II उर्मिला कोरी II
फिल्म: ओके जानू
निर्माता: कर जौहर
निर्देशक: शाद अली
कलाकार: आदित्य रॉय कपूर, श्रद्धा कपूर, नसीरूद्दीन शाह
रेटिंग: डेढ़
रीमेक फिल्में हिंदी सिनेमा का हिट और लगातार रिपीट होने वाला फार्मूला बन गया है. करण जौहर की फिल्म ‘ओके जानू’ इसी की अगली कड़ी है. मणिरत्नम की फिल्म ‘ओ कधल कनमणि’ का हिंदी रीमेक यह फिल्म एक लव स्टोरी फिल्म है.
मौजूदा दौर की लव स्टोरी फिल्मों के प्रचलित फार्मूलों से बनायीं गयी है. एक और लव स्टोरी कन्फ्यूज्ड प्यार की कहानी है जो दोहराव लिए है फिल्म अगले पल क्या होगा. यह बात आपको पता होती है. फिल्म की इस आशातीत कहानी पर आये तो यह आदित्य और तारा की कहानी है.
आदित्य वीडियो गेम्स बनाता है. वह बहुत महत्वकांक्षी है. आदित्य कुछ समय बाद अमेरिका जाने वाला है. तारा एक आर्किटेक्ट है और जल्द ही पेरिस जाने वाली है. प्यार को लेकर दोनों कंफ्यूज हैं लिव इन में कुछ समय के लिए रहना चाहते हैं फिर वह अपने सपनों को पूरा करने के लिए अलग अलग ज़िन्दगी में रास्ता अख्तियार करना चाहते हैं.
हिंदी फिल्म है तो ऐसा होने से रहा और हीरो हीरोइन हैं तो प्यार तो होना ही थाफिर वही होता है जो अब तक कई हिंदी फिल्मों में होता आया है. क्या वहअपने इस सच्चे प्यार का इज़हार कर एक दूसरे के हमेशा केलिए हो पाएंगे या फिर इनके प्यार का अंजाम कुछ और होगा.
यही फिल्म की आगे की कहानी है. कहानी से और ज़्यादा इसलिए निराशा होती है कि मणि रत्नम ने इस फिल्म की कहानी को लिखा है. प्लाट बदल बदलकर वही कहानी दोहराई जा रही है. जो अब तक हम कई लव स्टोरीज फिल्मों में देख चुके हैं.
फिल्म के फर्स्ट हाफ में आदि का तारा के प्रति प्यार को दर्शाने में ज़रूरत से ज़्यादा समय गया है. वह दो तीन दृश्य में भी कहा जा सकता था. नसीरुद्दीन और लीला सम्पसन का ट्रैक छोटा है उनके ट्रैक को अगर कहानी में और जोड़ा जाता तो फिल्म रोचक बन सकती थी.
अभिनय की बात करें तो आदित्य और श्रद्धा में आशिकी 2 वाली केमिस्ट्री नज़र नहीं आयी है. हाँ दोनों ने अपनी भूमिका को अच्छे से निभाया है. नसीर अपनी भूमिका से फिल्म को एक अच्छा आयाम देते हैं. दूसरे किरदारों का काम ठीक ठाक रहा.
ए आर रहमान का संगीत औसत है. फिल्म का आर्ट बहुत खूबसूरत है. फिल्म के संवाद और अन्य पक्ष ठीक ठाक हैं कुलमिलाकर ‘ओके जानू’ अपने नाम की तरह ओके टाइप की फिल्म है. ऐसी लव लव स्टोरी फिल्म हम कई बार देख चुके हैं तो एक बार फिर क्यों…