बेंगलूर में हुआ मन्ना डे का अंतिम संस्कार
कसमें वादे प्यार वफा सब बातें हैं…मन्ना डे निधन पर राष्ट्रपति ने जताया शोकगायक नहीं बॉक्सर बनना चाहते थे मन्ना डेमन्ना डे के निधन पर बिग बी ने कहा नहीं रहा संगीत का दिग्गजबेंगलूर : ऐ मेरे प्यारे वतन, लागा चुनरी में दाग और पूछो न कैसे जैसे सदाबहार गीतों के जरिए पांच दशकों से […]
कसमें वादे प्यार वफा सब बातें हैं…
मन्ना डे निधन पर राष्ट्रपति ने जताया शोक
गायक नहीं बॉक्सर बनना चाहते थे मन्ना डे
मन्ना डे के निधन पर बिग बी ने कहा नहीं रहा संगीत का दिग्गज
बेंगलूर : ऐ मेरे प्यारे वतन, लागा चुनरी में दाग और पूछो न कैसे जैसे सदाबहार गीतों के जरिए पांच दशकों से भी अधिक समय तक अपने संगीत का जादू बिखेरने वाले प्रख्यात पार्श्व गायक मन्ना डे का लंबी बीमारी के बाद आज यहां एक अस्पताल में निधन हो गया.उनका अंतिम संस्कारबेंगलूरमें ही किया गया.
नारायण हृदयालय अस्पताल प्रवक्ता वासुकी ने बताया कि 94 वर्षीय मन्ना डे का तड़के तीन बजकर 50 मिनट पर दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया. उनका पिछले पांच महीने से सांस और गुर्दे संबंधी समस्याओं के कारण अस्पताल में उपचार चल रहा था.
उनके परिवार के सदस्यों ने बताया कि अंतिम समय में मन्ना डे के पास उनकी पुत्री शुमिता देव और उनके दामाद ज्ञानरंजन देव मौजूद थे. उनकी पत्नी सुलोचना का गत वर्ष जनवरी में देहांत हो गया था. उनकी दूसरी बेटी अमेरिका में रहती है.वासुकी ने बताया की कल दोपहर बाद से मन्ना डे की तबीयत बिगड़ रही थी. उन्हें पिछले पांच महीनों में थोड़े समय के लिए दो बार अस्पताल में छुट्टी दी गयी थी.
1950 के दशक से 1970 के दशक तक हिंदी संगीत उद्योग पर मन्ना डे, रफी, मुकेश और किशोर कुमार की चौकड़ी ने राज किया. रफी, मुकेश और किशोर, मन्ना डे से पहले ही दुनिया को अलविदा कह चुके थे.
कोलकाता में 1919 में जन्मे मन्ना डे ने 90 के दशक में फिल्मों को अलविदा कहने से पहले हिंदी, बंगाली, गुजराती, मराठी, मलयालम, कन्नड और असमी में 3500 से अधिक गीत गाये. उनका अंतिम गीत 1991 में आयी फिल्म प्रहार का गीत हमारी ही मुट्ठी में था.पिछले कुछ वर्षों से बेंगलूर को अपना ठिकाना बनाने वाले मन्ना डे ने 1943 में तमन्ना फिल्म के साथ पार्श्वगायन में अपने करियर की शुरुआत की थी. सुरैया के साथ गाया उनका यह गीत सुर ना सजे, क्या गाऊं मैं रातों रात हिट हो गया.
1950 में आयी मशाल उनकी दूसरी फिल्म थी जिसमें मन्ना डे को एकल गीत ऊपर गगन विशाल गाने का मौका मिला जिसे सचिन देव बर्मन ने संगीत से सजाया था.
1952 में मन्ना डे ने एक ही नाम और कहानी वाली बंगाली तथा मराठी फिल्म अमर भुपाली के लिए गीत गाए और खुद को एक उभरते बंगाली पार्श्वगायक के रुप में स्थापित कर लिया.
मन्ना डे के गाये गीतों पूछो न कैसे मंैने… (मेरी सूरत तेरी आंखें), ऐ मेरी जोहरा जबीं… (वक्त), जिंदगी कैसी है पहेली… (आनंद), ये दोस्ती…(शोले),इक चतुर नार…(पड़ोसन) और लागा चुनरी में दाग…(दिल ही तो है) का जादू आज भी संगीत प्रेमियों के सर चढ़ कर बोलता है.
मन्ना डे के निधन से बॉलीवुड में शोक की लहर दौड गयी है.
दादा साहेब फाल्के अवार्ड से सम्मानित मन्ना डेके नाम से लोकप्रिय प्रबोधचंद डे का जन्म एक मई 1919 को कोलकाता में हुआ था.मन्ना डे के आवाज का इस्तेमाल जहां-जहां हुआ कामयाबी की दिशा में मील का पत्थर साबित हुआ.
मन्ना डे को संगीत के क्षेत्र में बेहतरीन योगदान के लिए पद्म भूषण और पद्मश्री सम्मानसे भी नवाजा गया. संगीत में उनकी रूचि अपने चाचा केसी डे की वजह से पैदा हुई.
हालांकि उनके पिता चाहते थे कि वो बड़े होकर वकील बने. लेकिन मन्ना डे ने संगीत को ही चुना. कलकत्ता के स्कॉटिश कॉलेज में पढ़ाई के साथ-साथ मन्ना डे ने केसी डे से शास्त्रीय संगीत की बारीकियां सीखीं. कॉलेज में संगीत प्रतियोगिता के दौरान मन्ना डे ने लगातार तीन साल तक ये प्रतियोगिती जीती. आखिर में आयोजकों को ने उन्हें चांदी का तानपुरा देकर कहा कि वो आगे से इसमें हिस्सा नहीं लें.
मन्ना डे जीवनी
सुरों का काफिला छोड़ चला सुरसाज
भारतीय शास्त्रीय संगीत में पॉप का जुझारुपन घोलने वाले सुरों के सरताज मन्ना डे हिंदी सिनेमा के उस स्वर्ण युग के प्रतीक थे जहां उन्होंने अपनी अनोखी शैली और अंदाज से पूछो ना कैसे मैंने, ए मेरी जोहराजबीं और लागा चुनरी में दाग जैसे अमर गीत गाकर खुद को अमर कर दिया था.
मोहम्मद रफी , मुकेश और किशोर कुमार की तिकड़ी का चौथा हिस्सा बनकर उभरे मन्ना डे ने 1950 से 1970 के बीच हिंदी संगीत उद्योग पर राज किया.
पांच दशकों तक फैले अपने करियर में डे ने हिंदी, बंगाली, गुजराती , मराठी, मलयालम , कन्नड और असमी में 3500 से अधिक गीत गाये और 90 के दशक में संगीत जगत को अलविदा कह दिया. 1991 में आयी फिल्म प्रहार में गाया गीत हमारी ही मुट्ठी में उनका अंतिम गीत था.
महान गायक आज बेंगलूर में 94 साल की उम्र में दुनिया से रुखसत हो गये. यह संगीत की दुनिया का वह दौर था , जब रफी, मुकेश और किशोर फिल्मों के नायकों की आवाज हुआ करते थे लेकिन मन्ना डे अपनी अनोखी शैली के लिए एक खास स्थान रखते थे. रवींद्र संगीत में भी माहिर बहुमुखी प्रतिभा मन्नाडे ने पश्चिमी संगीत के साथ भी कई प्रयोग किए और कई यादगार गीतों की धरोहर संगीत जगत को दी.
पिछले कुछ सालों से बेंगलूर को अपना ठिकाना बनाने वाले मन्ना डे ने 1943 में तमन्ना फिल्म के साथ पार्श्व गायन में अपने करियर की शुरुआत की थी. संगीत की धुनें उनके चाचा कृष्ण चंद्र डे ने तैयार की थीं और उन्हें सुरैया के साथ गीत गाना था. और सुर ना सजे, क्या गाऊं मैं रातों रात हिट हो गया जिसकी ताजगी आज भी कायम है.
1950 में मशाल उनकी दूसरी फिल्म थी जिसमें मन्ना डे को एकल गीत ऊपर गगन विशाल गाने का मौका मिला जिसे संगीत से सजाया था सचिन देव बर्मन ने. 1952 में डे ने एक ही नाम और कहानी वाली बंगाली तथा मराठी फिल्म अमर भुपाली के लिए गीत गाए और खुद को एक उभरते बंगाली पार्श्वगायक के रूप में स्थापित कर लिया.
डे साहब की मांग दुरुह राग आधारित गीतों के लिए अधिक होने लगी और एक बार तो उन्हें 1956 में बसंत बहार फिल्म में उनके अपने आदर्श भीमसेन जोशी के मुकाबले में गाना पड़ा. केतकी, गुलाब , जूही बोल वाले इस गीत को शुरू में उन्होंने गाने से मना कर दिया था.
शास्त्रीय संगीत में उनकी पारंगता के साथ ही उनकी आवाज में एक ऐसी अनोखी कशिश थी कि आज तक उनकी आवाज को कोई कापी करने का साहस नहीं जुटा सका.
यह मन्ना डे की विनम्रता ही थी कि उन्होंने बतौर गायक उनकी प्रतिभा को पहचानने का श्रेय संगीतकार शंकर जयकिशन की जोड़ी को दिया. डे ने शोमैन राजकपूर की आवारा, श्री 420 और चोरी चोरी फिल्मों के लिए गाया.
उन्होंने अपनी आत्मकथा मैमोयर्स कम अलाइव में लिखा है , मैं शंकरजी का खास तौर से ऋणी हूं. यदि उनकी सरपरस्ती नहीं होती तो जाहिर सी बात है कि मैं उन ऊचाइयों पर कभी नहीं पहुंच पाता जहां आज पहुंचा हूं. वह एक ऐसे शख्स थे जो जानते थे कि मुझसे कैसे अच्छा काम कराना है.
वास्तव में , वह पहले संगीत निदेशक थे जिन्होंने मेरी आवाज के साथ प्रयोग करने का साहस किया और मुझसे रोमांटिक गीत गवाये. मन्ना डे के कुछ सर्वाधिक लोकप्रिय गीतों में दिल का हाल सुने दिलवाला, प्यार हुआ इकरार हुआ , आजा सनम , ये रात भीगी भीगी , ऐ भाई जरा देख के चलो , कसमे वादे प्यार वफा और यारी है ईमान मेरा शामिल है.
कुछ प्रसिद्ध गीत
ए भाय! जरा देख के चलो
अभी तो मैं जवान हूँ
जिंदगी कैसी है पहेली (आनंद)
एक चतुर नार करके श्रृंगार (पड़ोसन)
लागा चुनरी में दाग (दिल ही तो है)
कसमें वादे प्यार वफा (उपकार)
तू प्यार का सागर है (सीमा)
तुझे सूरज कहूं या चंदा (एक फूल दो माली)
यारी है ईमान मेरा यार मेरी जिंदगी (जंजीर)
ये रात भीगी भीगी (चोरी चोरी)
ऐ मेरी जोहरा जबीं (वक्त)
प्यार हुआ इक़रार हुआ है (श्री 420)