FILM REVIEW: जानें कैसी है इरफान खान की ‘मदारी”, यहां पढ़े रिव्‍यू…

II उर्मिला कोरी II फिल्म: मदारी निर्माता: इरफ़ान खान,सुतापा सिकदर,शैलजा केजरीवाल और अन्य निर्देशक: निशिकांत कामत कलाकार: इरफ़ान खान, जिम्मी शेरगिल, विशेष बंसल, नितेश पांडेय, सुमित राघवन रेटिंग: ढाई निर्देशक निशिकांत कामत की इरफ़ान खान स्टारर फिल्‍म ‘मदारी’ से आम आदमी एक बार फिर से रुपहले परदे पर वापस आया है. सिस्टम के प्रति उसके […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 22, 2016 1:41 PM

II उर्मिला कोरी II

फिल्म: मदारी

निर्माता: इरफ़ान खान,सुतापा सिकदर,शैलजा केजरीवाल और अन्य

निर्देशक: निशिकांत कामत

कलाकार: इरफ़ान खान, जिम्मी शेरगिल, विशेष बंसल, नितेश पांडेय, सुमित राघवन

रेटिंग: ढाई

निर्देशक निशिकांत कामत की इरफ़ान खान स्टारर फिल्‍म ‘मदारी’ से आम आदमी एक बार फिर से रुपहले परदे पर वापस आया है. सिस्टम के प्रति उसके गुस्से की यह प्रतिक्रिया है. एक बार फिर से राजनीति और राजनेताओं पर सीधा हमला बोला गया है. शोषित आम आदमी यहां हिंसक बदला नहीं चाहता है वह जवाबदेही चाहता है, 120 करोड़ लोगों के नुमाइंदे बने नेताओं से. जिसे फिल्म की कहानी में कुछ इस तरह पिरोया गया है.

फिल्म की कहानी निर्मल (इरफ़ान खान) की है, जो होम मिनिस्टर (तुषार दलवी) के बेटे का अपहरण करता है. जिसके बाद पूरा सरकारी तंत्र निर्मल कुमार के पीछे पड़ जाता है. निर्मल ने ऐसा क्यों किया और क्या वह अपने मकसद में कामयाब होगा इसके लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी. फिल्म की कहानी संदेशप्रद है लेकिन रफ़्तार धीमी है. हाँ इरफ़ान का परफॉरमेंस ज़रूर पूरी फिल्म में आपको बांधे रखता है.

फिल्म हिंसक तरीके से समाधान ढूंढने की बात नहीं करती है अगर इस पहलू को छोड़ दे तो फिल्म की कहानी में नयापन नहीं है. नसीरुद्दीन शाह की ए वेडनेसडे, अमिताभ बच्चन की हालिया रिलीज़ फिल्म तीन तो इम्तियाज़ की फिल्म हाइवे (लोकेशन्स के लिए) की याद दिलाता है. फिल्म में आगे क्या होगा यह भी समझ आ जाता है, जो एक थ्रिलर फिल्म की सबसे बड़ी कमजोरी है बस स्टैंड वाला दृश्य अच्छा बन पड़ा है.

यह दृश्य कहीं न कहीं इस बात को दर्शाता जाता है कि भ्रष्‍ट बाज सरकारी तंत्र के आगे चूजे सा आम आदमी के विद्रोह का हश्र ऐसा ही होता है. आखिर में चूजे को ही दम तोड़ना पड़ता है लेकिन ऐसी कहानी हम दर्शकों को पसंद नहीं आएगी. हमें सपनों की दुनिया पसंद आती है. यही वजह है कि नेताओं के लोक लुभावन वादे हमें लुभा जाते हैं जबकि कहीं न कहीं जमीनी हकीकत हमें पता होती है.

फिल्म में आनेवाले 10-15 सालों में युवा पीढ़ी द्वारा बदलाव लाने की उम्मीद जगायी गयी है. अभिनय की बात करें तो इरफ़ान से जिस तरह के जहीन अभिनय की उम्मीद की जाती है वह एक बार फिर पूरी तरह से उस उम्मीद पर खरे उतरे हैं. यह कहना गलत न होगा कि इरफान का प्रभावी अभिनय ही है जो इस फिल्म को खास बना जाता है. एक आम आदमी की मासूमियत से लेकर उसके दर्द और गुस्से को उन्होंने बखूबी जिया है.

इरफ़ान के साथ बाल कलाकार विशेष बंसल का काम भी विशेष रहा है. जिमी शेरगिल भी पुलिस ऑफिसर की भूमिका में जंच रहे हैं. सुमित राघवन,तुषार दलवी सहित दूसरे किरदार भी अपनी अपनी भूमिकाओं के साथ न्याय करते नज़र आए हैं. फिल्म का गीत संगीत कहानी के अनुरूप हैअगर चाँद वाला गीत दिल को छूता है तो फिल्म का डमा डम गीत झकझोरता भी है. फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक अच्छा बन पड़ा है.

फिल्म के संवाद कहानी को प्रभावी ढंग से पेश कर जाते हैं देश सो रहा है, सरकार भ्रष्ट है यह सच नहीं है बल्कि भ्रस्टाचार के लिए ही सरकार है यह सच है सहित कई संवाद खास हैं. फिल्म के लोकेशन्स सहित दूसरे पक्ष कहानी के अनुसार सटीक है. कुलमिलाकर कहानी में कुछ कमज़ोरियों के बावजूद इरफ़ान का सशक्त अभिनय इस फिल्म को खास बना जाता है. यह फिल्म अपने विषय और इरफ़ान के बेजोड़ अभिनय के लिए देखी जानी चाहिए.

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