पैसों की कमी को पूरा करने के लिए लता मंगेशकर को करना पड़ा था ये काम, जानें 10 बातें

जादुई आवाज की मलिका भारत रत्‍न लता मंगेशकर आज अपना 87वां जन्‍मदिन मना रही हैं. उनकी खनकती आवाज ने करोड़ों फैंस को अपना दीवाना बनाया है और उनके सुरीले संगीत के आगे आज सारी दुनियां नतमस्‍तक है. पिता की अचानक मृत्‍यु हो जाने से लता मंगेशकर को आर्थिक तंगी को सामना करना पड़ा. लता मंगेशकर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 28, 2016 10:58 AM

जादुई आवाज की मलिका भारत रत्‍न लता मंगेशकर आज अपना 87वां जन्‍मदिन मना रही हैं. उनकी खनकती आवाज ने करोड़ों फैंस को अपना दीवाना बनाया है और उनके सुरीले संगीत के आगे आज सारी दुनियां नतमस्‍तक है. पिता की अचानक मृत्‍यु हो जाने से लता मंगेशकर को आर्थिक तंगी को सामना करना पड़ा. लता मंगेशकर को अभिनय करना खास पसंद नहीं था लेकिन पैसों की कमी को पूरा करने के लिए उन्‍हें कई मराठी और हिंदी फिल्‍मों में काम करना पड़ा था. जानें उनके बारे में ये 10 बातें…

1. लता मंगेशकर का जन्‍म 28 सितंबर 1929 को महाराष्‍ट्र के इंदौर शहर में पंडित दीनदयाल मंगेशकर के यहां हुआ था. उनके पिता रंगमंच के जानेमाने कलाकार थे इसी कारण लता मंगेशकर को संगीत की कला विरासत में मिली.

2. लता मंगेशकर ने पांच साल की उम्र से रंगमंच पर अभिनय करना शुरू कर दिया था. उन्‍होंने अपने पार्श्‍वगायन की शुरुआत वर्ष 1942 की मराठी फिल्‍म ‘कीती हसाल’ से की थी लेकिन बाद में इस गाने को फिल्‍म से काट दिया गया.

3. इसके बाद वर्ष 1947 में वसंत जोगलेकर ने अपनी फिल्‍म ‘आपकी सेवा में’ लता को गाने को मौका दिया. इस फिल्‍म के गानों को दर्शकों ने काफी पसंद किया. इसके बाद भी लता ने कई फिल्‍मों में गाया लेकिन वे उतनी हिट नहीं हुई.

4. वर्ष 1949 में उनके करियर में एक नया मोड़ और लता मंगेशकर ने फिल्‍म ‘महल’ के लिए ‘आयेगा आनेवाला’ गाना गाया. इस गाने को मधुबाला पर फिल्‍माया गया था. उनके इस गाने से दर्शकों के बीच खूब सुर्खियां बटोरी. यह फिल्‍म भी सुपरहिट रही और मधुबाला और लता मंगेशकर दोनों के लिए यह फिल्‍म लकी साबित हुई.

5. लता मंगेशकर आर.डी बर्मन की पसंदीदा गायिका थी. उन्‍होंने उनकी ‘हाउस नं. 420’ (1955) और ‘देवदास’ (1955) के अलावा और कई फिल्‍मों में अपनी आवाज दी, लेकिन बाद में दोनों में किसी बात को लेकर अनबन हो गई और वर्ष 1972 के बाद लता मंगेशकर ने बर्मन के लिए कभी नहीं गाया.

6. उन्‍होंने वर्ष 1963 में पंडित जवाहरलाल नेहरु की उपस्थिति में देशभक्ति पर आधारित ‘ए मेरे वतन के लोगों’ गाया. यह गाना आज भी लोगों की जुबान पर है. इस गाने को सुनकर पंडित नेहरु की आंखों से आंसू छलक आये थे.

7. उन्‍होंने कई संगीतकारों के साथ काम किया जिसमें लक्ष्‍मीकांत-प्‍यारेलाल, मदन-मोहन, हेमंत कुमार और सलिल चौधरी, आदेश श्रीवास्‍तव, अनुमलिक, ए आर रहमान, जतिन-ललित, आनंद-मिलिंद और नदीम-श्रवण शामिल हैं. इसके अलावा उन्‍होंने कई बंगाली और मराठी फिल्‍मों के लिए भी गाया.

8. लता मंगेशकर को भारतीय संगीत में महत्‍वपूर्ण योगदान देने के लिए वर्ष 1969 में ‘पद्मभूषण’ से सम्‍मानित किया गया. इसके बाद उन्‍हें वर्ष 1999 में ‘पद्मविभूषण’ और 1989 में दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से नवाजा गया. वर्ष 2001 में उन्‍हें भारतरत्‍न दिया गया.

9. इसके अलावा वे 3 राष्‍ट्रीय फिल्‍म अवॉर्ड से सम्‍मानित हो चुकी है और 1993 में उन्‍हें फिल्‍म फेयर लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्‍कार सहित कई अवॉर्ड दिये गये. गायकी के सफर में लता मंगेशकर ने लगभग 30,000 से ज्‍यादा गाने गाये हैं जो अपनेआप में एक रिकॉर्ड है.

10. लता मंगेशकर ने फिल्‍म ‘प्रेम पुजारी’ के लिए ‘रंगीला रे’ गाना, ‘परिचय’ के लिए ‘बीती ना बिताई’, मधुबाला के लिए ‘पाकीज़ा’ में ‘चलते-चलते’ और ‘इन्‍हीं लोगों ने’, ‘अभिमान’ के लिए ‘पिया बिना’, शर्मीली के लिए ‘खिलते हैं गुल यहां’, ‘सत्‍यम शिवम सुंदरम’ के लिए ‘सत्‍यम शिवम सुंदरम’, ‘कोरा कागज’ के लिए ‘रूठे-रूठे पिया’, रुदाली के लिए ‘दिल हूम-हूम करे’ तथा फिल्‍म ‘दस्‍तक’ जैसी कई सुपरहिट फिल्‍मों में अपनी सुरीली आवाज को जादू बिखेरा. उन्‍होंने अपनी शानदार गायकी के लिए कई अवार्ड भी अपने नाम किये.

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