जेल से बाहर आकर पहली बार बोले संजय कहा, पांच साल नहीं 23 साल काटी है सजा

नयी दिल्ली : आर्म्स एक्ट में सजा काटकर बाहर आये अभिनेता संजय दत्त ने पहली बार मीडिया के सामने मुखातिब हुए. संजय इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में पहुंचे. उन्होंने कहा कि मैं जेल से बाहर अच्छा महसूस कर रहा हूं. मैं जेल में सिर्फ पांच सालों के लिए था लेकिन यह मेरे लिए 23 साल की […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 18, 2016 7:46 PM

नयी दिल्ली : आर्म्स एक्ट में सजा काटकर बाहर आये अभिनेता संजय दत्त ने पहली बार मीडिया के सामने मुखातिब हुए. संजय इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में पहुंचे. उन्होंने कहा कि मैं जेल से बाहर अच्छा महसूस कर रहा हूं. मैं जेल में सिर्फ पांच सालों के लिए था लेकिन यह मेरे लिए 23 साल की तरह था. 23 सालों से केस चल रहा था और आजादी महसूस नहीं होती थी.

आज भी लगता है डर

संजय ने इस मौके पर अपने डर का भी जिक्र किया उन्होंने कहा कि अभी भी मैं पुलिस वालों को देखकर डर जाता हूं. उन्होंने अपने जेल में बिताये दिनों को याद किया और कहा कि कैसे वह सुबह से ही घर वालों को याद करके रोने लगते थे. उन्होंने कहा कि मैंने जेल में बहुत सारी धार्मिक किताबें पढ़ी. मैं वहां अपने शरीर पर भी ध्यान देता था. और एक्सरसाइज करते थे. वहां उन्होंने बालटी को डंबल की तरह इस्तेमाल किया.
नहीं मिला वीवीआईपी ट्रीटमेंट
उन्होंने इस मिथ को भी तोड़ा की उन्हें जेल में वीआईपी ट्रिटमेंट मिलता था उन्हें दूसरे कैदियों की तरह ही रखा जाता था. उन्हें खाने के लिए वही खाना मिलता था जो दूसरे कैदियों को मिलता था. जेल के खाने पर चुटकी लेते हुए संजय ने कहा, अगर किसी को वजन कम करना है तो जेल बेहतर जगह है. संजय ने जेल में अपने काम की भी चर्चा की उन्होंने बताया कि उन्हें पेपर बैग बनाने का मौका मिला और उसमें उन्होंने पैसे भी कमाये.
पिता को भी संजय दत्त ने याद किया
इस मौके पर संजय ने अपने पिता को भी याद किया और आतंकवादी के टैग पर भी चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि मैं कभी अपने इस खूबसुरत देश को कभी नुकसान नहीं पहुंचा सकता. मेरे पिता हमेशा मानते थे कि मैं भटका जरूर हूं पर आतंकी नहीं हूं. संजय ने कहा मुझे अपनी गलती को लेकर पछतावा नहीं है मैंने उनसे बहुत कुछ सीखा है.
गलती पर पछतावा नहीं
संजय ने अपने नशे की आदत का जिक्र करते हुए कहा कि मैंने बहुत नशा किया है. मैं नशा करने के बाद घर जाकर शो जाता था. मुझे मेरी सेहत को लेकर चिंता हुई तो मैंने घर में बताया कि मैं ड्रग्स लेता हूं तब मुझे घर वालों ने अस्पताल भेजा. मैंने लगभग 10 से 12 साल अपनी इस आदत को छुपाया और सच पूछिये तो मुझे मजा नहीं आया. काम से बढ़कर कोई नशा नहीं है.
बच्चों को याद करते थे संजय
संजय ने अपने बच्चों को जिक्र करते हुए कहा कि मैं कभी नहीं चाहता था कि मेरे बच्चे मुझे इस हालत में देखें लेकिन जब मैं जेल गया तो मेरा बच्चा दो साल का था. बाहर आकर उन्हें देखना मेरे लिए शानदार अनुभव था. संजय दत्त ने कहा, मैं उन लोगों की मदद करना चाहता हूं जो नशा करते हैं. संजय दत्त ने जेल में बहुत सारे बदलाव की भी बात कही उन्होंने कहा कि जेल के अंदर ऐसे बहुत से कानून है जो बहुत पुराने है. उन्हें बदलना चाहिए.
भोलेनाथ का भक्त हूं
संजय दत्त ने कहा, मैं अपने जेल जाने को भी सकारात्मक तरीके से देखता हूं. अगर नहीं जाता तो मैं फिट नहीं होता. इतनी धार्मिक किताबें नहीं पढ़ता . आज मैं अपने धर्म के बारे में ज्यादा जानता हूं. भोलेनाथ का भक्त हूं. अपने बायोपिक परसंजय दत्त ने कहा, मुझे यह नहीं पता कि कैसे मेरी पूरी जिंदगी को 2 घंटे में समेटेंगे.
आजादी के महत्व को समझिये
संजय दत्त ने कहा कि आजादी को आप इतनी आसानी से मत लीजिए. यह बहुत मायने रखती है. इसे किसी भी तरह पूरा नहीं किया सकता. पैसे चाहे कोई भी चीज इसे पूरा नहीं कर सकती. हमें आजादी को इतने साधारण तरीके से नहीं लेना चाहिए.
जेल में बहुत सारे सुधार की जरूरत है
संजय दत्त ने कहा, जेल में बहुत सारे सुधार की जरूरत है. अगर किसी बैरक में सिर्फ 50 लोगों के रहने की व्यवस्था है तो उसमें 300 लोग कैसे रह सकते हैं. वहां करवट बदलने के लिए भी झगड़ा हो जाता है. मुझे लगता है इसमें सुधार की जरूरत है. टॉयलट भी इतना गंदा रहता है कि वहां आप हाइजेनिक के बारे में सोच भी नहीं सकते.

Next Article

Exit mobile version