भोपाल : मध्यप्रदेश राज्य अधिवक्ता परिषद (एसबीसीएमपी) ने लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन सहित प्रदेश के आठ सांसदों को नोटिस जारी तक आगामी पांच मई तक जवाब देने को कहा है. इन सांसदों को अधिवक्ता सनद निलंबन के लिए नोटिस जारी किया गया है. ये सांसद कानूनी पेशे में अब नहीं हैं तथा अन्य कार्यों से आय अर्जित करने के बावजूद अपनी अधिवक्ता सनद कायम रखे हुए हैं जो अधिवक्ता अधिनियम के मुताबिक गलत व्यवहार माना गया है.
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लोकसभा अध्यक्ष सहित मप्र के 8 सांसदों को राज्य अधिवक्ता परिषद का नोटिस
भोपाल : मध्यप्रदेश राज्य अधिवक्ता परिषद (एसबीसीएमपी) ने लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन सहित प्रदेश के आठ सांसदों को नोटिस जारी तक आगामी पांच मई तक जवाब देने को कहा है. इन सांसदों को अधिवक्ता सनद निलंबन के लिए नोटिस जारी किया गया है. ये सांसद कानूनी पेशे में अब नहीं हैं तथा अन्य कार्यों से […]
परिषद की अपील समिति के अध्यक्ष शिवेन्द्र उपाध्याय ने आज ‘को बताया, ‘‘बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के प्रावधानों के अनुसार चैप्टर सात के नियम 47 में बिना अपनी अधिवक्ता सनद निलंबित रखते हुए कानूनी पेशा में नहीं रहने एवं अन्य कार्य करने वाले व्यक्ति द्वारा अपनी अधिवक्ता सनद कायम रखने पर प्रतिबंध है.’ उन्होंने कहा कि अधिवक्ता अधिनियम 1961 की धारा 35 के अनुसार किसी अन्य कार्य से आय अर्जित करते हुए अधिवक्ता सनद कायम रखना अधिनियम के मुताबिक गलत व्यवहार है.
उन्होंन कहा कि सभी सांसदों को परिषद के जबलपुर स्थित मुख्यालय से ई-मेल के जरिये कल नोटिस भेजा गया है तथा इसकी एक प्रति उन्हें डाक से भी भेजी गयीहै. इसमें सांसदों से पांच मई 2016 तक जवाब मांगा गया है. उन्होंने कहा कि यदि इन सांसदों द्वारा नोटिस का संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया तो परिषद अगली कार्रवाई के लिए चुनाव आयोग को पत्र लिखेगी.
उपाध्याय ने बताया कि परिषद द्वारा लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन के अलावा रतलाम से सांसद कांतिलाल भूरिया, शहडोल से सांसद दलपत सिंह परस्ते, सीधी से सांसद रीति पाठक, भोपाल से सांसद आलोक संजर, रीवा से सांसद जर्नादन प्रसाद मिश्रा, सतना से सांसद गणेश सिंह तथा राज्यसभा सांसद सत्यनारायण जटिया को नोटिस भेजा गया है.
उन्होंने बताया कि शीर्ष अदालत ने प्रकाश सिंह बादल मामले में लोकसभा, राज्यसभा और प्रदेश विधानसभा के सदस्यों को लोक सेवक ही माना है. उन्होंने कहा कि सुमित्रा महाजन लोकसभा अध्यक्ष के रूप में वेतन हासिल कर रही हैं तथा साथ ही अधिवक्ता के रूप में सनद भी कायम रखे हुए हैं, जो कि नियम विरुद्ध है. इसी तरह सांसद भी लोकसेवक के तौर पर वेतन हासिल कर रहे हैं और साथ ही अपनी अधिवक्ता की सनद भी कायम रखे हैं.
उपाध्याय ने कहा कि यह मामला समिति के सामने तब आया जब बार काउंसिल ऑफ इंडिया के प्रावधानों के अनुसार अधिवक्ताओं की सनद का नवीनीकरण किया जा रहा था. उन्होंने कहा कि राज्य अधिवक्ता परिषद प्रदेश विधानसभा के ऐसे सदस्यों की पहचान भी कर रही है जो अधिवक्ता के तौर पर अपनी सनद भी साथ में कायम किये हुए हैं.
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