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”अनारकली ऑफ आरा” की कॉस्‍ट्यूम डिजायनर भी हो चुकी हैं छेड़छाड़ की शिकार, बताई आपबीती

निर्देशक अविनाश दास की आगामी फिल्‍म ‘अनारकली ऑफ आरा’ शुरुआत से सुर्खियों में बनी हुई है. फिल्‍म के ट्रेलर ने दर्शकों की उत्सुकता को और बढ़ा दिया है. फिल्‍म में स्‍वरा भास्‍कर ने मुख्‍य भूमिका निभाई है. ‘अनारकली ऑफ आरा’ उन महिलाओं की कहानी है जो दूरस्थ एवं पिछड़े क्षेत्रों में नाच-गाकर अपना गुजर-बसर करती […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | March 21, 2017 4:54 PM

निर्देशक अविनाश दास की आगामी फिल्‍म ‘अनारकली ऑफ आरा’ शुरुआत से सुर्खियों में बनी हुई है. फिल्‍म के ट्रेलर ने दर्शकों की उत्सुकता को और बढ़ा दिया है. फिल्‍म में स्‍वरा भास्‍कर ने मुख्‍य भूमिका निभाई है. ‘अनारकली ऑफ आरा’ उन महिलाओं की कहानी है जो दूरस्थ एवं पिछड़े क्षेत्रों में नाच-गाकर अपना गुजर-बसर करती हैं. भीड़ के बीच नाच गाकर जीवनयापन करनेवाली इन महिलाओं से छेड़छाड़ की घटनाएं आम हैं, लेकिन इनमें से चंद महिलाएं इन ज्यादतियों के खिलाफ आवाज भी बुलंद करती हैं जिसकी कहानी इस फिल्‍म में दिखायी गयी है.

फिल्म में अनारकली यानी स्वरा भास्कर के ड्रेस को लेकर भी चर्चा की जा रही है. स्वरा भास्कर के इस ड्रेस को बिहार के मुंगेर की ही रहने वाली रूपा चौरसिया ने तैयार किया है. हाल ही में रूपा ने एक वेबसाइट bindibottoms से बातचीत में खुलासा किया कि फिल्‍म की शूटिंग के दौरान सेट पर ही उनके साथ बदतमीजी हुई थी.

‘तब अमरोहा में रात को अनारकली की आउटडोर शूटिंग चल रही थी. मेरे साथ ऐसी घटना घटी जिसने मुझे दो चीजों का अहसास कराया. पहला यह कि फिल्‍म जिस मुद्दे की बात करती है वो काल्‍पनिक नहीं है. और दूसरा यह कि जिन लोगों ने यह फिल्‍म बनाई है वह इस विषय को महसूस करते हैं.’

‘हमलोग हाईवे के पास एक छोटे से होटल में रुके थे. मैं रिसेप्‍शन पर कुछ स्‍नैक्‍स लेने के लिए गई. किसी ने मेरा नाम लेकर मुझे पुकारा. मैंने मुड़कर देखा टेक्निकल का सदस्‍य मुझे घूर रहा है. उसे देखकर मैं समझ गई कि वह नशे में है. मैंने उसे नजरअंदाज किया और अपने कमरे की ओर बढ़ गई.’

‘मैंने जैसे ही दरवाजा बंद किया किसी ने दरवाजा खटखटाया. मेरी असिस्टेंट और मैं एक ही कमरे में रुके थे. उसे लगा शायद कोई काम के सिलसिले में मीटिंग के लिए आया है. उसने जैसे ही दरवाजा खोला, सामने तीन लोग थे. उसमें वो सदस्‍य भी शामिल था. वो मेरे असिसटेंट से कह रहे थे कि उसे किसी ‘सर’ ने बुलाया है. मैं उनका इरादा भांप गई और तुरंत उठकर उनके मुंह पर दरवाजा बंद कर दिया. फिर मैंने अपने असिसटेंट डायरेक्‍टर को फोन कर पूरी घटना बताई. वे तुरंत अपनी टीम के साथ वहां पहुंचे. फिर पता चला कि ये तीन लोग तब तक उन सारे कमरों का दरवाजा खटखटा चुके थे जहां महिला टीम ठहरी हुई थी. इसके बाद उन्‍हें सख्‍त हिदायत दी गई और वापस कमरे में भेजा गया.’

‘अगली सुबह फिर शूटिंग शुरू हुई. अचानक मुझे लगा पीछे से किसी ने मुझे छुआ. ये वह सदस्‍य था. उसके चेहरे पर चुनौती देती हुई हंसी थी. वो बुदबुदाया अब बताओ क्‍या कर लोगी तुम. मैं डर गई थी लेकिन मैंले शॉट के खत्‍म होने का इंतजार किया. इसके बाद मैं स्‍वरा भास्‍कर के पास गई और उन्‍हें सारी बात बताई. उन्‍होंने तुरंत एक्‍शन लिया. पूरी टीम मेरे साथ रही. अगर उसके साथ उस वक्‍त कुछ नहीं किया जाता तो उसकी हिम्‍मत बढ़ जाती. स्‍वारा ने प्रोडयूसर को बुलाया और तुरंत उसे टीम से हटवाया.’

बिहार की एक छोटी सी जगह जमालपुर में पली-बढ़ी लढ़की और मजबूती से अपनी बात कहने वाली लड़की का जीवन कभी आसान नहीं रहा. मैंने कभी छींटाकशी करने वालों को चुपचाप बर्दाश्त नहीं किया. पापा अक्‍सर मुझे ऐसे वक्‍त में चुप रहने की सलाह देते थे. वे वे किसी बखेड़े से डरते थे क्योंकि उनका किसी नेता से कोई कनेक्शन नहीं था. पर मैं हमेशा खुद के लिए, दोस्‍तों के लिए, हर वक्‍त खड़ी होती रही, यहां तक की अपनी मां के लिए भी.’

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