II उर्मिला कोरी II
फिल्म: सनम रे
निर्माता : टी सीरिज
निर्देशक: दिव्या खोंसला कुमार
कलाकार: पुलकित सम्राट, यामी गौतम, उर्वशी राउतेला, रिषी कपूर और अन्य
रेटिंग : डेढ
‘यारियां’ के बाद दिव्या खोंसला कुमार ‘सनम रे’ को लेकर आई हैं. उनकी पिछली फिल्म दोस्ती की कहानी थी तो सनम रे लवस्टोरी फिल्म है. यह एक प्रेम त्रिकोण फिल्म है. उनकी पिछली फिल्म की तरह यह फिल्म भी उन्होंने युवा दर्शकों को ध्यान में रखकर ही बनायी है लेकिन फिल्म की कहानी वही घिसी पिटी सी है. सालों पुराना बॉलीवुड का फामरूला जो कई सौ फिल्मों में दिखाया जा चुका है.
वही फ्लैशबैक में स्टोरी का आना जाना, लव ट्रायंगल, टीनएज लवस्टोरी, गर्लफ्रेंड प्यारी सी तो ग्लैमरस ट्रायगल, प्यार में बलिदान, कैरियर को तवज्जो देना फिर एहसास होना कि प्यार जिंदगी में सबसे बड़ी खुशी है. इन्हीं सब रटे रटाएं इमोशन पर फिल्म की कहानी बुनी गयी है. फिल्म की कहानी आकाश (पुलिकत सम्राट) की है, जो अपने शहर को छोड़ मुबंई आ गया है. अपने कैरियर को बनाने लेकिन वह खुश नहीं है. कुछ ऐसा है जो वह मिस करता है.क्या है वो. ऐसे में उसके बचपन का प्यार और कैरियर को बनाने वाली दोनों एक साथ जिंदगी में दस्तक देती है.
कैरियर के लिए एक बार वह अपने प्यार को छोड़ चुका था क्या इस बार वह किसको चुनेगा और क्या उसे उसकी मोहब्बत मिल पाएगी क्योंकि फिल्म की कहानी का पेंच सिर्फ यही तक नहीं है. आकाश के दादाजी भी हैं. जिंहोने यह भविष्यवाणी की है कि उसका प्यार उसे मिल जाएगा लेकिन उसके साथ नहीं रहेगा. क्या होगा इस प्यार में मिलने और बिछड़ने की कहानी का अंजाम. यही फिल्म की कहानी है. फिल्म में खूब इमोशन भी भरने की कोशिश की गयी है लेकिन इसके बावजूद फिल्म कनेक्ट नहीं कर पाती है.इमोशन सींस जबरदस्ती थोपे हुए से लगते हैं.
फिल्म की कहानी बेहद कमजोर है और उसे कमजोर सितारों का परफॉर्मेस बना देता है. अभिनय की बात करें तो पुलकित सम्राट फिल्म ‘रेडी’ में सलमान के लुक से प्रभावित नजर आया है. उन्होंने सलमान के मैनरिज्म की भी कॉपी की है. यामी गौतम फिल्म में अपने किरदार के साथ न्याय करने में असफल रही हैं तो उर्वशी राउतेला फिल्म में ग्लैमरस डॉल की तरह नजर आयी है. रिषी कपूर जैसे बडे अभिनेता के लिए फिल्म में करने को कुछ नहीं था.
ऐसी फिल्मों से उन्हें बचना चाहिए. फिल्म की यूएसपी इसका संगीत और लोकेशन है. गीत-संगीत के साथ ही बेहतरीन लोकेशन के साथ सिनेमैटोग्राफी अच्छी बन पड़ी है, खासकर कुछ गीतों में तो ये बेहद उम्दा है. फिल्म के लोकेशन और संगीत की इसका एकमात्र अच्छा फैक्टर है, लेकिन एक सीन में मुंबई फिर अगले ही पल लद्दाख तो फिर दूसरे क्षण कनाडा़ पहुंचने की बात थोड़ी अटपटी सी लगती है. फिल्म के संवाद सहित दूसरे पक्ष औसत हैं. कुलमिलाकर ‘सनम रे’ बेहद कमजोर फिल्म है.