II उर्मिला कोरी II
फिल्म : अकीरा
निर्माता : फॉक्स स्टार स्टूडियोज
निर्देशक : ए आर मुर्गदौस
कलाकार : सोनाक्षी सिन्हा, अनुराग कश्यप,कोंकोणा सेनशर्मा,अमित साध
रेटिंग : ढाई
‘गजनी’ और ‘हॉलिडे: ए सोल्जर नेवर ऑफ़ ड्यूटी’ जैसी एक्शन फिल्म बना चुके ए आर मुर्गदास एक बार फिर हिंदी फिल्म दर्शकों के लिए एक्शन फिल्म ‘अकीरा’ लेकर आएं हैं मगर इस बार बुराई को खत्म करने की ज़िम्मेदारी नायिका ने ली है. अकीरा एक महिला प्रधान फिल्म है. जहां अकीरा कुछ भ्रष्ट पुलिस अधिकारों के खिलाफ लोहा लेती है. महिला किरदार को सशक्त ढंग से प्रस्तुत करना इस फिल्म की खासियत है.
इससे पहले ‘मर्दानी’ में महिला पात्र इस अंदाज़ में नज़र आई थी. उस फिल्म में महिला किरदार एक पुलिस ऑफिसर थी लेकिन यहाँ कहानी एक आम लड़की की है. कहानी की अगर बात करें तो यह अकीरा शर्मा (सोनाक्षी सिन्हा) की कहानी है जो जयपुर से मुंबई अपनी भाई की फैमिली के पास आयी है. वह यहाँ आगे की पढाई करने आयी हैं. अकीरा की एक खासियत है वह गलत चीज़ों को बर्दाश्त नहीं कर सकती है.
अपनी इसी खूबी की वजह से वह बचपन में दूसरी लड़कियों की तरह डांस के बजाय मार्शल आर्ट सीखती है ताकि वह बुराई से लड़ सके. इस वजह वह छोटी उम्र में सजा भी काट चुकी है. मुम्बई में वह अपनी पढाई पर फोकस करना चाहती है लेकिन न चाहते हुए भी परिस्थितियां ऐसी बनती हैं कि अकीरा को एक बार फिर बुराई के खिलाफ लड़ना पड़ता है.
फिल्म की कहानी में मुम्बई में उत्तर भारतीयों पर हुए हमलों को भी जोड़ा गया है. यह घटना फिल्म के मुख्य प्लाट से जुडी है. पुलिस महकमे के सिर्फ बुरे चेहरे को ही नहीं बल्कि उनकी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा को राबिया शेख के किरदार के ज़रिए सामने लाया गया है. फिल्म की कहानी पहले पार्ट में एंगेजिंग है. अब क्या होगा इस उत्सुकता को जगाए रखती है लेकिन सेकंड हाफ में कहानी पूरी तरह से उम्मीदों पर खरी नहीं उतरती है एक बार फिर इस फिल्म का भी क्लाइमेक्स ही कमज़ोर रह गया है.
अभिनय की बात करें तो सोनाक्षी सिन्हा अपने किरदार को बखूबी परदे पर लाने में कामयाब रही हैं. एक्शन दृश्यों में वह सहज रही हैं. खास बात यह है कि उनके मार धाड़ वाले दृश्य विश्वसनीयता लिए हैं कुछ भी बनावटी नहीं लगता है. निर्देशक अनुराग कश्यप बतौर अभिनेता प्रभावित करते हैं. अपने नकारात्मक किरदार से वह अभिनय में बाज़ी मार ले जाते हैं. अपनी बोल चाल से हाव भाव तक में वह अपने किरदार की बुराई को सामने लेकर आए हैं.
कोंकणा एक बार फिर अपने किरदार के साथ बखूबी न्याय कर जाती हैं. फिल्म में वह गर्भवती पुलिसकर्मी के किरदार को पूरी विश्वसनीयता के साथ जीती है. फिल्म की कहानी में उस पात्र के ज़रिये भी महिलाओं के सशक्त पहलू को दर्शाया गया है. अतुल कुलकर्णी, अमित साध सहित दूसरे किरदारों के पास फिल्म में करने को कुछ ख़ास नहीं था.
फिल्म का बैकग्राउंड संगीत अच्छा है. फिल्म के संवाद कहानी के अनुरूप हैं. आसानी से कोई मेरा दिल नहीं दुखा सकता जैसे संवाद अकीरा के दृढ़ता को बयां करते हैं. विशाल शेखर का संगीत औसत रहा है. फिल्म की कहानी में उसके लिए कम ही स्कोप था. दूसरे पहलु भी ठीक ठाक हैं. कुलमिलाकर यह एक्शन फिल्म कहानी की खामियों के बावजूद कलाकारों के परफॉरमेंस की वजह से एंगेजिंग मनोरंजक फिल्म है.