस्तक दे रही है. इसी की अगली कड़ी फिल्म बैंगिस्तान है. यह आंतकवाद आधारित कॉमेडी फिल्म है. फिल्म की कहानी को एक काल्पनिक देश बैंगस्तिान पर बेस्ड़ किया गया है. भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान जैसे देशों की तरह बैंगिस्तान भी है.

यहां पर भी हिंदू मुसलमान एक दूसरे के खिलाफ खड़ें हैं. सभी अपने अपने कौम को दूसरी कौम से बड़ा दिखाना चाहते हैं. धर्म के आड़ में होने वाली राजनीति ने दोनों धर्मों को एक दूसरे के खिलाफ ला खड़ा किया है. ऐसे में दोनों धर्मों के लोगों को आसानी से मोहरा बनाया गया है. यही होता भी है. दो भोले भाले युवक प्रवीण कुमार चर्तुवेदी(पुलकित) और हाफीज( रितेश देशमुख) धर्म के नाम पर बरगलाया जाता है और पोलैंड में शांति स्थापना के लिए होने वाली धर्म संसद में आत्मघाती हमलावर बनने को तैयार किया जाता है.

एक मुस्लिम है तो दूसरा हिंदू लेकिन दोनों अलग-अलग लुक अख्तियार करते हैं और आतंकी घटना के लिए पोलैंड पहुंच जाते हैं. फिर क्या होता है. क्या ये अपने मिशन में कामयाब हो जाते हैं या धर्म बदलने से दोनों को एक अलग ही सच सामना होता है. यही फिल्म की कहानी हैं. आतंकवाद जैसे गंभीर मुद्दे को हल्के फुल्के अंदाज में पेश करने की कोशिश की गयी है.

फिल्म का टॉपिक जितना अच्छा है उसका ट्रीटमेंट उतना ही स्तरहीन है. परदे पर वह उतनी ही औधे मुंह गिरी नजर आती है. फिल्म की स्क्रप्टि बहुत कमजोर है. कॉमेडी के नाम पर सिर्फ बम खरीदने वाला सीन ही अच्छा बन पड़ा है. वरना बहुत मुश्किल से हंसी आती है. अभिनय की बात करें तो रितेश देशमुख को कॉमेडी में यूं तो महारत हासिल है लेकिन कमजोर स्क्रप्टि की वजह से उनके करने को कुछ खास नहीं था.

पुलकित निराश करते हैं. वे फिल्म में बहुत ज्यादा लाऊड लगे हैं. वहीं जैकलीन को करने के लिए कुछ खास नहीं था. वे गिने चुने दृश्यों में नजर आयी हैं. दूसरे कलाकारों का काम ठीक ठाक रहा है. फिल्म का संगीत औसत है. फिल्म के विषय के अनुरुप है.कुलमिलाकर बैंगिस्तान पूरी तरह से निराश करती है.

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