फिल्म रिव्यू : ठहराव है आदित्य-कैटरीना की ”फितूर” में, VIDEO
II अनुप्रिया अनंत II फिल्म : फितूर कलाकार : तब्बू, आदित्य रॉय कपूर, कैटरीना कैफ निर्देशक : अभिषेक कपूर रेटिंग : 3 स्टार अभिषेक कपूर ने इससे पहले फिल्म रॉक ऑन और काय पो चे का निर्माण किया है. यह अभिषेक की खूबी है कि उनकी तीनों ही फिल्में एक दूसरे से भिन्न हैं और […]
II अनुप्रिया अनंत II
फिल्म : फितूर
कलाकार : तब्बू, आदित्य रॉय कपूर, कैटरीना कैफ
निर्देशक : अभिषेक कपूर
रेटिंग : 3 स्टार
अभिषेक कपूर ने इससे पहले फिल्म रॉक ऑन और काय पो चे का निर्माण किया है. यह अभिषेक की खूबी है कि उनकी तीनों ही फिल्में एक दूसरे से भिन्न हैं और इस वजह से वे काफी विश्वास जगाते हैं. बतौर दर्शक उनकी फिल्मों को लेकर उत्सुकता रहती है. इस बार वे प्रेम कहानी लेकर आये हैं. वैलेंटाइन डे के मौके पर रिलीज हुई यह फिल्म प्रेम की एक अलग कहानी कहती है. प्रेम की कई परिभाषाएं हैं और फिल्मी परदे पर उन्हें कई रूपों में दर्शाया जाता रहा है.
फितूर उस प्रेम की कहानी है, जिसमें अपने पहले प्यार को जिंदगी में सबसे अधिक तवज्जो दी गयी है. फिल्म की सबसे खूबसूरत बात यह है कि फिल्म का बैकड्रॉप कश्मीर को चुना गया है, यह शहर यों ही खूबसूरती की मिसाल नहीं है. अभिषेक ने कश्मीर को अपनी फिल्म के जरिये से फिल्मी परदे पर बेहद खूबसूरत दिखाया है. इस फिल्म में कश्मीर में जितने चार चांद लगे हैं. उतनी ही खूबसूरती फिल्म के कलाकारों को भी प्रदान की गयी है. यही वजह है कि फिल्म आकर्षित करती है. यह केवल एक प्रेमी जोड़ी पर आधारित नहीं है, बल्कि फिल्म में प्रेम के कई रूप प्रस्तुत किये गये हैं. यहां हर किसी के प्यार में फितूर है. निर्देशक ने इसे बखूबी परदे पर उकेरा है.
एक तरफ यहां उन दो बच्चों के बीच बचपन में पनपी प्रेम कहानी है. तो दूसरी तरफ उस प्रेमिका की कहानी है, जिसे अपने प्रेमी पर इस कदर विश्वास था कि वह उसके लिए अपनी शानओशौकत को भी लात मार कर निकल आती है. लेकिन उसे प्यार में धोखे मिलते हैं. तो तीसरी तरफ बेगम के इश्क में इस्लामाद के महाराज इस कदर पागल रहते हैं कि भले ही उनकी शादी न हो पायी हो. लेकिन फिर भी वे बेगम से अपने इश्क को झुठला नहीं पाते.
निर्देशक ने कश्मीर को लेकर होने वाली राजनीति पर बस स्पर्श मात्र किया है. इस वजह से फिल्म में आतंकवाद और बम धमाके कराये गये हैं. फिल्म का सबसे खूबसूरत हिस्सा बेबी फिरदौस और बाबा नूर की प्रेम कहानी है. इसे बाल कलाकार इस्टेला और तुनिषा शर्मा ने बहुत ही मासूमियत से निभाया है. यह निर्देशक की पारखी नजर है, जिसने छोटे नूर और छोटी फिरदौस की तलाश बखूबी की है.
दोनों ने ही कश्मीरी लहजे को बखूबी पकड़ा है और स्क्रीन पर उनकी उपस्थिति काफी प्रभावित करती है. लेकिन जब वे बच्चे बड़े हो जाते हैं और कैटरीना व आदित्य के रूप में सामने आते हैं तो आदित्य के लहजे से कहीं से भी नहीं लगता कि वह कश्मीर से संबंध रखते हैं. वह कश्मीरी लहजे को ठीक से नहीं पकड़ पाये हैं. या शायद निर्देशक ने इसकी खास जरूरत नहीं समझी होगी. फिल्म की एक किरदार, जो सबसे ज्यादा रोमांच कायम करती है.
वह हैं बेगम हजरत, जिसे तब्बू ने निभाया है. अपने पहले दृश्य से लेकर अंतिम दृश्यों तक तब्बू ने फिल्म में जान डाल दी है. न सिर्फ उन्होंने बेगम के लहजे, उनके तौर तरीकों और लिबाज को बारीकी से पकड़ा है, बल्कि उन्होंने अपने किरदार को लुक के लिहाज से भी काफी खूबसूरती प्रदान की है. उनके संवाद, उनकी आंखों की भाषा और उनके तंज करने का अंदाज बेहद खास है. उन्होंने हर दृश्य में अपने अभिनय को एक रेंज दिया है. तब्बू की यह खूबसूरती है कि वे अपनी संवाद अदायगी में वह स्वभाविकता ले आती हैं.
फिल्म में प्रेम कहानियों को कई एंगल दिये हैं. फिल्म का एक रोचक एंगल अजय देवगन के किरदार और नूर के बीच दिखाई गयी है. निर्देशक ने फिल्म की मेकिंग में अपनी छाप छोड़ी है, उन्होंने फिल्म के लुक, फिल्म के ट्रीटमेंट को हर लिहाज से खूबसूरती प्रदान की है. लेकिन फिल्म की कहानी में नयेपन की कमी लगती है. खासतौर से फिल्म का अंत बेहद कमजोर है. फिल्म के गीत माहौल और मौके के हिसाब से बिल्कुल फिट बैठे हैं. यह बेहद कर्णप्रिय हैं और कश्मीर की वादियों के लिहाज से बिल्कुल फिट बैठे हैं.
कैटरीना ने फिल्म में भरपूर कोशिश की है. उनकी मेहनत दिखती है. फिल्म में उनके लुक को अलग करने की पूरी कोशिश की गयी है. ादित्य रॉय कपूर को फिल्म में बड़ा कैनवास मिला है. उन्होंने एक आर्टिस्ट की भूमिका अच्छी निभायी है. लेकिन उन्हें अपनी संवाद अदायगी पर और अधिक काम करने की जरूरत है. हिंदी सिनेमा के परदे पर एक अलग प्रेम कहानी प्रस्तुत की है. खासियत यह है कि इस प्रेम कहानी में ठहराव है, जो लुभाती है. फिल्म ग्रेट एक्सपेक्टेशन नोबेल पर आधारित है. लेकिन निर्देशक ने अपने मास्टर स्ट्रोक्स दिये हैं. यही बात फिल्म को खास बनाती है.