FILM REVIEW: शानदार ”कहानी”, बेजोड़ अभिनय, लेकिन संस्पेंस गायब
II उर्मिला कोरी II फिल्म: कहानी 2 दुर्गा रानी सिंह निर्माता: जयंतिलाल गाड़ा निर्देशक: सुजॉय घोष कलाकार: विद्या बालन , अर्जुन रामपाल , रेटिंग: तीन चार साल पहले साल निर्देशक सुजॉय घोष और अभिनेत्री विद्या बालन साथ में थ्रिलर-सस्पेंस फिल्म कहानी लेकर आये थे. यह जोड़ी फिर साथ-साथ कहानी की फ्रेंचाईजी फिल्म ‘कहानी 2’ से […]
II उर्मिला कोरी II
फिल्म: कहानी 2 दुर्गा रानी सिंह
निर्माता: जयंतिलाल गाड़ा
निर्देशक: सुजॉय घोष
कलाकार: विद्या बालन , अर्जुन रामपाल ,
रेटिंग: तीन
चार साल पहले साल निर्देशक सुजॉय घोष और अभिनेत्री विद्या बालन साथ में थ्रिलर-सस्पेंस फिल्म कहानी लेकर आये थे. यह जोड़ी फिर साथ-साथ कहानी की फ्रेंचाईजी फिल्म ‘कहानी 2’ से से वापसी की है. विद्या बालन का बेजोड़ अभिनय एकबार फिर इस फिल्म में दिख रहा है.
बस चार साल पहले वाली ‘कहानी’ में जो थ्रिलर-सस्पेंस फैक्टर फिल्म की कहानी की ताकत और खासियत था. वह इस बार गायब है. जो ‘कहानी 2’ को हिंदी सिनेमा की यादगार थ्रिलर और सस्पेंस फिल्म कहानी की सीक्वल फिल्म होने की उम्मीद पर खरा उतरने नहीं देता है. कहानी की सीक्वल फिल्म से न जोड़ा जाए तो यह अच्छी फिल्म बनी है. फिल्म की कहानी की बात करे तो यह फिल्म विद्या सिन्हा(विद्या बालन) की कहानी है. जिसकी एक बेटी मिली है जो अचानक गायब हो जाती है.
फिर कहानी आठ साल पीछे चली जाती है. विद्या बालन का असली नाम दुर्गा रानी सिंह है. जिसे पुलिस हत्या और किडनेपिंग के लिए तलाश रहे हैं. मुख्य रूप से फिल्म की कहानी बाल यौन शोषण पर आधारित है. इंटरवल से पहले की फिल्म में खूब रहस्य और रोमांच दिखता है. जो पूरी तरह से आपको फिल्म से बांधे रखता है लेकिन जैसे ही फिल्म का दूसरे हाफ में पहुँचती है. कहानी कमज़ोर होती चली जाती है. आप संस्पेंस का इंतज़ार करते रह जाते हैं और होता वो है जो आप सोच रहे हैं. फिल्म से सस्पेंस नदारद है. जो की इस थ्रिलर फिल्म की सबसे बड़ी ज़रूरत थी.
फिल्म का क्लाइमेक्स परिचित सा है जिसे देखकर आपको कोई आश्चर्य नहीं होता है. फिल्म की कहानी में कई खामियां दिखती है. विद्या के किरदार का इंद्रजीत की पत्नी होने की ज़रूरत समझ नहीं आती है. मिनी को लेकर दुर्गा कलिम्पोंग से भागकर नज़दीक चंदननगर में क्यों रहती है. कोलकाता से बाहर क्यों नहीं गयी. फिल्म कहानी में एक कहानी बनायीं गयी थी जो हकीकत नहीं था इस बार ऐसी कोई कहानी नहीं बुनी गयी है. हाँ इस डार्क थ्रिलर फिल्म को चुटीले संवाद के ज़रिये थोड़ा हल्का बनाया गया है.
अर्जुन की गट फीलिंग हो या पुलिस अफसर हलधर का किरदार, अच्छा बन पड़ा है. फिल्म की सबसे बड़ी यूएसपी इसका अभिनय है ,जो फिल्म को एक अलग ही लेवल पर लेकर जाता है. इस ‘कहानी’ में भी विद्या बालन का अभिनय जबरदस्त और शानदार है. डर, परेशानी, गुस्सा सब कुछ एक ही किरदार में बखूबी उड़ेल दिया गया है. यह कहना गलत न होगा कि ‘कहानी 2’ की कहानी में रह गयी खामियों को विद्या बालन ने अपने जबरदस्त अभिनय से संभाला है. अर्जुन रामपाल ने भी कमाल का परफॉरमेंस दिया हैं. वह भी अपने अभिनय से आपको बांधे रखते हैं.
मिली के किरदार में नजर आए दोनों बाल कलाकारों ने बहुत अच्छा काम किया है. खासकर नाएशा खन्ना की विद्या के साथ केमिस्ट्री परदे पर बेहद खूबसूरत दिखी है. जुगल हंसराज औसत रहे हैं. पुलिस ऑफिस हलदार का किरदार याद रह जाता है. उनके अभिनय की तारीफ करनी होगी. बाकी के किरदार अच्छे रहे हैं. थ्रिलर फिल्म होने के कारण फिल्म में गीत संगीत की ज़्यादा गुंजाईश नहीं थी. बैकग्राउंड म्यूजिक ठीक ठाक है.
फिल्म की सिनेमेटोग्राफी अच्छी है. चंदननगर और कलिम्पोंग कहानी कहानी के हिसाब से है. लोकेशन्स पूरी तरह से कहानी में रचे बसे हैं. जो इस डार्क फिल्म को प्रभावी ढंग से सामने लाते हैं. संवाद की बात करें तो वह सहज हैं जब तक मैं ज़िंदा हूँ तुझे कुछ नहीं होने दूंगी. यह याद रह जाता है.कुल- मिलाकर ‘कहानी 2’ की कहानी में सस्पेंस की कमी के बावजूद् विद्या बालन का अभिनय इस फिल्म को खास बना जाता है.