हालिया रिलीज़ अपनी फ़िल्म मसान के लिए देश विदेश में दर्शकों और फ़िल्म क्रिटिक्स की जबरदस्त वाह वाही बटोर चुकी अभिनेत्री रिचा चड्ढा आज रिलीज हुई फ़िल्म मैं और चार्ल्स में नज़र आ रही है. उनकी इस फ़िल्म और कैरियर पर उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश…
1. ‘मसान’ फिल्म के लिए आपकी बहुत तारीफ हो रही है सबसे अच्छा कॉम्पलिमेंट क्या था ?
– मेरी माँ को यकीं हो गया उस फिल्म को देखने के बाद कि मैं सही दिशा में जा रही हूँ। इस फिल्म के बाद बहुत सी लड़कियों ने मुङो गले लगाया रो भी रही थी क्योंकि वह इस दर्द से गुजर चुकी हूं.इंडस्ट्री से डायरेक्टर और प्रोडूसर ही नहीं बल्कि अभिनेत्रियों ने भी मेरे परफॉरमेंस की तारीफ की.
2. क्या वजह थी जो आपने फिल्म मैं और चार्ल्स को हां कहा.
– इस फिल्म के निर्देशक प्रवाल की फिल्म फोर नॉट फोर एरर देखी थी. वह एक स्मॉल फिल्म थी लेकिन बहुत ही अच्छी टॉपिक पर बनी थी. मैं और चार्ल्स का सब्जेक्ट रोचक है और मेरा रोल बहुत ही अच्छा था. यही सब वजह थे जो मैंने इस फिल्म को हां कहा. मुझे लगता है कि किसी भी समझदार एक्टर के लिए यह काफी होगा.
3. फिल्म में आपका किरदार क्या चार्ल्स की रियल लाइफ से लिया गया है आपने कितना होमवर्क किया ?
– मैं चार्ल्स की लव इंस्ट्रेस्ट हूं. (हंसते हुए) ये अलग बात है कि ऐसे आदमी के बहुत सारे लव इंट्रेस्ट होते हैं.यह प्यार के नाम पर ठगते हैं. मेरा किरदार रियल नहीं है. लॉ स्टूडेंट हैं. वह चाल्र्स को जेल से बाहर निकालने में उसकी मदद करती हैं. यह 80 के दशक पर बेस्ड़ फिल्म जरुर है लेकिन मुङो इस पर कुछ खास होमवर्क नहीं करना पड़ा. प्रवाल ने स्क्रिप्ट पर बहुत रिसर्च की है.वैसे यह रियल के साथ साथ ड्रामटीज़ ज़्यादा है. आमोद कान्त जिन्होंने चार्ल्स को पकड़ा था. वे प्रवाल के दोस्त हैं उन्होंने उनकी बहुत मदद की है. मैंने बस डॉक्यूमेंट्री देखी और थोड़ा लुक पर ध्यान दिया है.
4. क्या रियल लाइफ में आप ठगी गयी हैं.
– मसान के शूटिगं के दौरान बनारस में एक पंडित मिले थे. शूटिंग की आधे दिन की छुट्टी थी तो लगा चलो काशी विश्वनाथ चलते हैं.जैसे निकली थी ये पंडित महाशय साथ चलने लगे. मैंने माना किया तो बोलने लगे हम पंडित नहीं है.आपके भाई है. पैसे नहीं चाहिए. मैंने बोला ठीक है. आईए. मैं पैसे जानकर नहीं लाई थी कि पैसे नहीं होंगे तो ठगी नहीं जाउंगी ये सोचा था. बस एटीएम था. यही गलती गयी. मंदिर में पहुंचे वहां पास में कोई पूजा हो रही थी. मैं भी चली गयी. पूजा जैसे ही खत्म हुई, पैसे मांगना शुरू. मैंने बोला मेरे पास पैसे नहीं है. मैंने पैसे देने से मना किया तो वो पंडित महाशय जो मेरे भाई बने थे उन्होंने कहा आप मत दीजिए हम दे देते हैं.ऐसा बोलकर वह १५०० रुपये दे दिए. जैसे बाहर आए. मेरे पीछे पड़ गए पैसे दीजिये. आपके बदले मैंने दिए थे. मैंने बोला मैंने तो नहीं कहा था लेकिन वह मान ही नहीं रहा था. मैंने कहा पैसे नहीं है बोला एटीएम तो है. आखिर उसने मुझसे पैसे ले ही लिए. सारे धर्म संश्थान बस पैसे बनाने का जरिया बन गए है. वो कहते हैं ना जितना वेटिकन में पैसा है उतना पूरी अमेरिका की इकोनोमी में नहीं है.
5. क्या आप फिल्मों को लेकर बहुत ज़्यादा सेलेक्टिव हैं
– मुझे ये सब सुनकर अच्छा लगता है. मैं बहुत सेलेक्टिव हूँ’ लेकिन सच कहूँ तो मैं गलती नहीं कर सकती हूँ. मैं आउटसाइडर हूँ यह बात मैं जानती हूँ. फिल्म परिवार से आए एक्टर्स को जितने मौके मिलते हैं. मुझे उतने मौके नहीं मिलेंगे. एक्सपेक्टेंस है लेकिन हम तो मेहमान के साथ भी अच्छे ही होते हैं. मेहमान मेहमान ही रहेगा घर का सदस्य नहीं बन सकता. मैं यह बात जानती हूँ ,यही वजह है कि फिल्म ओए लकी ओए के बाद मुझे दो साल तक कुछ ऑफर नहीं मिला लेकिन मैंने कुछ भी करने के बजाय थिएटर में क्वालिटी वर्क किया. टीवी कमर्शियल किया. दो साल बाद मुझे गैंग्स ऑफ़ वासेपुर ऑफर हुई.
6. आपके अब तक के करियर में सबसे खास फिल्म कौन ‘सी है ?
– सारी फिल्में खास हैं क्यूंकि हर फिल्म ने कुछ सीखाया है. फुकरे में बहुत से दोस्त बनें. कॉमेडी करने का मौका मिला. पावरफुल फीमेल रोल था जिससे हीरो डरते हैं. बिग बजट फिल्म रामलीला ने लार्जर देन लाइफ फिल्मों का अनुभव दिया. अनुराग के साथ फिल्म करते हुए जाना कम पैसों में कैसे अच्छी फिल्में बनाते हैं. कैबरे में ग्लैमरस किरदार निभा रही हूँ. आमतौर पर लड़कियां पहले ग्लैमरस फिल्में करती हैं फिर मीनिंगफुल लेकिन मैंने पहले मीनिंगफुल किया अब ग्लैमरस रोल कर रही हूं.
7. इस फिल्म से आपने क्या सीखा
– ( हँसते हुए)कैसे लड़कों के द्वारा उल्लू न बनाएं जाएं. छंटे हुए बदमाश ने लड़कियों का इस्तेमाल करके कहां से कहां जाता है. जिस्मानी नहीं बल्कि मेंटली और फाइनेंसियल रूप से इस्तेमाल करने की मैं यहाँ बात कर रही हूँ. फिल्म में आपने देखा होगा किस तरह से चार्ल्स किसी लड़की के पासपोर्ट चुरा लेता था तो किसी लड़की के पैसे.
8. रणदीप हुडा लेडीज मैन कहे जाते हैं आपके साथ शूटिंग का अनुभव कैसा रहा है.
– वह बहुत अच्छे है. फ्रेंडली हैं प्रोफेशनल हैं और सबसे अच्छी बात वक्त के पाबंद है. वह कुछ मीटिंग्स में ही आपको सहज कर देते हैं. आपकी ङिाझक खत्म हो जाती है. यही वजह है कि इस फिल्म की शूटिंग के दौरान मैंने महसूस नहीं किया कि अरे यार मैं किसिंग सीन कैसे करूंगी. ये इंटीमेट सीन कैसे होगा.
9. निजी तौर पर किस तरह के सिनेमा से आपका जुड़ाव बचपन में था और आपकी परिभाषा एक्ट्रेसज की क्या थी.
– मैं लकी रही हूं कि मैं सिर्फ कमर्शियल हिंदी फिल्मों की दर्शक बचपन से नहीं रही हूं. मेरी मां मुङो सुभाष घई की फिल्म खलनायक भी ले जाती थी और श्याम बेनेगल की फिल्म अंकुर भी. जिस वजह से मुङो बचपन से ही पता था कि अलग अलग तरह का सिनेमा होता है. सिर्फ नाच गाना भर ही हिंदी सिनेमा नहीं है. वैसे नाच गाना वाले सिनेमा को लोग आसानी से भला बुरा कह देते हैं लेकिन वह करना बहुत मुश्किल होता है. मैं पूजा भट्ट की फिल्म कैबरे कर रही हूं. पूरी तरह से कमर्शियल फिल्म है. लिप सिंग है. बैकग्राऊंड में गाना नहीं बज रहा है. यह पैरेरल फिल्म नहीं है इसलिए बहुत मुश्किल है.
मुङो समझ नहीं आता कि करते कैसे हैं. विग, आई लेसेस, कोर्सेट,हाई हिल ,टाइट कपडे और ढेर सारा मेकअप लगाने के बाद डायरेक्टर कहता हैं मूड में. इतना कुछ अजीबोगरीब पहनकर कोई कैसे सहज रह सकता है. ऊपर से लिरिक्स याद रखना. चार चक्कर काटते हुए डांस करना है फिर मार्क पर आकर कैमरे में देखना है. कितना टफ है आप सोच नहीं सकते. हाल ही मैंने टेलीविज़न पर अलादीन देखी थी. फिल्म नहीं चली थी लेकिन बच्चन सर ने फिल्म में बहुत मेहनत की थी. ६ फुट का आदमी विग लगाकर मोटे मोटे लम्बे कपडे पहनकर इतनी गर्मी में अलादीन अलादीन गा रहा है. ये सब भी बहुत मुश्किल होता है.
10. आप ब्लॉग लिखती है, क्या कभी फिल्म की कहानी और निर्देशन कर सकती हैं
– इतनी मेहनत कौन करे. फिल्म की कहानी लिखना बहुत मेहनत का काम होता है. लगातार लिखते रहना पड़ता है. प्रवाल ने पांच साल रिसर्च की. पुलिस हब में जाना और केस की फाइल पढ़ना किरदार को समझना. फिर उस पर स्टोरी लिखना है. फिर एक्टर को समझाना उसके बाद एक्टर बोलेगा मुझे ये ऐसे नहीं ऐसा करना है. उसके बाद कोई हीरोईन बोल देती है कि मैं सलवार सूट नहीं पहनूंगी. उनकी बातों को मानते हुए अपने वीजन को समझाना ,बहुत धैर्य और हिम्मत का काम है. राइटिंग प्रोडक्शन डायरेक्शन बहुत मुश्किल काम है. मैं अपने ब्लॉग पर अपने अनुभव लिखना पसंद करती हूँ. कैंसर पर लिखा था. मसान पर लिखा है. कांस पर लिखा है. इस फिल्म के अपने अनुभव को लिखने की सोच रही हूँ.
11. आप ट्विटर पर कई सामाजिक मुद्दों पर लिखती रहती है, मौजूदा हालात पर आपका क्या कहना है
– हाँ मैं सिर्फ ब्यूटीफुल फेस नहीं हूँ ,मेरी एक सोच भी है. हालात बुरे हैं. हमारा चुनावी मुद्दा और राष्टीय समस्या’गाय है इससे ज़्यादा विडंबना क्या हो सकती है. मैं फ्रांस में एक फेमस चैट में मसान के कान में सिलेक्शन के दौरान गयी थी. मुझे लगा वह हमारी फिल्मों के बारे में पूछेंगी लेकिन वह कन्या भ्रूण हत्या ,दामिनी और रेप के बारे में पूछने लगी. विदेशों में हमारी छवि दिन ब दिन खराब होती जा रही है
11. आपकी आने वाली फिल्में कौन सी है
– ‘और देवदास’ उसके बाद ‘जिया और जिया’ होगी.