जब डिप्रेशन में थीं दीपिका पादुकोण, जानें फिर कैसे बदली उनकी लाईफ ?

नयी दिल्ली : अभिनेत्री दीपिका पादुकोण का कहना है कि खेलों ने उनकी जिंदगी बदल दी और उन्हें दो साल तक चले अवसाद से लडना भी सिखाया. खुद बैडमिंटन खिलाडी रहीं दीपिका ने फेसबुक के जरिए युवाओं को कोई न कोई खेल खेलने के लिए प्रोत्साहित किया. ‘बाजीराव मस्तानी’ की स्टार अभिनेत्री ने बताया कि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 11, 2016 1:02 PM

नयी दिल्ली : अभिनेत्री दीपिका पादुकोण का कहना है कि खेलों ने उनकी जिंदगी बदल दी और उन्हें दो साल तक चले अवसाद से लडना भी सिखाया. खुद बैडमिंटन खिलाडी रहीं दीपिका ने फेसबुक के जरिए युवाओं को कोई न कोई खेल खेलने के लिए प्रोत्साहित किया.

‘बाजीराव मस्तानी’ की स्टार अभिनेत्री ने बताया कि किस तरह खेल ने आगे बढते रहने में और मुश्किल परिस्थितियों का सामना करने में उनकी मदद की. दीपिका ने कहा कि उनके अंदर हमेशा मौजूद रहने वाली खिलाडी इन्हें लडने की ताकत देती है.

उन्होंने कहा, ‘खेल ने ही मुझे सिखाया कि विफलता से कैसे निपटना है. इसने मुझे यह भी सिखाया कि सफलता को कैसे लेना है. इसने मुझे जमीन से जोडकर रखा. इसने मुझे विनम्रता सिखाई.’

उन्होंने कहा, ‘दो साल पहले मैं अवसाद से जूझ रही थी. मैं डूबती जा रही थी. मैं लगभग हार मान चुकी थी. लेकिन मेरे अंदर मौजूद खिलाडी ने मुझे लडने की और कभी हार न मानने की ताकत दी.’

युवाओं से अपील करते हुए दीपिका ने लिखा, ‘हर लडकी और हर लडके को और हर महिला और हर पुरुष को कोई न कोई खेल खेलना चाहिए. क्योंकि इसने मेरी जिंदगी बदल दी और यह आपकी जिंदगी भी बदल देगा.’

खेलों को अपने जिंदा रहने की एक वजह बताते हुए दीपिका ने लिखा, ‘खेलों ने मुझे सिखाया है कि कैसे (समस्याओं से) पार पाया जाता है. इसने मुझे सिखाया है कि कैसे लडना है. इसने मुझे कभी न रुकने वाला बना दिया है.’

अभिनेत्री ने यह ‘परफेक्ट’ बने रहने के अपने पिता के सूत्र का भी जिक्र किया, ‘जब मैं बडी हो रही थी, तो मेरे पिता ने मुझसे कहा, ‘सर्वश्रेष्ठ होने के लिए तीन ‘डी’ याद रखना- डिसिप्लिन (अनुशासन), डेडीकेशन (समर्पण) और डिटरमिनेशन (प्रतिबद्धता). अपने दिल की सुनिए. वही कीजिए, जिसका आपमें जुनून है.’

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