रुपहले पर्दे की करिश्माई जोड़ी शाहरुख खान और काजोल की पांच साल बाद फिल्म ‘दिलवाले’ से वापसी कर रही हैं. बेबाक और बिंदास काजोल इस फिल्म को अपनी और शाहरुख की अब तक की लवस्टोरीज वाली फिल्मों से अलग करार देती हैं साथ में यह भी कह जाती हैं कि उनकी बेटी नेसा की ख्वाहिश थी कि वह रोहित शेट्टी की फिल्म करें और इस फिल्म के जरिए उसकी यह ख्वाहिश भी पूरी हो गयी हैं. उर्मिला कोरी से हुई बातचीत के प्रमुख अंश :
1. आपकी बेटी नेसा को रोनी धोनी वाली फिल्में पंसद नहीं हैं निजी तौर पर आप एक स्क्रिप्ट में क्या देखती हैं.
– मैं पर्सनली बहुत किताबें पढ़ती हूं इसलिए स्क्रिप्ट मेरे लिए एक अच्छी किताब होनी ही चाहिए. किरदार भी बहुत जरूरी है. मैं पिक्चरें करती हूं क्योंकि मुझे काम करना पसंद है. फिल्मों को हां बोलने का मतलब हैं कि आपको अपने कम से कम अपने 100 दिन फिल्मों को देना होगा. आपको बच्चों को छोड़ना होगा. उनसे जुड़े काम, खुद से जुड़े काम. मैं फिल्मों में काम नहीं करती हूं तो इसका मतलब ये नहीं है कि मेरे पास काम नहीं होता है.
मैं सुबह से रात तक बिजी रहती हूं. मेरे बच्चे, मेरा परिवार,मेरी किताबें, मेरा वर्कआउट सबकुछ इसमे शामिल होता है. मेरी पूरी लाइफ सेट हैं और फिल्मों को हां कहने का मतलब है कि अपनी सेट लाइफ और बच्चों को छोड़कर आपको उसे देना होगा. ऐसे में आपको उस फिल्म पर 300 प्रतिशत भरोसा होना होगा कि हां मुझे ये फिल्म करनी है तो ही मैं उस फिल्म से जुड़ती हैं.
2. शादीशुदा आप शायद ऐसी पहली अभिनेत्रीहोंगी,जिनकेपास इतने सारे फिल्मों के विकल्प मौजूद हैं.
– सबसे पहले मैं यह श्रेय नहीं लेना चाहूंगी कि मैं शादीशुदा होकर भी आज भी डिमांडिग हूं. मुझे ही अच्छे ऑफर्स मिल रहे हैं. ऐसा नहीं हैं. नर्गिस से सायरा बानो तक शर्मिला टैगोर तक ऐसी बहुत सारी अभिनेत्रियां रही हैं. जो शादी के बाद भी लगातार फिल्मों में अच्छा काम किया. मेरी खुद की मां तनुजा भी शादी के बाद भी फिल्मों में काम करती रही.
जिन अभिनेत्रियों ने फिल्में शादी के बाद नहीं की. वो उनका खुद का निजी फैसला था. उसका इंडस्ट्री से आॅफर मिलने या न मिलने का सवाल ही नहीं था सो मैंने कुछ बड़ा काम नहीं किया है. जहां तक बात उम्र की हैं तो उम्र एक्टिंग में तो मायने नहीं रखती है. वो तो आंखें हैं जो आपको कैमरे पर बता जाती हैं कि आप थक चुके हैं या अभी भी आप में वह स्पार्क मौजूद हैं. चेहरे की लाइनें नहीं, वो तो मेकअप से छुप जाती हैं.
3. पांच साल बाद आपने ‘दिलवाले’ की शूटिंग की हैं, शूटिंग के दौरान घर को बच्चों को क्या मिस करती थी.
– मैं पलों को जीती हूं. ऐसा नहीं हैं कि अभी आपके साथ बात कर रही हूं तो अपने बच्चों या पति के बारे में सोचूंगी. जिस वक्त जहां हूं. वह पर 300 प्रतिशत तक हूं. अगर घर में हूं तो सेट की कोई बात नहीं सोचती हूं और सेट पर हूं तो घर की बात नहीं सोचती हूं. यह बात मुझे मेरे परिवार ने ही सीखायी है. फिल्मों से जुड़ा मेरे नानी, मासी, मां, दादा और डैड की लंबी लीगासी रही है. उन्होंने ही मुझे सीखाया है कि टैलेंट से भी बड़ी चीज होती है. काम का सम्मान करना.
अपना काम पूरी ईमानदारी और मेहनत से करो. काम से दिक्कत मत करो और टेकेन फॉर ग्रांटेड तो कभी मत लो. वैसे अपने बच्चों के होते हुए भी मैं इसलिए भी यह बात फॉलो कर पाती हूं क्योंकि मुझे खुद पर और मेरे सपोर्ट सिस्टम बहुत भरोसा है. हम औरतें मल्टीटास्किंग होते हैं. बचपन से ही हमें सीखाया जाता है कि हमें स्कूल भी जाना है, बिस्तर भी बनाना है, बहन को भी देखना है. एक साथ इतनी सारी जिम्मेदारी बचपन से ही उठाते-उठाते, बड़े होने तक हम मल्टीटास्किंग हो जाते हैं.
काम और घर आसानी से मैनेज कर लेते हैं. मेरे काम को और ज्यादा आसान मेरा सपोर्ट सिस्टम बना देता है. मेरी मां, बहन, सास, ससुर और पति सभी हैं मेरे लिए. मेरे बच्चों के लिए हैं. मुझे पता है कि कोई इमरजेंसी होगी तो वो मुझे कॉल करेंगे. वरना वो लोग बच्चों का मुझसे भी ज्यादा अच्छा ख्याल रखते हैं. मैं तो उन्हें डांटती हूं लेकिन वो सभी सिर्फ प्यार करना जानते हैं.
4. आप अपनी रियल लाइफ की किस भूमिका को अपने दिल के बेहद करीब मानती हैं?
– मेरी कोशिश रहती हैं कि मैं सभी भूमिकाओं को बखूबी निभा सकी फिर चाहे वह बेटी, बहन,पत्नी, बहू या मां का हो लेकिन निजी तौर पर मैं मां की भूमिका में शायद सबसे ज्यादा संतुष्ट और सफल हूं. मैं 8 साल की उम्र से ही मां बनना चाहती थी. मां ने कहा कि 12 साल की हो जा, फिर जब 12 साल की हुई तो मां ने कहा कि थोड़ा और रुक जा (हंसते हुए)फिर जब 18 की हुई तो मैंने ही कह दिया कि शादी तक मैं ही रुक जाती हूं.
मां के तौर पर मैं हिटलर और मदर का सही कॉमिबेनेशन होऊं. मैं बहुत ही ज्यादा अपने बच्चों को प्यार करती हूं उनके लिए मैं अपनी आत्मा को भी गिरवी रख सकती हूं लेकिन उन्हें कुछ बातों को सीखाने के लिए मारती भी हूं. मुझे दिन भर उनके साथ समय बिताना बहुत पसंद है. उनके साथ किताबें पढते हुए कार्टून चैनल देखना हो या उनके साथ बच्चों की फिल्में देखकर हंसना मैं सब करती हूं. हां मैं वो टिपिकल मां नहीं हूं.
जो अपने बच्चों के लिए टेस्टी टेस्टी खाना बनाती हैं. मुझे खाना बनाना पसंद नहीं है. (हंसते हुए )अरे जरुरत भी नहीं है. मेरी मां, बहन, सास, ससुर, अजय और अब तो मेरी बेटी नेसा वो भी बहुत अच्छा खाना बनाती हैं. जब घर में सभी लोग खाना बनाने में माहिर हैं तो कोई तो खाने वाला होना चाहिए इसलिए मैं सिर्फ खाने का काम करती हूं.
5. आप और अजय सेलिब्रिटी हैं क्या आपके बच्चों को इसका एहसास है ?
– हां उन्हें यह बात पता है कि मॉम डैड सेलिब्रिटी हैं, मैंने भी इस बात को ध्यान में रखते हुए अपने बच्चों को कुछ बाते सीखायी हैं जैसे कि एयरपोर्ट पर जा रहे हैं या किसी सार्वजनिक जगह पर तो मेरे पास ही खड़े रहना, हाथ पकड़कर. ऐसे कपड़े पहनना है. ऐसे नहीं. ये सब सीखाना बुरा भी लगता है लेकिन जरुरत भी है. मुझे याद है एक बार जयपुर के पास अजय की फिल्म की शूटिंग चल रही थी. हमने अजमेर शरीफ जाने का प्लान बनाया. अचानक से कैसे प्रेस को पता चल गया या फिर शायद कोई एमपी भी आ रहा था. कुछ तो हुआ था. इतनी भीड़ आ गयी थी और हमको देखकर तो पूछो मत. नेसा तो डर गयी. जोर जोर से रोने लगी थी.
उस वक्त वो सिर्फ दो साल की थी. मैंने उसे गले लगाकर तेजी से चलते हुए अपनी गाड़ी तक पहुंची थी. वैसे यह भी नहीं है कि इस घटना के बाद मैं बच्चों के साथ कहीं बाहर नहीं जाती हूं. सेलिब्रिटी हैं लेकिन मेरे बच्चों को भी तो मन होता होगा. मम्मी पापा के साथ मॉल जाने फिल्में जाने का जैसे दूसरे बच्चें जाते हैं इसलिए मुझे जब भी मौका मिलता है. मैं उनके साथ मॉल या फिल्म जाने से खुद को रोकती नहीं हूं. आखिरकार मैं अपने इर्द गिर्द इतनी दीवारें क्यों बनाऊं जिनका खामियाजा मेरे बच्चे भुगतें.
आपने अपने कैरियर में कमर्शियल मसाला फिल्मों को ज्यादा प्रमुखता दी है.हां क्योंकि मैं विश्वास करती हूं कि कमर्शियल फिल्में भी आर्ट है. आर्ट और कमर्शियलसिनेमा के बीच किसने लाइन खींची है.मुझे वो लाइन समझ नहीं आती है. मैंने अब तक जो भी फिल्में की है मेरी सभी फिल्में मेरे लिए आर्ट हैं क्योंकि सिनेमा आर्ट है. चूंकि मैंने मेकअप उतारकर नहीं रोया इसलिए मेरी फिल्में आर्ट नहीं हैं. मेकअप उतारकर रोती तो वो आर्ट बन जाती. वैसे हम पिक्चरें बनाते हैं लोगों का दिल बहलाने के लिए, उनको खुशी देने के लिए उनका मनोरंजन करने के लिए वरना तो होम वीडियो ही बना लो ना. जब सिर्फ अपने लिए ही फिल्में बनानी हैं तो. मैं अपने बच्चों के साथ मिलकर रोज एक वीडियोज बनाती हूं अब क्या मैं उन्हें भी रिलीज कर दूं.
6. आपके स्वभाव में अब भी वो 16 साल वाला बिंदास अंदाज हैं लेकिन अब आप अपने लुक को लेकर ज्यादा फिक्रमंद हो गयी हैं?
– मैं बहुत ही केयर फ्री हूं. मेरे बारे में आप क्या सोचते हैं. दूसरा कोई क्या सोचता है. मुझे फर्क नहीं पड़ता है. मुझे अपने बारे में कुछ छुपाने की जरुरत नहीं है.वैसे छुपाने चाहती भी नहीं हूं. लेजी हूं इसलिए ज्यादा इजी रहती हूं. जैसी हूं वैसी ही है. हां अब समय हैं इसलिए मेरी च्वाइस अब कपड़ो में भी दिखती हैं वरना पहले फिल्मों की शूटिंग के बाद इतना समय ही नहीं बच पाता था कि अपनी दस घंटे की नींद और किताबों से अलग कुछ सोचूं.
वैसे अब तो लुक पर ज्यादा ही हायतौबा मचने लगा है. सबके पास ओपिनिएन जो है. कभी-कभी प्रेशर भी ले लेती हूं. हाल ही में हैदराबाद से मैं सवा सात बजे की मुंबई फ्लाइट के लिए एयरपोर्ट पर पहुंची थी. छह बजे होंगे. मैं रटफटी अपनी जिंस और टीशर्ट में थी. वहां भी फोटोग्राफर पहुंचा था. अरे इतनी सुबह कौन मेकअप और अच्छे कपड़े पहनकर जाएगा. (हंसते हुए) फोटोग्राफर को भी बुरा लग रहा है कि मेरी फोटो क्यों ले रहा है. बेचारे सा मुंह बना कर प्लीज प्लीज एक फोटो कर रहा था. उसका काम जो था फिर चाहे मैं जैसे भी दिखूं. मैं तो प्रे कर रही थी उसका कैमरा आउट फोकस जाए क्योंकि कल फोटो जब न्यूजपेपर में आती तो मेरे ड्रेसिंग पर लंबा चौड़ा कमेंट भी होता. वैसे मैं ज्यादा नहीं सोचती मन हुआ तो पजामा में भी निकल जाती हूं. जो लिखना है लिखो.