फिल्म रिव्यू : मिलिये मधुर भंडारकर की ”कैलेंडर गर्ल” से
II अनुप्रिया अनंत II फिल्म : कैलेंडर गर्ल्स कलाकार : आकांक्षा पुरी , अवनि मोदी , कायरा दत्त , रूही सिंह , सतपूर्ण , रोहित रॉय निर्देशक : मधुर भंडारकर रेटिंग : २ मधुर भंडारकर ने इससे पहले भी अपनी फिल्में ‘चांदनी बार’, ‘पेज ३’, ‘फैशन’ और हीरोइन में ग्लैमर इंडस्ट्री के पर्दे के पीछे […]
II अनुप्रिया अनंत II
फिल्म : कैलेंडर गर्ल्स
कलाकार : आकांक्षा पुरी , अवनि मोदी , कायरा दत्त , रूही सिंह , सतपूर्ण , रोहित रॉय
निर्देशक : मधुर भंडारकर
रेटिंग : २
मधुर भंडारकर ने इससे पहले भी अपनी फिल्में ‘चांदनी बार’, ‘पेज ३’, ‘फैशन’ और हीरोइन में ग्लैमर इंडस्ट्री के पर्दे के पीछे की कहानी बयां की हैं. फिल्म ‘पेज ३’ उनकी सबसे मजबूत फिल्म थी. चूँकि जिस दौर में उन्होंने वह कहानी कही उस दौर में ग्लैमर इंडस्ट्री के कई सच लोगों के सामने आये थे. शायद यही वजह थी कि लोगों ने उस फिल्म को काफी पसंद भी किया लेकिन लगातार मधुर उसी कहानी को लेकर लोगों के सामने आ रहे हैं.
उनकी नयी फिल्म ‘कैलेंडर गर्ल्स’ उनकी पिछली फिल्मों का ही कॉकटेल है. फिल्म की कहानी एक कैलेंडर मेकिंग से शुरू होती है. पांच लड़कियां हैं. पांचों की अपनी सोच है और ये पांचों पांच अलग-अलग शहर से आई हैं. सभी की जिंदगी में ‘कैलेंडर गर्ल’ बनना एक बड़ी कामयाबी है. वे एक बड़ी कंपनी के कैलेंडर का हिस्सा बन जाती हैं. बाद में पांचों अपनी-अपनी राह चुनती हैं. इसमें एक लड़की पाकिस्तान से आई है. बॉर्डर पर पाकिस्तान और भारत की जंग का आम जिंदगी पे क्या असर होता है और भारत में काम कर रहे पाकिस्तानी कलाकार की क्या स्थिति होती है. इस मुद्दे को मधुर छूते हुए निकल जाते हैं.
दरअसल मधुर ने पांच लड़कियों के सहारे ग्लैमर दुनिया के पांच खास रास्तों के चुनाव पर फोकस किया है, एक लड़की चालाकी से किस तरह सिर्फ चापलूसी से इंडस्ट्री में जगह बनाती है. वह यह दर्शाते हैं कि हाँ इस इंडस्ट्री में ऐसे भी लोग हैं जो केवल चापलूस बनकर अपना उल्लू सीधा कर रहे. लेकिन यह कोई नयी हकीक़त नहीं है. एक लड़की मजबूरन क्यों जिस्मफरोशी के धंधे में आ जाती है. इस पर फोकस किया गया है. एक लड़की जो तय करती है कि वह हमेशा सही रस्ते से आगे बढ़ेगी.
एक लड़की जो ऐशो आराम की जिंदगी जीने के लिए एक अय्याश से शादी कर लेती है. अफसोस की बात यह है कि मधुर दर्शक को किसी नयी जानकारी से रूबरू नहीं करते. आज सोशल मीडिया किस तरह सक्रीय है. मधुर ने केवल ट्विटर का जिक्र किया है. उस पर फोकस नहीं किया. मधुर को कुछ नए विषयों पे सोचने की सख्त जरूरत है. पूरी कहानी को वे कब तक चाशनी में डाल कर परोसते रहेंगे. यह फिल्म न तो कुछ सोचने पे मजबूर करती है और न ही किसी किरदार से हमदर्दी हो पाती है या फिर कनेक्ट महसूस होता है. सो, एक बार फिर मधुर की या फिल्म अधूरी ही नजर आती है.