FILM REVIEW: कहानी और संगीत दोनों में चूकती है ”रॉक ऑन 2”
II उर्मिला कोरी II फिल्म: रॉक ऑन 2निर्माता: एक्सेल एंटरटेनमेंटनिर्देशक: शुजात सौदागरकलाकार: फरहान अख्तर,अर्जुन रामपाल ,पूरब कोहली,श्रद्धा कपूर, शशांक प्राची देसाई ,शाहना गोस्वामी , कुमुद मिश्रा और अन्य रेटिंग: दो ‘रॉक ऑन’ को 8 साल हो चुके हैं और दूसरी फिल्म ‘रॉक ऑन 2’ की कहानी वही से शुरू होती है जहाँ से खत्म हुई […]
II उर्मिला कोरी II
फिल्म: रॉक ऑन 2
निर्माता: एक्सेल एंटरटेनमेंट
निर्देशक: शुजात सौदागर
कलाकार: फरहान अख्तर,अर्जुन रामपाल ,पूरब कोहली,श्रद्धा कपूर, शशांक प्राची देसाई ,शाहना गोस्वामी , कुमुद मिश्रा और अन्य
रेटिंग: दो
‘रॉक ऑन’ को 8 साल हो चुके हैं और दूसरी फिल्म ‘रॉक ऑन 2’ की कहानी वही से शुरू होती है जहाँ से खत्म हुई थी. बताया जाता है कि मैजिक बैंड एकजुट होकर सफलता की नयी कहानी लिख रहा है और ये बैंड अब नए टैलेंट को भी प्रोमोट कर रहा है लेकिन इसी बीच एक लड़का राहुल आत्महत्या कर लेता है जिसकी मौत के लिए आदित्य खुद को जिम्मेदार मानने लगता है. मैजिक बैंड बिखर जाता है.
अर्जुन रियलिटी जज बन गये हैं. के डी ऐसे लोगों के बीच संगीत बना रहा है जिन्हें संगीत की समझ भी नहीं है. वहीँ आदि (फरहान) इन सब को छोड़कर मेघालय चला जाता है. वहां वह खेती करता है और वहां के लोगों की ज़िन्दगी को बेहतरीन बनाने में वह जुटा है लेकिन राहुल की मौत वह अब तक नहीं भूल पाया है. सभी किरदार दुखी हैं.
एक दिन गांव में आग लग जाती है और फरहान द्वारा शुरू किया स्कूल, खेत खलियान सब जलकर राख हो जाता है. डिप्रेशन में घिरे फरहान की मुलाकात जिया (श्रद्धा कपूर)से होती है जो उसे बचाती भी है. पता चलता है श्रद्धा उसी राहुल की बहन है, जिसने आत्महत्या कर ली थी. संगीत से जिया को भी खासा लगाव है. आखिर में फरहान गांववालों की हालत सुधारने वापस लौटते हैं इस बार आदि का साथ मैजिक बैंड के साथ श्रद्धा भी देती हैं लेकिन यह सब इतना आसान नहीं होता है.
किस तरह से संगीत ज़िन्दगियों में खुशियां है फिल्म की कहानी यही है. कहानी में नयापन नहीं है. पूरी फिल्म में अलग-अलग किरदारों की दुखभरी कहानी और परेशानियां हैं. अगले सीन में क्या होगा आपका पता होता है. यही वजह है कि फिल्म कई बार आपको बोर करने लगती है. जीया के किरदार में जो भी इमोशन है वह जबरदस्ती ढुँसे से लगते हैं. उनसे आप अटैचमेंट फिल्म देखते हुए महसूस नहीं करते हैं’.
हाँ पुरानी ‘रॉक ऑन’ के कुछ पल ज़रूर आपके चेहरे पर मुस्कान ले आते हैं. फिल्म के आखिर में दिखाया जाता है कि आदि का बेटा रॉब भी संगीत को एन्जॉय करता है मतलब साफ़ है फिल्म की तीसरी कड़ी भी आ सकती है फिल्म में सोशल साइट्स की अहमियत दिखाई गयी है किस तरह से सोशल साइट्स किसी भी कोने की परेशानियों को दूसरे से जोड़ देता है. फिल्म में रियलिटी शोज पर कटाक्ष भी किया गया है.
मेघालय फिल्म का बैकड्रॉप है लेकिन फिल्म में नार्थईस्ट की मूल परेशानी का जिक्र एक बार नहीं हुआ है. यह बात अखरती है. अभिनय की बात करे तो यह फिल्म पूरी तरह से फरहान अख्तर की फिल्म है कहानी के लिहाज से लेकिन परफॉरमेंस के मामले में फरहान इस बार परदे पर वह जादू जगा नहीं पाए हैं. श्रद्धा कपूर निराश करती हैं. पूरी फिल्म में वह गा रही हैं या रो रही हैं. एक्टिंग के नाम पर यही था. अर्जुन और पूरब का अभिनय ठीक ठाक रहा. कुमुद मिश्रा और शशांक अरोरा जैसे अच्छे एक्टर्स के लिए फिल्म में करने को कुछ नहीं था. उन्हें पूरी तरह से वेस्ट किया गया है.
प्राची और शाहना को परदे पर देखना अच्छा रहा. संगीत की बात करें तो शंकर एहसान लॉय भी चूक गए हैं. उषा उथुप वाले गीत को छोड़ दे तो कोई भी गीत संगीत खास नहीं बन पड़ा है. फिल्म की सिनेमेटोग्राफी अच्छी है. मेघालय के खूबसूरत दृश्य फिल्म की खूबसूरती को बढ़ाते हैं. मुम्बई को गंगनचुम्बी इमारतों के ज़रिये बखूबी दर्शाया गया है. संवाद सहित दूसरे पक्ष ठीक ठाक है. कुलमिलाकर यह सीक्वल फिल्म उम्मीदों पर खरी नहीं उतर पायी है. फिल्म कहानी और संगीत दोनों का अति औसत होना इसकी वजह है.