II अनुप्रिया अनंत II
फिल्म : लव गेम्स
कलाकार : तारा अलीशा, पत्रलेखा, गौरव अरोड़ा
निर्देशक : विक्रम भट्ट
रेटिंग : 2.5 स्टार
भट्ट कैंप की फिल्मों ने अब एकरसता का रूप ले लिया है. किसी दौर में वाकई उन्होंने अपनी फिल्मों में बोल्ड मुद्दों को उठा कर कई कहानियों की तह में जाने की कोशिश की है. लेकिन अब नयापन नजर नहीं आता. ‘लव गेम्स’ भी इसी क्रम में एक और कड़ी है. यह हकीकत है कि बड़े शहरों में हर एक की जिंदगी का एक ग्रे शेड है.
फिल्म में छोटे शहर जैसे सूरत को लेकर आंकड़े प्रस्तुत किये गये हैं. शायद निर्देशक की कोशिश अपनी बात को ठोस मनवाने की है, आंकड़ों से वे पुख्ता हो जायेंगे. शायद वे ऐसा मान कर चल रहे होंगे. लव गेम्स में पत्नियों की अदला-बदली की कहानी को दिखाया गया है. यह हकीकत है कि सुख सुविधाओं की चाहत में कई बार न चाह कर भी कई लोग कई तरीके अपनाते हैं और ये तरीके भी उनमें से एक हैं.
रमोना रायचंद का किरदार निभा रहीं पत्रलेखा की जिंदगी में प्यार की कोई अहमियत नहीं. उसने मान लिया है कि पूरी दुनिया स्वार्थी है. सैम सक्सेना बड़े बाप की बिगड़ी औलाद है. वे और उनकी तन्हाई अपनी तन्हाई को खत्म करने के लिए रमोना को अपनी जिंदगी में आने का मौका देते हैं. दोनों शारीरिक प्रेम की भाषा समझते हैं तो दूसरी तरफ डॉक्टर अलीशा व गौरव अस्थाना की भी शादीशुदा जिंदगी में कुछ भी नहीं.
फिल्म में सभी किरदारों की लालसा, उनकी भूख, उनका दर्द दिखाने की कोशिश की गयी है. फिल्म चार किरदारों के ईद गिर्द घूमती है. फिल्म में ‘पेज थ्री’ व मधुर भंडारकर सरीखे संवाद और दृश्य नजर आये हैं, जिससे फिल्म में और नयापन नजर नहीं आता. पत्रलेखा ने सिटीलाइट्स में लोगों को हैरान किया है. इस बार भी वे अपनी तरफ से मेहनत करती नजर आयी हैं.
शेष कलाकारों ने सतही तौर पर अभिनय किया है. भट्ट कैंप कब तक ऐसी फिल्में परोसेंगे. इसका जवाब सिर्फ वही दे सकते. बहरहाल यह फिल्म दर्शकों की उम्मीद पर खास खरी नहीं उतरेंगी. ऐसे अनुमान हैं.