मुंबई : राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित अभिनेता राजकुमार राव ने राष्ट्रीय पुरस्कार लौटाने के फिल्म निर्माताओं के फैसले को एक ‘साहसी’ कदम बताते हुए कहा है कि वह उनके इस निर्णय का सम्मान करते हैं. राजकुमार को उनकी फिल्म ‘शाहिद’ के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है और दिबाकर की फिल्म ‘लव सेक्स और धोखा’ उनकी पहली फिल्म थी.
‘बढती असहिष्णुता’ के खिलाफ और एफटीआईआई छात्रों के समर्थन में इस सप्ताह के शुरु में दिबाकर बनर्जी और ‘हंटर’ के निर्देशक हर्षवर्द्धन कुलकर्णी सहित 10 फिल्मकारों ने अपने राष्ट्रीय पुरस्कार लौटा दिए. अभिनेता यहां आयोजित ‘17वें एमएएमआई मुंबई फिल्म महोत्सव’ से इतर संवाददाताओं से बात कर रहे थे. महोत्सव में हंसल मेहता की, वास्तविक जीवन से प्रेरित फिल्म ‘अलीगढ’ का प्रीमियर हुआ.
अभिनेता ने कहा, ‘एफटीआईआई से जुडा होने के नाते वहां के छात्र किस स्थिति से गुजर रहे हैं इसे मैं बखूबी समझ सकता हूं. जिन्होंने भी अपना राष्ट्रीय पुरस्कार लौटाया है वह एक बहुत साहसी कदम है. यह विरोध जताने का एक तरीका है… मैं उनके फैसले का सम्मान करता हूं.’
यह फिल्म प्रोफेसर श्रीनिवास रामचंद्र साइरस के वास्तवित जीवन से प्रेरित है, जिन्हें उनके लैंगिक विन्यास के कारण नौकरी से निकाल दिया जाता है. फिल्म का निर्देशन हंसल मेहता ने किया है और मनोज वाजपेयी ने इसमें अभिनय किया है.
यह पूछे जाने पर कि इतने बोल्ड विषय पर बनी फिल्म के लिए क्या सरकार से मुश्किल आ सकती है, इस पर ‘क्वीन’ के अभिनेता ने कहा, ‘सरकार…? फिल्म देश और दर्शकों के लिए बनाई गई है और आज वे हर तरह का सिनेमा देखने के लिए तैयार हैं. फिल्म में कुछ भी विवादास्पद नहीं है. ऐसी चीजें हमारे आसपास हो रही हैं.’