FTII छात्रों के समर्थन में फिल्मकारों ने राष्ट्रीय पुरस्कार लौटाए
मुंबई : जानेमाने फिल्मकारों दिबाकर बनर्जी, आनंद पटवर्धन तथा आठ अन्य लोगों ने आज एफटीआईआई के आंदोलनकारी छात्रों के साथ एकजुटता प्रकट करते हुए तथा देश में बढती असहिष्णुता के विरोध में अपने राष्ट्रीय पुरस्कार लौटा दिए.बनर्जी और अन्य फिल्मकारों ने कहा कि उन्होंने छात्रों के मुद्दों के निवारण तथा बहस के खिलाफ असहिष्णुता के […]
मुंबई : जानेमाने फिल्मकारों दिबाकर बनर्जी, आनंद पटवर्धन तथा आठ अन्य लोगों ने आज एफटीआईआई के आंदोलनकारी छात्रों के साथ एकजुटता प्रकट करते हुए तथा देश में बढती असहिष्णुता के विरोध में अपने राष्ट्रीय पुरस्कार लौटा दिए.बनर्जी और अन्य फिल्मकारों ने कहा कि उन्होंने छात्रों के मुद्दों के निवारण तथा बहस के खिलाफ असहिष्णुता के माहौल को दूर करने में सरकार की ओर से दिखाई गई उदासीनता के मद्देनजर ये कदम उठाए हैं.
बनर्जी ने संवाददाताओं से कहा, ‘मैं गुस्से, आक्रोश में यहां नहीं आया हूं. ये भावनाएं मेरे भीतर लंबे समय से हैं. मैं यहां आपका ध्यान खींचने के लिए हूं. ‘खोसला का घोसला’ के लिए मिला अपना पहला राष्ट्रीय पुरस्कार लौटाना आसान नहीं है. यह मेरी पहली फिल्म थी और बहुत सारे लोगों के लिए मेरी सबसे पसंदीदा फिल्म थी.’
उन्होंने कहा, ‘अगर बहस, सवाल पूछे जाने को लेकर असहिष्णुता तथा पढाई के माहौल को बेहतर बनाने की चाहत रखने वाले छात्र समूह को लेकर असहिष्णुता होगी, तो फिर यह असहिष्णुता उदासीनता में प्रकट होती है. इसी को लेकर हम विरोध जता रहे हैं.’ जानेमाने डाक्यूमेंटरी निर्माता पटवर्धन ने कहा कि सरकार ने ‘अति दक्षिणपंथी धडों’ को प्रोत्साहित किया है.
उन्होंने कहा, ‘मैंने इस तरह से एक समय पर बहुत सारी घटनाएं होती नहीं देखी हैं. क्या होने वाला है, यह उसकी शुरुआत है और मुझे लगता है कि पूरे देश में लोग अलग अलग तरीकों से प्रतिक्रिया दे रहे हैं.’ एफटीआईआई के छात्रों ने आज अपनी 139 दिनों पुरानी हडताल खत्म कर दी, हालांकि वे संस्थान के अध्यक्ष पद पर गजेंद्र चौहान की नियुक्ति का विरोध एवं उनको हटाने की मांग जारी रखेंगे.