फिल्म -तूतक तूतक तूतिया
निर्माता -सोनू सूद
निर्देशक -विजय
कलाकार – प्रभु देवा, सोनू सूद, तमन्ना भाटिया, मुरली शर्मा और अन्य
रेटिंग – दो
कॉमेडी यह जॉनर पिछले कुछ सालों से हिंदी फिल्मों का सबसे हिट और भरोसेमंद जॉनर बन चुका है लेकिन हॉरर कॉमेडी इसको बॉलीवुड में अब तक बहुत कम परदे पर परिभाषित किया गया है. तूतक तूतक तूतिया इसी जॉनर की फिल्म है. फिल्म की कहानी की बात करे तो यह कहानी कृष्ण कुमार (प्रभु देवा ) की है, जिसका सपना है कि वो ग्लैमरस और मॉडर्न लड़की के साथ ही शादी करे लेकिन परिस्थितियां कुछ ऐसी बनती है कि उसकी शादी गांव की लड़की देवी (तमन्ना भाटिया) से हो जाती है. कृष्णा फिर देवी को मुम्बई ले आता है और उसे अपने दोस्तों से छुपाकर एक अपार्टमेंट में रखता है मगर कहानी में ट्विस्ट तब आ जाता है जब देवी के अंदर उसी अपार्टमेंट में आत्महत्या कर चुकी रूबी की आत्मा आ जाती है जिसका सपना एक एक्ट्रेस बनने का होता हैं जिसके लिए वह देवी के शरीर की मदद लेती है. फिर कहानी में सुपर स्टार राज (सोनू सूद) की एंट्री होती है, जिसे रूबी से प्यार जाता है. अब कृष्णा का क्या होगा. देवी रूबी से कैसे मुक्ति पायेगी यही आगे की कहानी में है.
फिल्म की कहानी बेहद कमज़ोर है. फिल्म के प्रोमो में कहानी जो दिख रही है वही है बस उस में गाने और डांस भर दिए गए है. फिल्म सेकंड हाफ से जबरदस्ती खिंचती दिखती है रही सही कसर फिल्म का कमज़ोर क्लाइमेक्स कर जाता है. फिल्म भले ही हॉरर कॉमेडी कही जा रही है लेकिन फिल्म देखते हुए यह बात महसूस होती है कि यह फिल्म इस जॉनर पर खरी नहीं उतर पायी है. डराने के लिए वही घिसे पिटे चीज़ों का फिल्म में इस्तेमाल हुआ है. हां फिल्म हंसाने में कामयाब रही है लेकिन वह भी कुछ हिस्सों में. अभिनय की बात करें तो तम्मना ने रूबी और देवी के किरदार में अंतर रखने की अच्छी कोशिश की है.
उन्होंने आवाज़ों में भी बदलाव लाने का प्रयास किया है. सोनू सूद परदे पर वही चित परिचित सुपरस्टार के किरदार को ला पाए हैं. जो अब तक कई फिल्मों में नज़र आ चुका है. हां प्रभु देवा के अभिनय की तारीफ करनी होगी. कॉमिक सिचुएशन हो या इमोशनल वह हर दृश्य में अलग रंग भरते नज़र आए हैं. मुरली शर्मा भी अपने रोल में जमे हैं. फिल्म का गीत संगीत औसत है. कई बार गीत ज़बरदस्ती कहानी में ठूंसे नज़र आये हैं. फिल्म में साउथ कनेक्शन एक अहम हिस्सा है फिर चाहे ऑफ हो या ऑन शायद यही वजह है कि कई बार इस फिल्म को देखते हुए लगता है कि किसी साउथ की फिल्म का हिंदी डब वर्जन देख रहे हैं. फिल्म के दूसरे पक्ष ठीक ठाक हैं. कुलमिलाकर किस्तों में हंसाती यह फिल्म थिएटर के बजाय टीवी पर सैटेलाइट रिलीज़ के बाद देखना अच्छा निर्णय होगी.
उर्मिला कोरी