मशहूर फिल्म निर्माता प्रकाश झा ने प्रभात खबर कार्यालय में साझा किये अपने अनुभव

इंटरटेनमेंटडेस्क मशहूर फिल्म निर्माता-निर्देशक प्रकाश झा आज रांची के कोकर स्थित "प्रभात खबर"कार्यालय पहुंचे. इस दौरान उन्होंने अपनी नयी फिल्म "जय गंगाजल" के बारे में बात की. उन्होंने अपनी फिल्म, अपने निजी जीवन के अनुशासनव प्रभात खबर से अपनी समानताएं प्रभात खबर परिवार के साथ साझा की. उन्होंने कहा कि मेरे फिल्मी करियर की शुरुआत […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 1, 2016 7:43 PM
इंटरटेनमेंटडेस्क
मशहूर फिल्म निर्माता-निर्देशक प्रकाश झा आज रांची के कोकर स्थित "प्रभात खबर"कार्यालय पहुंचे. इस दौरान उन्होंने अपनी नयी फिल्म "जय गंगाजल" के बारे में बात की. उन्होंने अपनी फिल्म, अपने निजी जीवन के अनुशासनव प्रभात खबर से अपनी समानताएं प्रभात खबर परिवार के साथ साझा की. उन्होंने कहा कि मेरे फिल्मी करियर की शुरुआत रांची से हुई थी. मैंने हिप-हिप हुर्रे फिल्म की शूटिंग भी यहीं की. आज भी जब कभी झारखंड आता हूं तो सोचता हूंकि अभी बहुत कुछ करनाबाकी है. मैं कहीं भी रहता हूं 5 बजे उठता हूं और 10 से साढ़े 10 बजे तक सो जाता हूं और मेरा मोबाइल आॅफ हो जाता है. कहीं भी रहूं विहान की बेला,प्रभात देखना मेरे लिए जरूरी होता है. क्योंकि इसी वक्त कुछ नया करने की ऊर्जा मिलती है,कुछनयादिखताहै.
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अपनी फिल्मों के विषय के चयन के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि मेरी रुचि इस बात पर रहती है कि समाज चलता कैसे है? उन्होंने 1990के दौर को याद करते हुए कहा कि 90 की दशक की शुरुआत दो बड़े बदलावों के लिए जानी जाती है. इसी दशक में आरक्षण और ओपेन मार्केट आया. इससे लोगोंकी सोच बदली, संबंध बदले, उत्कंठाएं बदलीं. अच्छा हुआ, बुरा हुआ इसका फैसला करना मेरा काम नहीं, बल्कि इसी सच्चाई को लोगों को सामने रखना चाहता हूं.
गंगाजल के बारे में बात करते हुए कहा कि 2003 में जब गंगाजल में इस बात को दिखाने की कोशिश की गयी थी कि कैसे आरक्षण की व्यवस्था एक सेचुरेशन प्वाइंट में पहुंच गयीथी. इसके बाद की कहानी गंगाजल में दिखी. अपहरण में राजनीति ने किस तरह से क्राइम का औद्योगिकीकरण किया वो दिखाया गया.
उन्होंने कहा कि यथार्थवादी फिल्मों का निर्माण करना बेहद कठिन होता है. क्योंकि, आप जिस सिनेमा हॉल में मेरी फिल्में देखते हैं, वहीं मस्तीजादे भी लगती है. ऐसे में किसी जटिल विषय को मनोरंजक फिल्म के रूप में पेश करना बेहद चुनौतीपूर्ण कार्य होता है.
क्या है जय गंगाजल की स्टोरी
प्रकाश झा ने बताया कि "जय गंगाजल " की स्टोरी की प्रेरणा उस वक्त मिली जब महाराष्ट्र कैडर के आइपीएस अधिकारी ने विमान यात्रा के दौरान बताया कि पुलिसिंग नाम की कोई चीज नहीं रह गयी है. पुलिस स्वतंत्रतापूर्वक काम नहीं कर सकती है. उन्होंने कहा जब कोई चाहता है तब ही आप कुछ कर सकते हैं. एक ऑफिसर को कई जगहों पर किसीकी गिरफ्तारी के लिए सफाई देनी पड़ती है. नेता, मंत्री, मीडिया. कार्रवाई के पहले दस बार सोचना पड़ता है. जय गंगाजल की कहानी एक ईमानदार पुलिस ऑफिसर की कहानी है जो एक दबंग के अहसानों तले दबे परिवार से आती हैं. ऐसे में एक तरफ उसे अपने कृतज्ञता को जताने की चुनौती है, वहीं दूसरी ओर अपने ड्यूटी भी निभानी है.
पुलिस ऑफिसर की पोस्टिंग नेताजी अपने इलाके में करवाते हैं, यह सोच कर कि वह अपने एहसानों का कर्ज चुकाएगीं. लेकिन पुलिस ऑफिसर नेता के गलत कामों का विरोध करते हुए कहती है कि एकेडमी में हमें ईमानदारी की शपथ दिलायी जाती है. नेता का जवाब होता है: तुम्हारी एकेडमीकी उड़ान और बॉंकीपुर के जमीन में फर्क होता है. पुलिस ऑफिसर कहती है सर, एक दिन यही खाकी वर्दी आपको गिरफ्तार करेगी.
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इस दौरान प्रभात खबर केवरिष्ठ संपादक (झारखंड)अनुज सिन्हा नेप्रकाश झा का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि प्रभात खबर और प्रकाश झा दोनों में काफी समानताएंहैं.जैसे सामाजिकमुद्दों व मूल्यों के विषय को प्रभात खबर नफा नुकसान की परवाह किये बिना उठाता है, उसी तरहप्रकाश झा भी नफा नुकसान की परवाह किये बिना सामाजिक मुद्दों को अपनेफिल्मोंमेंउठाते हैं. प्रकाश झा ने कहा कि प्रभात खबर अगर इन मान्यताओं पर सरवाइव कर सकता है, तो हमें हौसला मिलता है कि हम भी कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि जब हम मान लें कि क्या करना चाहते हैं तो चीजें आसान हो जाती है. प्रकाश झा के साथ अभिनेता मानव कौल भी प्रभात खबर कार्यालय आये थे और उन्होंने अपने विचार साझा किये. कार्यक्रम के दौरान प्रभात खबर के एमडी केके गोयनका ने स्मृति चिह्न देकर प्रकाश झा को सम्मानित किया.कार्यक्रम का संचालन प्रभात खबर के वरिष्ठ सहयोगी विनय भूषण ने किया.

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