मुंबई: सिनेमा मालिकों के एक समूह ने पाकिस्तानी कलाकारों द्वारा अभिनीत फिल्में महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक और गोवा में प्रदर्शित करने से आज इनकार कर दिया. इस फैसले से दीपावली पर रिलीज होने जा रही करण जौहर की फिल्म ‘ऐ दिल है मुश्किल’ मुसीबत में फंसती नजर आ रही है, क्योंकि इस फिल्म में पाकिस्तानी अभिनेता फवाद खान मुख्य भूमिका में हैं.
सिनेमा ओनर्स एग्जिबिटर्स असोसिएशन ऑफ इंडिया (सीओईएआई) ने अपनी एक बैठक में यह फैसला किया. इस फैसले के दायरे में मुख्य रुप से सिंगल स्क्रीन वाले सिनेमाघर आएंगे. सीओईएआई ने पिछले महीने हुए उरी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में आई तल्खी के बीच यह फैसला किया. ‘ऐ दिल है मुश्किल’ में फवाद के अलावा ऐश्वर्य राय बच्चन, रणबीर कपूर और अनुष्का शर्मा भी मुख्य भूमिकाएं निभा रहे हैं.
असोसिएशन के अध्यक्ष नितिन दातार ने बताया कि किसी राजनीतिक दबाव की वजह से नहीं बल्कि लोगों की ‘देशभक्ति की भावना’ को देखते हुए यह फैसला किया गया है. दातार ने कहा, ‘सीओईएआई ने फैसला किया है कि देशभक्ति की भावना और हमारे देश के राष्ट्रीय हित को ध्यान में रखते हुए हमारे सभी सदस्य और प्रदर्शक ऐसी फिल्में प्रदर्शित करने से परहेज करेंगे जिनमें पाकिस्तानी कलाकारों, तकनीशियनों, निदेशकों, संगीत निर्देशकों वगैरह ने काम किया हो.’
उन्होंने कहा, ‘हमारे असोसिएशन के तहत सिंगल स्क्रीन थिएटर और कुछ मल्टीप्लेक्सों सहित कई सदस्य हैं. हमारे सदस्य महाराष्ट्र, गुजरात और गोवा और कर्नाटक के कुछ हिस्सों में भी हैं. चीजें (भारत-पाक संबंध) सामान्य होने तक यह फैसला जारी रहेगा.’ ‘ऐ दिल है मुश्किल’ की रिलीज में पिछले महीने भी उस वक्त मुश्किल आई थी कि राज ठाकरे की अगुवाई वाली महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने पाकिस्तानी अभिनेताओं को अल्टीमेटम जारी कर उन्हें भारत छोडने को कहा था और उन पर पाबंदी लगाने की मांग भी की थी.
मनसे ने ‘ऐ दिल है मुश्किल’ और ‘रईस’ को रिलीज नहीं होने देने की धमकी भी दी थी. ‘रईस’ में पाकिस्तानी अभिनेत्री माहिरा खान मुख्य भूमिका में हैं. इसके बाद इंडियन मोशन पिक्चर प्रोड्यूसर्स असोसिएशन (आईएमपीपीए) ने एक प्रस्ताव पारित कर पाकिस्तानी कलाकारों के फिल्म उद्योग में काम करने पर पाबंदी लगा दी थी. भारत-पाक संबंध सामान्य होने तक यह पाबंदी जारी रहेगी. बहरहाल, आईएमपीपीए ने सीओईएआई के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि जिन फिल्मों का निर्माण पूरा हो चुका है, उन्हें निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए.
आईएमपीपीए के अध्यक्ष टी पी अग्रवाल ने बताया, ‘हम अपने रुख पर अडे हुए हैं, हमारा मानना है कि पूरी जा चुकी फिल्मों पर पाबंदी नहीं लगाई जानी चाहिए.’ दातार ने कहा कि कुछ फिल्में प्रदर्शित नहीं करने के फैसले से थिएटर मालिकों को वित्तीय नुकसान तो होगा, लेकिन यदि स्क्रीनें तोड दी जातीं तो इससे उनका ज्यादा नुकसान होता. फिल्म उद्योग से जुडे लोगों ने इस फैसले की आलोचना की, लेकिन मनसे ने इसका स्वागत किया.
मनसे नेता अमय खोपकर ने कहा, ‘मैं सीओईएआई के सदस्यों को बधाई देता हूं…..मेरा मानना है कि मल्टीप्लेक्सों ने अब तक कोई फैसला नहीं किया है लेकिन हम अपने रुख पर कायम हैं कि हम ऐसी किसी फिल्म को महाराष्ट्र में रिलीज नहीं होने देंगे जिसमें पाकिस्तानी कलाकारों ने काम किया हो.’
निहलानी ने फैसले को गलत बताया
सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष पहलाज निहलानी ने कहा कि यह फैसला गलत है, क्योंकि इसमें ज्यादातार कलाकार भारतीय हैं. निहलानी ने कहा, ‘फिल्म का निर्माण भारतीयों ने किया है. फिल्म में ज्यादातर अभिनेता भारतीय हैं, लिहाजा उन्हें हमारे अभिनेताओं और भारतीय निर्माताओं के बारे में चिंतित होना चाहिए. उनके पास ऐसे फैसले करने का कोई अधिकार नहीं है, यह फिल्म उद्योग के खिलाफ है. फिल्म को सेंसरशिप प्रमाण-पत्र भी मिल चुका है.’
क्या कहते हैं ओम पुरी
अभिनेता ओम पुरी ने कहा कि ऐसे फैसलों को तभी सही ठहराया जा सकता है जब सरकार ऐसा कदम उठाए. पुरी ने कहा, ‘यदि सरकार कहती है कि न सिर्फ अभिनेता बल्कि कारोबार के सिलसिले में या अपने रिश्तेदारों से मिलने यहां आए सारे पाकिस्तानी अपने देश लौट जाएं और तीन दिनों बाद उनका वीजा रद्द कर दिया जाएगा, तो मैं सरकार के साथ हूं. देश के मुखिया को ऐसा फैसला करने दीजिए, हम ऐसा न करें.’
फिल्मकार श्याम बेनेगल ने कहा कि इस मुद्दे पर उनकी कोई राय नहीं है. यह फैसला ‘‘राजनीतिक, वाणिज्यिक या सामाजिक हो सकता है.” फिल्मकार विक्रम भट्ट और अभिनेता पीयूष मिश्रा ने भी ऐसी फिल्मों पर पाबंदी लगाने के फैसले को अनुचित करार दिया है जो रिलीज होने को हैं. भट्ट ने कहा, ‘जब आपने फैसला किया है कि आप पाकिस्तानी कलाकारों के साथ काम नहीं करेंगे तो यह अब से लागू होना चाहिए, इसे उस वक्त की चीजों पर लागू नहीं करना चाहिए जब रिश्ते इतने तल्ख नहीं थे. मैं इसे ठीक नहीं समझता कि कोई एक निर्माता इस फैसले की कीमत चुकाए.’
आईएमपीपीए के सदस्य और फिल्मकार अशोक पंडित ने कहा कि सीओईएआई का फैसला खतरनाक है. पंडित ने कहा, ‘संपत्ति के नुकसान के डर के कारण पाकिस्तानी अभिनेताओं वाली पूरी हो चुकी फिल्में रिलीज न करने का एग्जिबिटर्स असोसिएशन का फैसला खतरनाक प्रवृति है. आईएमपीपीए ने पाकिस्तानी कलाकारों पर पाबंदी लगाई है, लेकिन उसका यह भी मानना है कि पूरी हो चुकी और निर्माणाधीन फिल्मों की राह में रोडे नहीं अटकाए जाने चाहिए.’ उन्होंने ट्वीट किया, ‘महाराष्ट्र सरकार को इस मामले में दखल देकर थिएटर मालिकों एवं फिल्म निर्माताओं को संरक्षण देना चाहिए ताकि वे अपनी फिल्में रिलीज कर सकें.’