फिल्म रिव्यू: द गाजी अटैक
II उर्मिला कोरी II फिल्म : द गाजी अटैक निर्देशक : संकल्प रेड्डी कलाकार : राणा डग्गुबती, केके मेनन, अतुल कुलकर्णी, ओम पुरी, राहुल सिंह, तापसी पन्नू स्टार: साढ़े तीन हिंदी फिल्मों में अब तक भारत पाकिस्तान की वॉर पर कई फिल्में बन चुकी हैं लेकिन यह पहला मौका है जब दोनों देशों की नेवी […]
II उर्मिला कोरी II
फिल्म : द गाजी अटैक
निर्देशक : संकल्प रेड्डी
कलाकार : राणा डग्गुबती, केके मेनन, अतुल कुलकर्णी, ओम पुरी, राहुल सिंह, तापसी पन्नू
स्टार: साढ़े तीन
हिंदी फिल्मों में अब तक भारत पाकिस्तान की वॉर पर कई फिल्में बन चुकी हैं लेकिन यह पहला मौका है जब दोनों देशों की नेवी के बीच की जंग को दिखाया गया है. 1971 की इस जंग का जिक्र कहीं हुआ ही नहीं है. फिल्म की टैगलाइन भी यही है- वह युद्ध जिसके बारे में आप नहीं जानते.
पीएनएस गाजी रहस्यमई परिस्थितियों में डूब जाती है. जिसे लेकर भारत और पाकिस्तान दोनों की अपनी कहानियां हैं. फिल्म इस घटना के तथ्यों पर बात करती है और इसके इर्द-गिर्द एक कहानी बुनती है, जिसमें स्ट्रैटजी, ड्रामा, देशभक्ति के साथ साथ कल्पना भी है.
फिल्म के आरंभ में एक लंबे डिस्क्लेमर में बताया गया है कि यह सच्ची घटनाओं की काल्पनिक कथा है. कहते हैं कि गोपनीय मिशन होने के कारण इस अभियान का कहीं कोई दस्तावेज नहीं है. इस अभियान में शहीद हुए जवानो को कोई पुरस्कार और सम्मान नहीं दिया गया है. यह फिल्म ऐसे ही अनसंग हीरोज की कहानी है.
फिल्म की कहानी पर बात करें तो महानायक अमिताभ बच्चन की सशक्त आवाज़ से कहानी की शुरुआत होती हैं. बताया जाता है कि बांग्लादेश के गठन से पहले वहां के हालात क्या थे. पाकिस्तान किस तरह से मनमानी कर रहा था. भारत भी उससे अछूता नहीं था.
इसी बीच भारतीय जल सेना के प्रमुख को मालूम होता है कि पाकिस्तानी भारतीय बंदरगाहों को अपने कब्ज़े में करने के लिए हमला करने की तैयारी में है. यह खबर सही है या गलत इसके लिए सरकार कुछ जांबाज़ ऑफिसर्स को पनडुब्बी एस 21 के साथ गुप्त मिशन पर भेजती है.
रणविजय सिंह (के के मेनन) बहुत सख्त ऑफिसर है. वह दुश्मन को हमेशा सामने से जवाब देना जानते हैं. उनकी एक बैकस्टोरी भी है. वैसे उस बैकस्टोरी ज़रिये निर्देशक ने बहुत खूबी से सैनिकों के दर्द को उकेरा हैं. जिन्हें पॉलिटिक्स की वजह से अपनी जान गवानी तक पड़ जाती है खैर मूल कहानी पर आते हैं.
गरम दिमाग कमांडर रणविजय को शांत रखने के लिए लेफ्टिनेंट कमांडर अर्जुन वर्मा (राणा डग्गुबती) है. उसे ड्यूटी दी गई है कि भारत सिर्फ डिफेंड करे, अटैक नहीं. दोनों की सोच देशहित में है लेकिन तरीके अलग अलग. उनके अलग अलग तरीके से फर्स्ट हाफ में अच्छा ड्रामा बनता हैं.
इन दोनों दोनों के बीच पनडुब्बी चालक देवराज (अतुल कुलकर्णी) किस तरह से आखिर में अर्जुन रणविजय के तरीके को सही मानकर पाकिस्तान के न सिर्फ मंसूबे पर पानी फेर देता है बल्कि पाकिस्तान की बेहतरीन पनडुब्बी गाज़ी को नष्ट भी कर देते है लेकिन इन सब में रणविजय को अपनी जान देनी पड़ती है.
फिल्म की कहानी एंगेजिंग है. फिल्म की कहानी में कई टेक्निकल पार्ट भी दिखाए गए हैं. जो दर्शकों के लिए नया हो सकता है लेकिन निर्देशक ने बहुत खूबी से उसे कहानी में जोड़ा है डायरेक्टर इस मायने में प्रशंसा के पात्र हैं कि उन्होंने इसमें कहीं कोई कसर या गलती नहीं की है.
संकल्प रेड्डी की यह बतौर डायरेक्टर पहली फिल्म है. उन्होंने हर बारीक चीजों का खयाल रखा है. फिल्म में देशभक्ति की भावना को भी राष्ट्रीय गान और संवाद के ज़रिये बखूबी बयां किया गया है जो फिल्म को और ज़्यादा जोड़ जाता है.
अभिनय की बात करें तो के के मेनन और अतुल कुलकर्णी जैसे अभिनय के मंझे हुए नाम ने उम्दा काम किया है. राणा ने भी बखूबी अपनी भूमिका को निभाया है. राहुल सिंह का पाकिस्तानी कप्तान रज्जाक की भूमिका में अभिनय भी प्रशंसनीय है. तापसी पन्नू के लिए फिल्म में करने को कुछ खास नहीं था. बाकी के किरदार औसत रहे हैं.
दिवंगत अभिनेता ओम पुरी फिल्म में मेहमान भूमिका में दिखें हैं. फिल्म के संवाद और दूसरे पक्ष कहानी के अनुरूप हैं कुलमिलाकर हिंदी फिल्मों में युद्ध पर अब तक जितनी भी फिल्में बनी हैं, ‘द गाजी अटैक’ उनमें अपनी अहम उपस्थिति दर्शाने में कामयाब रहती है.