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FILM REVIEW: बच्चों के मनोरंजन तक सीमित है ये ‘फ्लाइंग जट्ट”

II उर्मिला कोरी II फिल्म: फ्लाइंग जट्ट निर्माता: बालाजी मोशन पिक्चर्स निर्देशक: रेमो डिसूज़ा कलाकार: टाइगर श्रॉफ, नाथन जोंस, जैकलीन, अमृता सिंह, के के मेनन, गौरव पांडेय रेटिंग: ढाई निर्देशक रेमो डिसूज़ा और अभिनेता टाइगर श्रॉफ की ‘फ्लाइंग जट्ट’ एक देशी सुपरहीरो की कहानी है. इसका ट्रीटमेंट कॉमिक अंदाज़ में किया गया है. यह फिल्म […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 25, 2016 2:13 PM

II उर्मिला कोरी II

फिल्म: फ्लाइंग जट्ट

निर्माता: बालाजी मोशन पिक्चर्स

निर्देशक: रेमो डिसूज़ा

कलाकार: टाइगर श्रॉफ, नाथन जोंस, जैकलीन, अमृता सिंह, के के मेनन, गौरव पांडेय

रेटिंग: ढाई

निर्देशक रेमो डिसूज़ा और अभिनेता टाइगर श्रॉफ की ‘फ्लाइंग जट्ट’ एक देशी सुपरहीरो की कहानी है. इसका ट्रीटमेंट कॉमिक अंदाज़ में किया गया है. यह फिल्म देशी सुपरहीरो को परदे पर अलग ढंग से परिभाषित करने की कोशिश करती हैं लेकिन यह कोशिश कमज़ोर स्क्रीनप्ले की वजह से परदे पर कामयाब नहीं दिखती है.

यह कहानी पंजाब के करतार सिंह कॉलोनी में रहने वाले अमन (टाइगर श्रॉफ) की है जो एक मार्शल आर्ट टीचर हैं. अमन अपनी मां (अमृता सिंह) के साथ वहां रहता है. फिल्म में नदी किनारे मन्नतें पूरी करने वाला एक बड़ा सा पेड़ है. दूसरे तट पर प्रदूषण उगलने वाली फैक्ट्रियां है. नदी पर पुल बनाना बिजनेसमैन मल्होत्रा (केके मेनन) का सपना है क्योंकि इससे वह करोड़ों कमाएगा. मगर पेड़ जिस जमीन पर है वह अमन की माँ की जमीन है.

अमन की मां किसी कीमत पर जमीन मल्होत्रा को बेचने को राजी नहीं है. ऐसे में मल्होत्रा पेड़ और अमन के परिवार को खत्म करने का फैसला करता है. घटनाएं कुछ ऐसी घटती है कि प्रकृति न्याय के तौर पर अमन के भीतर सुपरहीरो वाली शक्तियां पैदा कर देता है और वह फ्लाइंग जट्ट बन जाता है. कहानी का ट्विस्ट यह है कि मल्होत्रा के अंडर काम करने वाले बलशाली राका (नाथन जोंस) को भी इस पेड़ से शक्तियां मिल जाती है.

नाथन ‘फ्लाइंग जट्ट’ और शहर का खात्मा करना चाहता है. जिसके बाद अच्छाई की बुराई के साथ जंग शुरू हो जाती है. फिल्म पहले हाफ में गुदगुदाती नज़र आती है. इस सुपरहीरो को ऊंचाई से डर लगता है. वह उड़ते हुए भी सिग्नल को मानता है और रेड सिग्नल होने पर रुकता है. मार्केट से सब्ज़ी खरीदता है. घर की साफ़ सफाई भी करता है. फिल्म के दूसरे भाग से कहानी औंधे मुँह गिर जाती है. फिल्म का क्लाइमेक्स सबसे ज़्यादा निराश करता है.

फिल्म की कहानी कभी-कभी ज़रूरत से ज़्यादा पर्यावरण को बचाने की मुहीम वाला उबाऊ भाषण सा लगने लगता है. स्वच्छ भारत अभियान की फिल्म हो जैसे. अपनी इन्ही खामियों के वजह से यह फिल्म बच्चों का मनोरंजन करने वाली सीमित फिल्म बनकर रह जाती है. फिल्म में अभिनय की बात करें तो टाइगर ने अंडर डॉग से सुपरहीरो के किरदार को बखूबी निभाया है. इस फिल्म में भी वह अपने मार्शल आर्ट का जमकर प्रदर्शन करते नज़र आये हैं.

टाइगर को अपने संवाद अदाएगी पर काम करने की ज़रूरत है. यह बात फिल्म को देखते हुए कई बार महसूस होती है. के के मेनन ऐसी भूमिकाओं में टाइपकास्ट से हो गए हैं. अमृता सिंह औसत रही हैं तो जैकलीन ओवर द टॉप थी. वैसे फिल्म में उनके करने को कुछ ख़ास नहीं था. फिल्म के सुपर विलन नाथन की बात करें वह अपने भारी भरकम डील डौल से दहशत पैदा करते हैं लेकिन उनके संवाद सरप्राइज सरप्राइज से हसीं आती है.

गौरव पांडेय टाइगर के दोस्त की भूमिका में याद रह जाते हैं. उनकी कॉमिक टाइमिंग अच्छी रही है. फिल्म में मेहमान भूमिका में श्रद्धा नज़र आयी हैं. फिल्म का गीत संगीत कहानी की गति को प्रभावित करता है. वह फिल्म में कई बार जबरदस्ती ढुँसे हुए से लगते हैं. फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर भी कुछ इसी निराश कर जाता है.

फिल्म के संवाद कहानी के अनुरूप है. फिल्म तकनीक के मामले में कमज़ोर है. सुपरहीरो वाली फिल्म होते हुए फिल्म के दृश्यों के संयोजन में वह बात नज़र नहीं आती है. कुलमिलाकर स्क्रीनप्ले की खामियों की वजह से यह सुपरहीरो सिर्फ बच्चों को ही लुभा पायेगा.

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