कोलकाता: निर्देशक विशाल भारद्वाज ने कहा है कि ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर आधारित उनकी फिल्म ‘रंगून’ आजादी के आंदोलन में आजाद हिंद फौज की भूमिका पर बात करती है और यह फिल्म नेताजी सुभाष चंद्र बोस के लिये मेरी श्रद्धांजलि है.
भारद्वाज ने कहा, ‘आज की पीढी के साथ इस तथ्य को साझा करना महत्वपूर्ण है. नेताजी का बलिदान प्रकाश में आना चाहिए. यह फिल्म आजाद हिंद फौज को मेरी विनम्र श्रद्धांजलि है जिसके बारे में लोग बहुत कम जानते हैं.’
उन्होंने कहा, ‘लेकिन फिल्म में ऐतिहासिक उल्लेख पे्रम कहानी की पृष्ठभूमि के तौर पर आता है. मेरी मंशा विवाद पैदा करना नहीं थी और फिल्म में प्रामाणिकता का पुट डालने के लिये मैं आजाद हिंद फौज संग्रहालय गया था जहां मैंने विस्तार से शोध किया.’
उन्होंने कहा, सैफ अली खान, कंगना रनौत और शाहिद कपूर अभिनीत ‘रंगून’ निश्चित तौर पर एक प्रेम कहानी है जो वर्ष 1944 के मोइरांग युद्ध की पृष्ठभूमि पर बनी है. उसी वक्त आजाद हिंद फौज ने सबसे पहले तिरंगा झंडा फहराया था.
51 वर्षीय फिल्मकार ने कहा, ‘निश्चित तौर पर यह युद्ध की पृष्ठभूमि में एक प्रेम कहानी है और फिल्म के मूल में देशभक्ति है. तीनों मुख्य किरदार काल्पनिक तौर पर गढे गये हैं. मैंने कल्पना और तथ्यों का मिश्रण किया है.’
भारद्वाज यहां खास तौर पर नेताजी के परिवार के सदस्यों के लिये आयोजित फिल्म की स्क्रीनिंग के लिये आये थे.
भारद्वाज ने बताया, ‘मोइरांग, इंफाल से 45 किलोमीटर दक्षिण में बसे बिष्णुपुर जिला में स्थित है और यह वही जगह है जहां आजादी की लडाई में पहली बार नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आजाद हिंद फौज ने अपना झंडा फहराया था. हालांकि, उस वक्त मणिपुर भारत का हिस्सा नहीं था.’
बहरहाल, ‘हैदर’ और ‘मकबूल’ जैसी बेहतरीन फिल्मों के लिये प्रशंसा बटोर चुके भारद्वाज ने इस बात से इनकार किया कि फिल्म में कंगना की भूमिका ‘फियरलेस नाडिया’ से प्रेरित थी.
प्रकाश झा के प्रोडक्शन की फिल्म ‘लिपस्टिक इन माई बुर्का’ को सेंसर बोर्ड के सर्टिफिकेट नहीं देने के फैसले से उपजे विवाद पर भारद्वाज ने कहा कि इसमें कुछ गलतफहमी है.
उन्होंने कहा, ‘मैं इस मुद्दे के बारे में नहीं जानता. लेकिन मैं नहीं समझता कि कोई सरकारी संस्था यह कह सकती है कि यह एक महिला प्रधान फिल्म है. इसे लेकर कुछ गलतफहमी हो सकती है.’