सुपरहीरो की संस्कृति से आक्रामक होते हैं बच्चे !

वाशिंगटन : सुपरहीरो की संस्कृति को बढावा देने की आम धारणा के विपरीत एक नये अध्ययन के मुताबिक यह बात सामने आयी है कि वास्तविकता में सुपरहीरो की संस्कृति बच्चों में रक्षा करने की क्षमता बढाने के बजाए आक्रामकता को बढावा देती है. अमेरिका के बर्मिंघम यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया कि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 12, 2017 3:34 PM

वाशिंगटन : सुपरहीरो की संस्कृति को बढावा देने की आम धारणा के विपरीत एक नये अध्ययन के मुताबिक यह बात सामने आयी है कि वास्तविकता में सुपरहीरो की संस्कृति बच्चों में रक्षा करने की क्षमता बढाने के बजाए आक्रामकता को बढावा देती है. अमेरिका के बर्मिंघम यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में पाया कि शिशु विद्यालय की उम्र वाले लडके और लडकियां भी सुपरहीरो वाली संस्कृति की तरफ बहुत तेजी से खींचे चले जा रहे है.

प्रोफेसर सराह एम कोएन ने बताया, ‘‘बहुत सारे शिशु विद्यालय के छात्र सुपर हीरो वाली संस्कृति में जीना चाहते हैं और कई माता-पिता भी यह सोचते हैं कि सुपरहीरो की संस्कृति से उनके बच्चों को अन्य चीजों से रक्षा करने में मदद मिलेगी और अपने साथियों को अच्छा बना सकते हैं.’ कोएन ने बताया, ‘‘लेकिन हमारा अध्ययन इस धारणा के बिल्कुल विपरीत है. बच्चें इससे जल्दी आक्रामक हो जाते हैं.’
कोएन ने पाया कि जो बच्चें सुपरहीरो संस्कृति के आकर्षण में जल्दी आ जाते हैं वे एक साल बाद शारीरिक तौर पर आक्रामक होने के साथ-साथ संबंधों में भी ज्यादा आक्रामक हो जाते हैं. उन्होंने इस दौरान पाया कि यहां तक कि बच्चें इससे बदमाशों से अपनी रक्षा भी नहीं कर पाते हैं और उसके सामाजिक मेलजोल की भी संभावना नहीं होती है. कोएन ने बताया, ‘‘अपने बच्चों को हरेक तरह की गतिविधियों में शामिल कीजिए. बहुत सारी चीजें हैं जिन्हें करने और उसमें रचि पैदा करने की जरुरत है.’

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