मुंबई : फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ को सेंसर बोर्ड से मंजूरी दिलाने के लिए उसके प्रमुख पहलाज निहलानी से तकरार करने वाले फिल्मकार अनुराग कश्यप का कहना है कि निहलानी को उनके पद से हटा दिया जाना चाहिए लेकिन केवल इससे ही सेंसर बोर्ड की समस्या नहीं सुलझेगी.
यह पूछे जाने पर कि क्या निहलानी को पद से हटाने से केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) के कामकाज में कोई बदलाव आएगा, उन्होंने कहा, ‘यह इस पर निर्भर करेगा कि कौन आता है. मुझे लगता है कि किसी और को नियुक्त करने से समस्या नहीं सुलझेगी. इसका संबंध दिशानिर्देशों से भी है. यह निर्भर करता है. सेंसर बोर्ड को राजनीतिक चीजों से मुक्त रखना चाहिए.’
लेकिन साथ ही 43 साल के फिल्मकार को लगता है कि निहलानी की विदाई होनी चाहिए. उन्होंने कहा, ‘हां, उन्हें बर्खरस्त करने की जरुरत है. हमसे कहा गया है कि वे पूरे घटनाक्रम पर ध्यान दे रहे हैं. देखते हैं, क्या होता है, हम इंतजार करेंगे कि क्या होता है. व्यवस्था बदलनी चाहिए, नये दिशानिर्देश आने चाहिए और एक नये सेंसर बोर्ड प्रमुख की जरुरत है. इन सब की जरुरत है.’
‘उड़ता पंजाब’ पंजाब में मादक पदार्थों की लत की समस्या पर आधारित है. अनुराग कश्यप की फैंटम फिल्म्स और एकता कपूर की बालाजी मोशन पिक्चर्स ने मिलकर इसका निर्माण किया है.
बंबई उच्च न्यायालय ने कल सीबीएफसी को केवल एक जगह कांट छांट के साथ 48 घंटों के भीतर फिल्म को प्रमाणित करने का आदेश दिया ताकि उसके निर्माता फिल्म 17 जून को इसे रिलीज कर सकें.
यह पूछने पर कि क्या सीबीएफसी के उच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करने से वह हैरान हैं, अनुराग ने कहा, ‘मैं यहां लोगों को लेकर राय बनाने के लिए नहीं हूं. इस तरह के सवाल अजीब सा खिंचाव पैदा करते हैं जिससे लोग गुमराह होते हैं. यह कोई फुटबॉल मैच नहीं है.’
यह पूछे जाने पर कि क्या दिशानिर्देशों की व्याख्या गलत है या फिर दिशानिर्देश गलत हैं, फिल्मकार ने कहा, ‘लड़ाई विचारधारा की है. हम एक प्रमाणन बोर्ड चाहते हैं. सूचना एवं प्रसारण मंत्री अरुण जेटली ने बदलाव का वादा किया है. उन्होंने कहा है कि वह श्याम बेनेगल समिति की दूसरी रिपोर्ट लाएंगे और उसका कार्यान्वयन करेंगे. हम उसका इंतजार कर रहे हैं.’