II अनुप्रिया अनंत II
फिल्म : किस किस को प्यार करूं
कलाकार : कपिल शर्मा, एली अवराम, सुप्रिया पाठक, वरुण शर्मा, मंजरी
निर्देशक : अब्बास मस्तान
रेटिंग : 2.5 स्टार
माँ ने कहा है कि कभी किसी औरत का दिल मत दुखाना और कभी किसी औरत का घर मत तोडना. माँ के इसी उपदेश का पालन करने के लिए शिव राम किशन कुमार नाम का एक ही व्यक्ति चार चार हिस्सों में बंट जाता है. अब्बास मस्तान की नयी फिल्म ‘किस किस को प्यार करूँ’ एक ऐसे ही व्यक्ति की कहानी है. जो प्यार तो सिर्फ एक लड़की से करता है, लेकिन उसकी बीवियां चार चार हैं.
ऐसा नहीं है कि उसने शौक या अय्याशी की वजह से शादियां की है. बल्कि हालातों से मजबूर होकर उसे ऐसा करने पर मजबूर किया गया है. इस पूरे क्रम में वह किस तरह अपने प्यार को हासिल करता है. यही फिल्म की कहानी है. कपिल जैसे किरदार हमने पहले सलमान और गोविंदा की डेविड धवन सरीका फिल्मों में देखा है. अब्बास मस्तान ने बस थोड़े से फेर बदल किये हैं कॉमेडी के किंग कहे जाने वाले कपिल शर्मा की यह पहली फिल्म है और यही वजह है कि यह फिल्म काफी चर्चे में भी रही है.
कपिल के शो पर हम काफी ड्रामा देखते हैं और कपिल का चेहरा हमारे लिए नया नहीं है. शायद यही वजह है कि फिल्म देखते हुए बार बार हमें शो की याद भी आती है. जाहिर है न तो कपिल इस भ्रम में होंगे कि वे एक बेहतरीन एक्टर हैं सो पहली फिल्म से ही वो कमाल दिखा जायेंगे. न ही दर्शकों को उनसे वैसी उम्मीद रखनी चाहिए. यकीँनन उनकी फैन फॉलोइंग बड़ी संख्या में है और वे उन्हें देखने सिनेमा हॉल तक जाएं भी. कपिल के लिए इस फिल्म में काफी संभावनाएं तैयार की गई थी.
अब्बास मस्तान ने कपिल को अपने परिवार के किसी सदस्य की तरह ही लांच किया है. लेकिन हिंदी फिल्मों के निर्देशकों के साथ यह परेशानी है कि वे चाहते हैं कि उनका हर स्टार शाहरुख खान की तरह रोमांस भी करता नजर आये, फैशनेबल दिखे और डांस भी करता नजर आये. इस फिल्म में भी निर्देशकों ने कपिल से ऐसी ही उम्मीदें की है और यही उनकी चूक है. कपिल अच्छी कॉमेडी कर सकते हैं तो उनकी इसी विधा पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए था तब निश्चित तौर पर कपिल भी सहज नजर आते.
कॉमेडी छोड़ कर जिन-जिन दृश्यों में उन्हें नाचना गाना पड़ा है, वहां कपिल की जबरन कसरत नजर आती है और वह बड़े स्क्रीन पर थोड़ी अटपटी भी लगती है. उन्हें फिल्म में रुआब दिखाने का भी पूरा मौका दिया है. कपिल फिल्म में न सिर्फ महंगी बाइक बल्कि महंगे कार और कपड़ों में भी नजर आये हैं. लेकिन कहानी पर विशेष ध्यान नहीं दिया गया है. इस फिल्म में अब्बास मस्तान चाहते तो कई ऐसी परस्थितियां ला सकते थे, जिससे दर्शकों को हंसने के पूरे मौके मिल पाते, लेकिन कई जगह यही महसूस होता है कि फिल्म कपिल के शो का ही एक्सटेंशन हैं.
हालाँकि टुकड़ों में फिल्म में मजा आता है. लेकिन कहानी लम्बी होने की वजह से उबाऊ हो जाती है. खासतौर पर गानों के फिल्मांकन में कपिल फिट नहीं बैठे हैं. उनके हाव भाव कहानी के अनुरूप नजर नहीं आये हैं. एक बार जो इस फिल्म को पारिवारिक फिल्म बनाती है वह यह है कि इस फिल्म में दर्शकों को हँसाने के लिए डबल मीनिंग संवादों का प्रयोग नहीं किया गया है. जो वर्तमान दौर की फिल्मों में आम बात हो गई है. फिल्म का ट्रीटमेंट भी लाऊड नही रखा गया है.
कपिल अपने सहपाठी कलाकार कृष्णा अभिषेक की तरह परदे पे चीखते चिल्लाते नजर नहीं आते. इस वजह से भी वे बुरे नही लगते. फिल्म में एक और किरदार है जिन्होंने दर्शकों का ध्यान आकर्षित किया है वो है वरुण शर्मा. उनकी उपस्थिति ने कपिल का पूरा साथ दिया है. उनकी वजह से कई जगहों पर कपिल की कमजोरी छुप जाती है. अरबाज़ खान के किरदार पर विशेष ध्यान नहीं दिया गया है. वरना उनके किरदार पर काम किया जाता तो यह फिल्म और मनोरंजक बन सकती थी.
फिल्म का क्लाइमैक्स सबसे ज्यादा निराश करता है. कपिल अपनी सीमाओं को समझते हुए ही आगे की फिल्में चुनें तो बेहतर होगा. वह लम्बी पारी तो नहीं खेल पाएंगे अभिनय की दुनिया में लेकिन अगर कोशिश बरक़रार रही तो कुछ फिल्मों से मनोरंजन कर सकते हैं. सुप्रिया पाठक को बहुत दृश्य नहीं दिए गए हैं. उनके किरदार पर भी ध्यान दिया जाता तो फिल्म में और निखार आ सकता था. एली अवराम ,मझरी व शेष अभिनेत्रियों को अधिक अवसर नहीं मिले हैं. जितने मिले उन्होंने औसत अभिनय किया है. मुमकिन है कि कपिल की लोकप्रियता का फायदा अब्बास मस्तान को मिल जाय.