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अजय देवगन ने किया खुलासा, इसलिए फिल्‍म का नाम रखा ”शिवाय”

अभिनेता अजय देवगन इनदिनों अपनी आगामी फिल्‍म ‘शिवाय’ को लेकर सुर्खियों में हैं. एक लंबे अरसे बाद इस फिल्म से उन्‍होंने निर्देशन की जिम्मेवारी संभाली है. अजय हमेशा से ही निर्देशक ही बनना चाहते थे, इसलिए वह अपनी इस भूमिका को भी अभिनेता की तरह अपने दिल के करीब बताते हैं. हाल ही में हमारे […]

अभिनेता अजय देवगन इनदिनों अपनी आगामी फिल्‍म ‘शिवाय’ को लेकर सुर्खियों में हैं. एक लंबे अरसे बाद इस फिल्म से उन्‍होंने निर्देशन की जिम्मेवारी संभाली है. अजय हमेशा से ही निर्देशक ही बनना चाहते थे, इसलिए वह अपनी इस भूमिका को भी अभिनेता की तरह अपने दिल के करीब बताते हैं. हाल ही में हमारे संवाददाता उर्मिला कोरी से हुई बातचीत में उन्‍होंने कई दिलचस्प खुलासे किये.

‘यू मी और हम’ के बाद आप फिर ‘शिवाय’ में बतौर निर्देशिक के तौर पर लौट रहे हैं?

जो कहानी दिल से जुड़ जाती है, उसे परदे पर लाना चाहता हूं. यह इमोशनल फिल्म है और इसका ट्रीटमेंट अलग है. हॉलीवुड फिल्म डाई हार्ट अगर आपने देखी हो, तो यह भले ही दूसरों को लव स्टोरी लगती है, लेकिन मुझे यह इमोशनल लगती है. पति- पत्नी की कहानी स्क्रीनप्ले इमोशन को पकड़ी हुई दिखेगी.
निर्देशन में क्या चुनौतियां आती हैं?
मैं तो हमेशा से डायरेक्टर ही बनना चाहता था. किस्मत से एक्टिंग में आ गया. जब आप किसी फिल्म में एक्टिंग और निर्देशन कर रहे हैं, तो आपको मेहनत भी डबल करनी होगी. ऐसा ही शिवाय के साथ हुआ. इसमें समय ही नहीं होता था कि और कुछ करूं.
फिल्म का नाम ‘शिवाय’ क्यों रखा?
जिस तरह से मैं निजी ज़िन्दगी में भगवान शिव से कनेक्ट करता हूं, उसी तरह फिल्म में मेरा किरदार का भगवान से कनेक्शन है. मैं क्यों शिव को इतना मानता हूं, यह पता नहीं. बस बचपन से ही मुझे उनमें अगाध श्रद्धा रही. वैसे मुझे दूसरे भगवान से अलग लगते हैं. चालाकी उनमें जरा भी नहीं, इसलिए उन्हें भोला भंडारी भी कहा जाता है. लेकिन वह संहारक भी हैं. कुछ गलतियों को वह बिल्कुल बर्दाश्त नहीं करते.
इस फिल्म में विदेशी एक्टर चुनने की क्या वजह थी और बाल कलाकार अबिगिल को निर्देशित करना कितना टफ था?
विदेशी कलाकार कहानी की मांग थी. हिंदुस्तानियों को लेकर अंगरेज तो नहीं बना सकते हैं. आपकी ज़रूरत जो हो, उसी पर काम करना होता है. मैं इस फिल्म की बाल कलाकार अबिगिल की तारीफ करना चाहूंगा. फिल्म देखकर आप भी मेरी इस बात से सहमत होंगे कि वह पूरी कास्ट में से सबसे बेस्ट एक्टिंग करती है. उस बच्ची को ढूंढ़ने में एक साल का वक़्त गया. इससे समझ सकते हैं कि फिल्म में उसका किरदार कितना अहम है. वह अमेरिका के प्रसिद्ध शो डॉक्टर हुक में काम कर चुकी है.
अभिनेत्री साएशा को आप इस फिल्म से लांच कर रहे हैं?
वह सायरा जी के परिवार से आती हैं. सुमित सहगल उनके पिता हैं, यह बात मुझे मालूम थी. लेकिन फिल्म में उनका चयन ऑडिशन में उनके परफॉरमेंस की वजह से हुआ. वह मुझे बहुत रॉ लगी. मुझे लगा कि अगर उन पर थोड़ा काम किया गया तो जो भी फिल्म की ज़रूरत है, उस में वह फिट बैठेंगी.
फिल्म में आपके और साएशा के किसिंग सीन पर काजोल को कोई ऐतराज तो नहीं हुआ?
बिलकुल भी नहीं. उसको पता है कि फिल्म में ऐसी डिमांड है, इसलिए शूटिंग हुई. कुछ भी सेंसेशनल बनाने के लिए नहीं किया गया है. वह खुद भी एक्ट्रेस है, उसे इसकी समझ है.
इंडस्ट्री में आपको दो दशक से भी ज़्यादा हो गया है. बदलाव पाते हैं?
आज के युवा कलाकार बहुत ज़्यादा फोकस और प्रोफेशनल हैं. हमारे वक़्त में ऐसा नहीं था. हम इतने सीरियस नहीं थे. सिर्फ मैं ही नहीं, अक्षय व सलमान सभी ऐसे ही थे. हमको तो छह से सात साल लगे, तब हम सीरियस हो पाये. हम तो दोस्ती के लिए फिल्में कर लेते थे. फिल्म की रिलीज़ कब होगी, यह हमें पता भी नहीं होता था. लेकिन आज की पीढ़ी बेहद प्रोफेशनल है. हाल ही मुझे मालूम हुआ कि मेरी पहली फिल्म के निर्माता दिनेश पटेल बहुत परेशानी में हैं. मैंने उनकी फिल्म की कहानी भी नहीं सुनी और फिल्म से जुड़ गया. एक पैसा भी नहीं लिया. हालांकि अफ़सोस है कि वह फिल्म फिर भी रिलीज़ नहीं हो पायी, क्योंकि उन पर बहुत ज़्यादा लोन था. आज के दर्शकों को प्रोमो अच्छा लगा, तभी फिल्म देखने आयेंगे. पर मुझे पता है कि कुछ दर्शक हैं, जो फिल्म में मुझे देखने आयेंगे. ऐसे लॉयल दर्शक आज के कलाकारों को नहीं मिलेंगे.

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