मुंबई : बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख खान ने अपने जन्मदिन के मौके पर कहा हम कभी महाशक्ति नहीं होंगे अगर हमने यह नहीं माना कि सभी धर्म समान हैं.’ अपने करियर में ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ ‘कुछ कुछ होता है’ और ‘बाजीगर’ जैसी कई बडी फिल्में देने वाले शाहरुख ने अपने जन्मदिन के मौके पर कहा कि दुनिया भर में फैले उनके करोडों प्रशंसक ही उनके सबसे अच्छे दोस्त हैं.
उन्होंने कहा, ‘मैं उन लोगों के साथ होना चाहूंगा जो मुझे प्यार देते हैं. मैं उनके बीच होता हूं तो मुझे अच्छा लगता है. मेरे लिए प्रशंसक दोस्त की तरह हैं….वे मेरे सबसे अच्छे दोस्त हैं. वे मुझे बिना शर्त प्यार करते हैं चाहे मैं कुछ भी करुं. दोस्त इस तरह के होने चाहिएं.’
उनके 50वें जन्म दिन पर फिल्म जगत से जुडे लोगों ने उनकी अच्छी सेहत और खुशी की कामना करते हुए उन्हें एक शानदार इंसान और एक महान प्रेरणा बताया है. कई लोगों ने शाहरुख के साथ काम करने के दौरान हुए कई दिलचस्प तजुर्बात को बयां किया है जबकि अन्य लोगों ने सोशल मीडिया पर बताया है कि कैसे अभिनेता ने उन्हें जीवन में बेहतर करने के लिए प्रेरित किया.
‘करण अर्जुन’ और ‘कुछ कुछ होता है’ जैसी फिल्म में शाहरुख के साथ काम करने वाले सलमान ने कहा, ‘मैं उन्हें जीवन में बेहतर करने की शुभकामना देता हूं, मैं उनके अच्छे स्वास्थ्य, परिवार और सफलता एवं सबसे अदभुत जीवन की कामना करता हूं. मैं चाहता हूं कि उनका पूरा परिवार स्वस्थ रहे.’
जन्मदिन पर बोले शाहरुख, असहिष्णुता से देश को नुकसान होगा मुंबई, दो नवंबर (भाषा) हिंदी सिनेमा के सुपरस्टार शाहरुख खान ने आज अपने जन्मदिन के मौके पर देश में ‘असहिष्णुता’ के खिलाफ आवाज बुलंद करते हुए कहा कि रचनात्मकता और धर्म को लेकर असहिष्णुता से राष्ट्र को नुकसान होगा. शाहरुख आज 50 साल के हो गए.
‘असहिष्णुता के माहौल’ को लेकर फिल्मकारों, वैज्ञानिकों एवं लेखकों द्वारा पुरस्कार लौटाए जाने और बढते विरोध के साथ अपनी आवाज जोडते हुए शाहरुख ने कहा कि उनके पास राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार नहीं है लेकिन दिबाकर बनर्जी और आनंद पटवर्धन जैसे फिल्मकारों के फैसले का वह सम्मान करते हैं, जिन्होंने अपने पुरस्कार लौटाए हैं.
देश के बुद्धिजीवी वर्ग के समर्थन में सामने आए शाहरुख सिनेमा की सबसे बडी शख्सियत हैं. वह अपने 50वें जन्मदिन के मौके पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे. उन्होंने कहा, ‘अगर रचनात्मकता को लेकर असहिष्णुता, धर्म के जरिए असहिष्णुता होगी, तो हम उस हर कदम को वापस खींच रहे हैं जो देश आगे की ओर बढा रहा है.’
सुपरस्टार ने कहा, ‘मुझे लगता है कि रचनात्मकता बहुत सुरक्षित है. इसका कोई धर्म, जाति या पंथ नहीं है….रचनात्मक लोगों को यह नहीं बताया जाना चाहिए कि रचनात्मकता का किस धर्म से ताल्लुक है.’ उन्होंने कहा, ‘जब हम रचनात्मकता पर सवाल खडे करना आरंभ करते हैं तो हम देश का बुरा कर रहे हैं.’
‘खोसला का घोसला’ के निर्देशक बनर्जी की ओर से राष्ट्रीय पुरस्कार लौटाए जाने के फैसले की अनुपम खेर और मधुर भंडराकर ने आलोचना की थी, लेकिन शाहरुख ने कहा कि सहिष्णुता का मतलब यही है कि वे अलग विचार रखने के लिए स्वतंत्र हैं.
उन्होंने कहा, ‘जब प्रतीकात्मक रुप से किसी ने ऐसा किया है तो वे न सिर्फ साहसी हैं बल्कि यह एक बडा रुख है. मुझे लगता है कि यह करना सही चीज है. मैं प्रतीकात्मक रुप से उनके साथ हूं.’ इससे पहले दिन में शाहरुख ने कहा कि वह ‘प्रतीकात्मक रुख’ के तौर पर अपना पुरस्कार लौटाने में नहीं हिचकेंगे लेकिन उनको महसूस होता है कि उन्हें ऐसा नहीं करना है. शाहरुख के पास पद्मश्री सहित कई सम्मान हैं.
शाहरुख ने कहा, ‘अनुपम खेर, दिबाकर बनर्जी, मधुर भंडारकर सभी की अपनी राय है. हमारे देश में सहिष्णुता का मतलब है कि आप अपने विचार प्रतीकात्मक रुप से रखें और यह शानदार बात है. मैं उम्मीद करता हूं कि (पुरस्कार लौटाने की) प्रतीकात्मकता से कुछ अच्छा निकलना चाहिए.’ उन्होंने कहा, ‘वैसे भी मैं रचनात्मकता के लिए हूं. मेरे पास राष्ट्रीय पुरस्कार नहीं है इसलिए पहले मुझे पुरस्कार दीजिए और फिर इसे लौटाने की बात करिए.’
इससे पहले शाहरुख ने एक चैनल से कहा, ‘असहिष्णुता है, घोर असहिष्णुता है. मुझे लगता है कि असहिष्णुता बढ रही है.’ सुपरस्टार ने कहा, ‘असहिष्णु होना मूर्खता है और यह सिर्फ हमारा एक मुद्दा नहीं बल्कि सबसे बडा मुद्दा है. देश में धार्मिक असहिष्णुता और धर्मनिरपेक्ष नहीं होना सबसे जघन्य तरह का अपराध है जो आप एक देशभक्त के रुप में कर सकते हैं.’
यह पूछे जाने पर वह अपना पद्मश्री पुरस्कार लौटाएंगे, तो शाहरुख ने कहा, ‘हां अगर मैं ऐसा करता हूं तो मेरा मतलब प्रतीकात्मक रुख के तौर पर होगा.’ इसके साथ ही उन्होंने कहा, ‘जिन लोगों ने सम्मान लौटाएं हैं मैं उनका सम्मान करता हूं, लेकिन मैं ऐसा नहीं करुंगा.’
अपने विचार को विस्तृत रुप से रखते हुए शाहरुख ने कहा, ‘लोग सोचने से पहले ही बोल देते हैं और यह धर्मनिरपेक्ष देश है. पिछले 10 वर्षों में यह देश शायद हमारी सोच के दायरे से आगे निकल रहा है.’ शाहरुख ने विरोध में अभिनेताओं के शामिल नहीं होने को लेकर हो रही आलोचना का भी जवाब दिया. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि एक स्टार होने उनका हर नैतिक मुद्दे पर कोई स्टैंड लेना मुश्किल है.
अभिनेता ने कहा, ‘हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के बारे में बात कर सकते हैं. लेकिन लोग मेरे घर के बाहर आते हैं और पत्थर फेंकते हैं…..अगर मैं कोई स्टैंड लेता हूं तो उसपर डटा रहूंगा.’