फिल्में ही नहीं दुनिया भी ”मेल सेंट्रिक” है: हुमा कुरैशी

‘गैंग्स ऑफ़ वासेपुर’ और ‘बदलापुर’ जैसी फिल्मों से परिचित चेहरा बन चुकी हुमा कुरैशी जल्द ही फिल्म ‘जॉली एलएलबी 2’ में अक्षय कुमार के साथ नज़र आएंगी. यह पहली बार होगा जब वह किसी सुपरस्टार के साथ स्क्रीन शेयर कर रही हैं. लेकिन हुमा अपने कोएक्टर से ज़्यादा फिल्म की स्क्रिप्ट को अहम करार देती […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 3, 2017 2:47 PM

‘गैंग्स ऑफ़ वासेपुर’ और ‘बदलापुर’ जैसी फिल्मों से परिचित चेहरा बन चुकी हुमा कुरैशी जल्द ही फिल्म ‘जॉली एलएलबी 2’ में अक्षय कुमार के साथ नज़र आएंगी. यह पहली बार होगा जब वह किसी सुपरस्टार के साथ स्क्रीन शेयर कर रही हैं.

लेकिन हुमा अपने कोएक्टर से ज़्यादा फिल्म की स्क्रिप्ट को अहम करार देती हैं. फिल्‍म के ट्रेलर और पोस्‍टर रिलीज हो चुके हैं जिसे दर्शकों ने खूब पसंद किया है. फिल्‍म 10 फरवरी को सिनेमाघरों में दस्‍तक देगी. हमारे संवाददाता उर्मिला कोरी से हुई उनकी खास बातचीत…

किस तरह से ‘जॉली एलएलबी’ से जुड़ी ?

जब ‘जॉली एलएलबी’ रिलीज हुई थी उसके बाद ही मुझे निर्देशक सुभाष कपूर का फोन आया था लेकिन वो किसी दूसरी फिल्‍म के लिए था लेकिन वह फिल्म बन ही नहीं पायी. जिसके बाद उन्होंने मुझे इस फिल्म की स्क्रिप्ट के नरेशन को बुलाया. मुझे यह स्क्रिप्ट बहुत भा गई. मुझे लगा कि मुझे इस फिल्‍म का हिस्‍सा बनना चाहिए. सबसे पहले इस सीक्वल फिल्म से मैं जुड़ी फिर अक्षय कुमार इसका हिस्सा बने.

अक्षय का कहना है कि आप इस फिल्म में डोमिनेटिंग वाइफ के किरदार में हैं ?

नहीं डॉमिनेटिंग तो नहीं कहूंगी (हंसते हुए) जैसी बीवियां होती हैं. वैसा ही किरदार है. अक्षय का किरदार वकील का है. वह अपनी बीवी को बहुत खुशियां देना चाहता है लेकिन पैसे ही नहीं है और मेरा किरदार पुष्पा पांडे का कुछ ऐसा है कि जो हमेशा कुछ न कुछ मांगती ही रहती हैं. कभी उसे महंगे कपड़े चाहिए तो कभी घूमने जाना है तो कभी रेस्टोरेंट में खाना. काफी बॉसी टाइप है. वहीं अक्षय का किरदार घर में आकर खाना भी पकाता है. मेरा पैर भी दबाता है लेकिन उसकी एक खासियत है वह अपने पति को चाहे जो भी कहे लेकिन कोई दूसरा उसे कुछ कहता है तो वह लड़ने से पीछे नहीं रहती है.

अक्षय के साथ शूटिंग का अनुभव कैसा रहा ?

काफी अलग रहा. अक्षय के साथ शूटिंग जैसे ही शुरु हुई स्कूल वाला टाइम शुरु हो गया. छह बजे सुबह उठना सात बजे सेट पर कॉल टाइम लेकिन अगर लाजर्र पिक्चर देखें तो यह अच्छा भी था क्योंकि हम सभी सवा पांच तक फ्री हो जाते थे. उसके बाद पूरी तरह से हमारा समय होता था. फैमिली के साथ समय बिताईए या फिर जिम जाइए. सिर्फ उठने की दिक्कत होती थी. जैसे वो स्कूल के दिनों में होता था ना कि सुबह सुबह मम्मी को बोलते थे कि बस पांच मिनट और सोने दो. यहां भी ऐसा ही होता था लेकिन उसके बाद पूरी फिल्म की शूटिंग बहुत ही खास अनुभव रहा. 35 दिनों में हंसते खेलते हमने फिल्म की शूटिंग पूरी भी कर ली और हमें पता भी नहीं चला.

इस फिल्म के लिए क्या आपने कुछ होमवर्क भी किया था ?

हां सभी कलाकारों के साथ वर्कशॉप किया. इस फिल्म में अन्नू कपूर सौरभ शुक्ला जैसे मंझे हुए कलाकार हैं तो उनके साथ साथ एक्टिंग का सुर सही लगे इसके लिए आपको साथ में एक्टिंग वर्कशॉप करनी जरुरी होती है. रीडिंग भी की. एक सीन हैं जहां अक्षय को चोट लगती है और मैं बहुत दुखी होती हूं. वो बहुत अहम सीन था उस सीन के लिए काफी तैयारी करनी पड़ी थी.

अक्षय सुपरस्टार हैं क्या कोई फैन मूवमेंट वाली भी फीलिंग थी ?

हां, अक्षय सुपरस्टार हैं और उनकी फिल्में और गाने सुनकर मैं बड़ी हुई हूं लेकिन अक्षय का फैन मेरा भाई साकिब है वो तो बहुत खुश हो गया था कि मुझे अक्षय के साथ फिल्म करने को मिल रही है. मुझसे ज्यादा वह उत्साहित था. इसलिए मेरे लिए फैन मूवमेंट तो नहीं था लेकिन हां मैं बहुत खुश थी कि मुङो अक्षय के साथ इस फिल्म को करने का मौका मिला है. जिसमे एक्शन, इमोशन, कॉमेडी, ड्रामा के साथ साथ सोल भी है.

यह फिल्म मेल सेंट्रिक है क्या आपको लगता है कि एक एक्ट्रेस के तौर पर आपको परफॉर्म करने का मौका मिलेगा?

मेल सेंट्रिक तो दुनिया भी है लेकिन एक दुनिया लड़कियों के बिना नहीं चलेगी. यह भी एक बहुत बड़ी हकीकत है. ऐसी ही फिल्में भी हैं ,इस फिल्म में अक्षय का अहम किरदार है लेकिन उन्हें गलत के खिलाफ लड़ने के लिए मैं ही प्रेरित करती हूँ. आप फिल्म देखिए उसके बाद इस पर बात करना सही होगा कि मैं इस फिल्म में मुझे परफॉर्म करने का मौका मिला या नहीं. हॉलीवुड में मेल फीमेल के दायरे से मुक्त है वहां हीरोइन अपने से छोटे उम्र के अभिनेता के साथ काम करती है बॉलीवुड में भी ऐसा हो रहा है करीना कपूर खान अपने से छोटे उम्र के अभिनेताओं के साथ स्क्रीन शेयर करती हैं हाँ हॉलीवुड इस मामले में अग्रणी रहा है. मेरिल स्ट्रिप जैसी अदाकारों की मैं मुरीद हूँ. हॉलीवुड में सबकुछ अच्छा है और हमारे यहाँ सब बुरा ऐसा भी नहीं है. प्लास्टिक सर्जरी और बोटॉक्स जॉब सबसे ज़्यादा हॉलीवुड में ही होता है. वह यूथ को चेस करने के पीछे भाग रहे हैं.

पिछले कुछ समय आपकी हॉलीवुड फिल्म वाइसराय हाउस को लेकर आप चर्चा में हैं, उस फिल्म के बारे में आप कुछ बताइए ?

इस फिल्म का निर्देशन गुरिंदर चड्ढा ने किया है. वाइसराय हाउस आज़ादी के बाद बंटवारे को सामने लेकर आती है ,जब माउंटबेटेन के घर एक दोपहर तय होता है कि कौन से गांव भारत में रहेंगे और कौन से गांव पाकिस्तान में. मेरा किरदार उर्दू ट्रांसलेटर का है ,जिसको उसी घर में कुक का काम करने वाले हिन्दू लड़के से प्यार है. इस फिल्म में ओम पुरी साहब मेरे पिता की भूमिका में हैं. मुझे लगता है कि बटवारा हम सभी से बहुत करीब से जुड़ा है. आज़ादी मिलने की ख़ुशी थी तो बंटवारे का दर्द भी. मौजूदा दौर में जो हालात हैं अगर यह फिल्म देखकर लोगों के जेहन में ये बात आये कि कितनी मुश्किलों से हमें ये आज़ादी मिली थी और हम क्या कर रहे हैं.

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