II अनुप्रिया अनंत II
फिल्म रिव्यू : वेलकम बैक
कलाकार : अनिल कपूर, नाना पाटेकर, श्रूति हसन, जॉन अब्राह्म, नसीरुद्दीन शाह, अंकिता श्रीवास्तव, डिंपल कपाड़िया, शाइनी आहूजा, परेश रावल
निर्देशक : अनीस बज्मी
रेटिंग : 2.5 स्टार
‘वेलकम बैक’ 8 साल पहले आयी फिल्म ‘वेलकम’ का सीक्वल है. सो, अनीस बज्मी इस फिल्म को फिल्म के दो मुख्य कलाकार उदय( नाना पाटेकर) और मजनू( अनिल कपूर) के साथ आगे लेकर चलते हैं. उदय और मजनू अब गुंडे मवाली नहीं हैं. अब वे ईमानदार और शरीफ हो गये हैं. हां, दोनों की शादी अब तक नहीं हुई है. दोनों अपने लिए लड़की की तलाश में हैं कि तभी उनके सामने एक हकीकत सामने आती है कि उनकी एक और बहन है रंजना.
दोनों तय करते हैं कि वे पहले अब उसकी शादी करेंगे. फिर अपने बारे में सोचेंगे. लेकिन वे अपनी बहन के लिए इस बार गुंडे की तलाश में नहीं, बल्कि किसी शरीफ का इंतजार कर रहे हैं. ऐसे में उनका पाला अज्जू भाई (जॉन अब्राहम) से जुड़ता है, जो घूंघरू (परेश रावल) की नाजायाज औलाद हैं. उदय और मजनू को अज्जू पसंद नहीं. अज्जू को रंजना पसंद है. और रंजना को वांटेड भाई के बेटे हनी पसंद करते हैं. तो, कुछ यों रिश्तों का कॉकटेल बनता है. और एक दूसरे की टांग खिंचाई करते हुए कहानी आगे बढ़ती है.
अनीस की पहली फिल्म ‘वेलकम’ हर मायने में इस सीक्वल से बेहतर थी. चूंकि फिल्म में कई स्वाभाविक घटनाएं होती हैं. इस बार निर्देशक थोड़े भटके नजर आये हैं. उन्होंने कुछ किरदारों को व्यर्थ ही फिल्म में शामिल किया है. इस बार फिल्म की खासियत यह है कि अनीस ने फिल्म का लेखन अकेले नहीं, बल्कि राज शांडिल्स और राजीव कॉल की मदद से की है. शायद यही वजह है कि फिल्म के संवाद या यूं कह लें. फिल्म के कुछ वन लाइनर लोगों को हंसाते हैं. फिल्म के कुछ दृश्यों को बेहद रोचक तरीके से फिल्माया गया है. और वह दृश्य निश्चित तौर पर दर्शकों का मनोरंजन करेंगे ही.
अंत्याक्षरी सीक्वेंस व कब्रिस्तान के दृश्य लोगों को गुदगुदायेंगे. ‘वेलकम बैक’ पूर्ण रूप से उदय और मजनू की जोड़ी पर ही टिकी है. नाना और अनिल कपूर ने अपने किरदार में पूरी तरह ढल कर काम किया है. उन दोनों के साथ के दृश्य रोचक हैं और मनोरंजन करते हैं. लेकिन फिल्म के लीड किरदार जॉन अब्राह्म फिल्म में काफी थके से नजर आये हैं. उनकी और अभिनेत्री श्रुति हसन की लव केमेस्ट्री बिल्कुल फिट नहीं बैठी है. उनके लव मेकिंग दृश्य व गीत ठूसे हुए नजर आये हैं. जिस तरह अक्षय कुमार ने पहली फिल्म में दर्शकों का मनोरंजन किया था. उस लिहाज से जॉन कामयाब नजर नहीं आये हैं.
अनीस ने शायद यही वजह है कि अधिकतर दृश्य उदय और मजनू पर ही फिल्माये हैं. डिंपल कपाड़िया ने यह फिल्म क्यों की. यह सिर्फ वही बता सकती हैं. चूंकि उनके किरदार को बखूबी गढ़ा नहीं गया फिल्म में. अनीस की इस फिल्म में कंटीन्यूटी की भी परेशानी नजर आयी. फिल्म में अज्जू की मां का किरदार निभाने वाली सुप्रिया फिल्म के चंद दृश्यों के बाद फिल्म में नजर ही नहीं आयीं. घूंघरू के रूप में परेश रावल ने अपनी साझेदारी दी है. लेकिन इस बार उन्हें मौके कम मिले हैं.
अंकिता श्रीवास्तव का चयन किस आधार पर किया गया है, यह सिर्फ निर्देशक ही बता सकते हैं. चूंकि उनमें न तो ग्लैमर कोशेंट नजर आया और न ही अभिनय क्षमता. वे जब भी परदे पर आ रही थीं. बोर कर रही थी. शाईनी अहूजा लंबे अरसे के बाद परदे पर लौटे हैं. उन्हें सीमित दृश्य मिले हैं और उन्होंने उसका इस्तेमाल किया है. नसीरुद्दीन शाह इस बार चूके हैं. शायद उन्होंने दिल से अभिनय नंहीं किया है. उनके किरदार को शायद सही तरीके से मांझा नहीं गया. उनके एक संवाद मजाक कर रहा था…मजाक के अलावा उनके किरदार में कुछ भी दिलचस्प नहीं था.
फिल्म में कुछ गाने बेमतलब के डाले गये हैं और इसकी वजह से बेवजह फिल्म की अवधि बढ़ी है. ‘वेलकम बैक’ और वेडिंग बोले…गीत डिस्को नंबर्स हैं. हालांकि इस बार अनीस कम से कम अपनी शेष फिल्मों की तरह ऐसे संवाद और दृश्यों से बचे हैं, जिससे यह फिल्म परिवार के साथ देखने में परेशानी हो. हां, मगर बिना दिमाग लगाये किसी नतीजे पर पहुंचे. इंस्टैंट मनोरंजन के लिए परिवार के साथ एक बार फिल्म देखी जा सकती है.