सेंसर बोर्ड खत्म किया जाए : रामगोपाल वर्मा

नयी दिल्ली : राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता राम गोपाल वर्मा का मानना है कि आज के त्वरित सूचना के दौर में सेंसर बोर्ड गैर प्रासंगिक जान पड़ता है. फिल्म प्रमाणन सेंसर बोर्ड के प्रमुख पहलाज निहलानी जेम्स बांड की नवीनतम फिल्म ‘स्पेक्टर’ में चुंबन का दृश्य छोटा करने को लेकर निशाने पर आ गए हैं. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 29, 2015 7:32 PM

नयी दिल्ली : राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार विजेता राम गोपाल वर्मा का मानना है कि आज के त्वरित सूचना के दौर में सेंसर बोर्ड गैर प्रासंगिक जान पड़ता है. फिल्म प्रमाणन सेंसर बोर्ड के प्रमुख पहलाज निहलानी जेम्स बांड की नवीनतम फिल्म ‘स्पेक्टर’ में चुंबन का दृश्य छोटा करने को लेकर निशाने पर आ गए हैं.

वर्मा ने कहा कि वह महसूस करते हैं कि निहलानी आखिर अपना काम कर रहे हैं और यह वह निकाय ही है जिसे खत्म करने की जरुरत है. उन्होंने टाईम्स लिटफेस्ट के मौके पर कहा, ‘‘आज कोई भी अपने सेलफोन से अश्लील सामग्री हासिल कर सकता है यदि उसे इच्छा हो. उस तरह की डिजिटल दुनिया में हम रहे रहे हैं, लेकिन ऐसे में चार लोग आपस बैठते हैं और वे बाकी दुनिया के लिए तय करते हैं कि उन्हें क्या देखना चाहिए और क्या नहीं, इस तरह की चीज वाकई बकवास है. ”
उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस बात से भी सहमत हूं कि वह (पहलाज) आखिर अपना काम कर रहे हैं, दिशानिर्देशों एवं नियमों के अनुसार चल रहे हैं…… मैं समझता हूं कि सेंसर बतौर तंत्र खत्म कर दिया जाए. ” निर्देशक सह निर्माता सेंसर बोर्ड के टीम सदस्यों के बदलने के साथ ही सेंसरशिप का स्तर बदल जाता है.
उन्होंने कहा, ‘‘जब ‘सत्या’ (फिल्म) का सेंसर किया गया तब पहली बार उन्होंने (सेंसर) कुछ अभद्र शब्दों को रहने दिया क्योंकि उन्होंने महसूस किया कि यह बिल्कुल ही फिल्म का हिस्सा है और उसे हटा देने से फिल्म का स्वरुप में भरभरा जाएगा. यह खास चीज उन खास सदस्यों के समय हुआ.”
वर्मा (53) ने कहा, ‘‘सदस्यों के अन्य सेट की सोच कुछ भिन्न रही. जब ‘बैंडिट क्वीन’ का सेंसर किया गया तब कई कांटछांट किए गए. जब शेखर (कपूर) समीक्षा समिति में गए तब वे फिल्म पर पाबंदी लगाना चाहते थे. जब वह न्यायाधिकरण में गए तब उन्होंने कहा कि इसे बिना कांटछांट के जारी किया जाए. अतएव सदस्यों के तीन सेट के भिन्न भिन्न दृष्टिकोण थे. यह अपने आप में एक बड़ी समस्या है……” जब उनसे पूछा गया कि क्या समस्या व्यापक सरकारी नीतियां को लेकर है, वर्मा ने जवाब दिया, ‘‘हां, यह कानून पुराना पड चुका है.”

Next Article

Exit mobile version