II उर्मिला कोरी II
फिल्म: रुस्तम
निर्माता: नीरज पांडे
निर्देशक: टीनू सुरेश देसाई
कलाकार: अक्षय कुमार, इलियाना डिक्रूज,ईशा गुप्ता,अर्जन बाजवा और अन्य
रेटिंग: ढाई
फिल्म की शुरुआत में ही विवाद से बचने के लिए इसे पूरी तरह से काल्पनिक करार दिया गया है लेकिन फिल्म को देखते हुए यह बात कुछ ही मिनटों में साफ़ हो जाती है कि फिल्म की कहानी मूल रूप से 60 के मशहूर नानावटी केस पर ही आधारित है. कहानी में थोड़ी सी बेवफाई के साथ देशभक्ति का रंग भी मिलाया गया है लेकिन यह इमोशन प्रभावी ढंग से फिल्म की कहानी के साथ नहीं जुड़ पाया है.
कहानी की बात करें तो फिल्म की कहानी नेवी अफसर रुस्तम पावरी (अक्षय कुमार) की है जो अपनी पत्नी सिंथिया पावरी (इलियाना डी क्रूज) को बहुत प्यार करता है लेकिन अचानक एक रोज़ जब वह जल्दी शिप से वापस घर आ जाता है तो उसका एक हकीकत से सामना होता है.
उसे पता चलता है की उसकी पत्नी के अवैध सम्बन्ध उसके ही करीबी दोस्त विक्रम मखीजा (अर्जन बाजवा) के साथ हैं. इसके ठीक बाद 3 गोलियां चलती हैं और सबकुछ बदल जाता है, रुस्तम खुद को कानून के हवाले कर देता है लेकिन जब मामला कोर्ट तक पहुचता है तो रुस्तम खुद को बेगुनाह बताता है क्योंकि उसने प्लानकर नहीं बल्कि खुद की रक्षा करते हुए विक्रम मखीजा की हत्या की है.
वह खुद अपना केस लड़ता है. इसके अलावा एक सीक्रेट ऐसा भी है जो सिर्फ रुस्तम जानता है लेकिन वो शुरू से लेकर अंत तक उस बात को छिपाता है. अब वो बात क्या है और उस बात का इस मर्डर केस से क्या सम्बन्ध है यह आपको फिल्म देखने के बाद ही मालूम होगा. हाँ ये ज़रूर है कि फिल्म की कहानी में इतने लेयर्स डालने के बाद भी यह पूरी तरह से नानावटी केस की कॉपी ही जान पड़ती है.
धोखा, बदला उस कहानी की भी नीव थी. उस केस में भी जूरी ने अपना फैसला नेवी अफसर के पक्ष में तय किया था. मीडिया ने उस वक़्त भी समर्थन का माहौल बनाया था. यहाँ भी वही मामला नज़र आ रहा है. अदालत के सीन्स में ज़रूरत से ज़्यादा मसखरी अखरती है. इस थ्रिलर फिल्म के ट्रेलर से बहुत उम्मीद जगी थी लेकिन यह फिल्म उन उम्मीदों पर पूरी तरह से खरी नहीं उतर पाती है.
अभिनय की बात करें तो अक्षय एक बार फिर कमाल जाते हैं कमज़ोर स्क्रिप्ट के बावजूद उनकी मौजूदगी ही है जो फिल्म से बांधे रखती है. पूरी फिल्म में उनकी गंभीरता खास लगती है. इलियाना डीक्रूज़ और अर्जन बाजवा ने अपने किरदार के साथ न्याय किया है. ईशा गुप्ता की बात करे तो उनका लाउड मेकअप भले ही उन्हें खूबसूरत लुक दे रहा है लेकिन उनकी लाउड एक्टिंग चुभती है.
कुमुद मिश्रा, पवन मल्होत्रा और उषा नाडकर्णी ने अपना बखूबी साथ फिल्म को दिया है. फिल्म को खूबसूरत लोकेशन में फिल्माया गया है खासकर गानों को. यह एक पीरियड फिल्म है. 60 के दशक को फिल्म में बखूबी दर्शाया गया है. फिर चाहे आर्ट हो या कलाकारों का लुक उस दौर की छाप नज़र आती है.
फिल्म का गीत संगीत औसत है. फिल्म की कहानी जिस दौर की है वह दौर हिंदी सिनेमा में संगीत के लिहाज से गोल्डन पीरियड था लेकिन इस फिल्म का संगीत वह जादू नहीं जगा पाता है. फिल्म के संवाद भी औसत है. कुलमिलाकर रुस्तम अपनी कमज़ोर कहानी और उसके ट्रीटमेंट की वजह से एक औसत फिल्म बनकर रह जाती है.