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FILM REVIEW: फिल्‍म देखने से पहले जानें कैसी है ”बद्रीनाथ की दुल्‍हानिया”, पढ़े रिव्‍यू

II उर्मिला कोरी II फिल्म: बद्रीनाथ की दुल्हनिया निर्माता: धर्मा प्रोडक्शन निर्देशक: शशांक खेतान कलाकार: आलिया भट्ट, वरुण धवन, शाहिल वैद, श्वेता बसु प्रसाद, रितुराज, यश सिन्हा, पुनीत सिंह रतन और गौहर खान रेटिंग: तीन अभिनेता वरुण धवन एवं आलिया भट्ट की जुगलबंदी ‘हंप्‍टी शर्मा की दुल्हनिया’ के बाद ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’ में फिर साथ […]

II उर्मिला कोरी II

फिल्म: बद्रीनाथ की दुल्हनिया

निर्माता: धर्मा प्रोडक्शन

निर्देशक: शशांक खेतान

कलाकार: आलिया भट्ट, वरुण धवन, शाहिल वैद, श्वेता बसु प्रसाद, रितुराज, यश सिन्हा, पुनीत सिंह रतन और गौहर खान

रेटिंग: तीन

अभिनेता वरुण धवन एवं आलिया भट्ट की जुगलबंदी ‘हंप्‍टी शर्मा की दुल्हनिया’ के बाद ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’ में फिर साथ साथ है. इस बार इस रोमांटिक कॉमेडी फिल्म में मैसेज भी है. फिल्म का निर्देशक शशांक खेतान है और निर्माता करण जौहर.

कहानी पर आए तो ‘बद्रीनाथ की दुल्हनिया’ छोटे शहर में रहने वाले बद्रीनाथ बंसल (वरुण धवन) और वैदेही (आलिया भट्ट) की कहानी है. झांसी के रहने वाले बद्रीनाथ को कोटा की रहने वाली वैदेही से प्यार हो जाता है. वैदेही एक पढ़ी-लिखी लड़की है.

वैदेही के सपने आसमान छूने के हैं वह सिर्फ शादी नहीं करना चाहती लेकिन बद्रीनाथ और उसका परिवार अलग सोच रखता है. क्या ये अलग सोच इनके प्यार को मुक्कमल कर पायेगा. क्या वैदेही के सपनों को बद्री समझ पाएगा. इसी के इर्द गिर्द फिल्म की कहानी बुनी गयी है.

यह एक मसाला फिल्म है. फिल्म की कहानी सिंपल सी है नयी नहीं है लेकिन इस फिल्म से जुड़ा सन्देश फिल्म को खास बना जाता है. फिल्म में लड़के-लड़की के बीच के अंतर और दहेज लेने-देने के मुद्दे की ओर ध्यान आकर्षित किया गया है. इस सेंसिटिव मुद्दे को फिल्म में मनोरंजन और कॉमेडी के ताने बाने में बुनकर सामने लाया गया है.

फिल्म का क्लाइमेक्स रटा रटाया सा है. अब तक कई बॉलीवुड फिल्मों में देख चुके हैं. इस खामी के बावजूद फिल्म आपको बांधे रखती है. निर्देशक शशांक खेतान की तारीफ करनी होगी. इस रोमांटिक कॉमेडी फिल्म का अप्प्रोच बहुत ही लाइट है लेकिन उन्होंने फिल्म में लड़के लड़की के भेद को सामने ला दकियानूसी सोच पर सवाल किया है.

फिल्म के शुरुआत में ही कहानी के नरेशन के द्वारा भारत में लड़के और लड़की के होने के फर्क को सामने लाया गया है. समाज और परिवार के दोयम दर्जे को उठाया गया है. अब तक की बॉलीवुड फिल्मों में हीरो हीरोइन को गुंडों से बचाता दिखता रहा है लेकिन इस फिल्म के एक सीन में आलिया वरुण को जब सिंगापुर में गुंडों से बचाती है. वह सीन अच्छा बन पड़ा है. भले ही वह सीन लाइट हेर्टेड ढंग से फिल्माया गया है मगर उस में छुपा सन्देश सशक्त है.

अभिनय की बात करें तो वरुण धवन परदे पर बेहतरीन रहे हैं. छोटे शहर के युवा का लुक और बॉडी लेंग्वेज सबकुछ उन्होंने बखूबी आत्मसात किया है. यूपी के लहजे को उन्होंने पूरी फिल्म में बरकरार रखा है. आलिया भट्ट को परदे पर देखना हमेशा की तरह इस बार भी ट्रीट की तरह रहा है. वह परदे पर हमेशा की तरह बहुत खूबसूरत लगी हैं.

इस फिल्म की कहानी को आलिया और वरुण की केमिस्ट्री और ज़्यादा खास बना देती है. बद्री के दोस्त सोमनाथ की भूमिका में साहिल वैद याद रह जाते हैं. फिल्म में उनकी मौजूदगी कॉमेडी को एक अलग स्तर पर ले जाती है. वरुण और उनके बीच के सीन अच्छे बन पड़े हैं. बाकी के किरदार भी अपनी अपनी भूमिका में जमें हैं.

फिल्म का गीत संगीत कहानी की तरह ही मनोरंजक है फिल्म का संगीत आपको थिरकने पर मजबूर कर देगा. बेबी डॉल का भोजपुरी वर्जन हो या माता की चौकी वाला फिलर गीत वह भी अच्छे बन पड़े हैं फिल्म का प्रोडक्शन वैल्यू शानदार है.

फिल्म के संवाद फिल्म को मनोरंजक बनाते है. कुल मिलकर कहानी में कुछ खामियों के बावजूद दर्शकों के लिए यह फिल्म एक पूरा एंटरटेनमेंट पैकेज है.

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