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REVIEW ‘बाहुबली द कॉनक्लूजन’ : गलत होते हुुए भी कटप्पा ने किया बाहुबली को मारने का फैसला

फ़िल्म: ‘बाहुबली द कॉनक्लूजन’ निर्माता: करन जौहर एस एस राजामौली निर्देशक : एस एस राजामौली कलाकार : प्रभास,अनुष्का शेट्टी, राणा दुग्गाबाती,राम्या,सत्यराज,तमन्ना भाटिया, रेटिंग चार -उर्मिला कोरी- आखिरकार दो साल का लंबा इंतज़ार खत्म हो गया. आज शुक्रवार को इस सवाल का जवाब मिल ही गया कि आखिरकार कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा. निर्देशक एस […]

फ़िल्म: ‘बाहुबली द कॉनक्लूजन’
निर्माता: करन जौहर एस एस राजामौली
निर्देशक : एस एस राजामौली
कलाकार : प्रभास,अनुष्का शेट्टी, राणा दुग्गाबाती,राम्या,सत्यराज,तमन्ना भाटिया,
रेटिंग चार
-उर्मिला कोरी-

आखिरकार दो साल का लंबा इंतज़ार खत्म हो गया. आज शुक्रवार को इस सवाल का जवाब मिल ही गया कि आखिरकार कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा. निर्देशक एस एस राजामौली की मैग्नम ओपस बाहुबली द कॉनक्लूजन फ़िल्म की शुरुआत के सब टाइटल्स में ही बाहुबली के पहले भाग की कहानी को फिर से दोहरा दिया गया. जिसके बाद कहानी शुरू होती है अमरेंद्र बाहुबली को आखिरकार क्यों कट्टप्पा ने मारा लेकिन इस तक पहुंचने से पहले अमरेंद्र बाहुबली और देवसेना (अनुष्का शेट्टी)की लव स्टोरी को दिखाया जाता है. यही प्रेम कहानी ही मूल रूप से अमरेंद्र बाहुबली की हत्या की नींव रखती है.

राजमाता शिवगामी (राम्या)बाहुबली की हत्या का आदेश देती है और भीष्म की तरह सिंहासन से बंधे कटप्पा गलत सही को जानते हुए भी बाहुबली की हत्या कर देते हैं. शिवगामी ऐसा फैसला क्यों लेती है. यह फ़िल्म देखने पर ही मालूम होगा. आगे की कहानी में अमरेंद्र बाहुबली का पुत्र महेंद्र बाहुबली भल्लाल देव से अपने पिता की हत्या कराने की साज़िश रचने का बदला लेता दिखाया गया है. पिछली कड़ी से ज़्यादा इस बार की कहानी रोचक है. कहानी का ट्रीटमेंट इस तरह से किया गया है. चूंकि सभी को यह जानना था कि कट्टप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा जिसकी वजह से फ़िल्म के पहले दृश्य से ही सभी जुड़ गए थे.

हां अनुष्का और प्रभाष के रोमांटिक सीन की थोड़ी और एडिटिंग होने की ज़रूरत महसूस होती है. फ़िल्म का सेकंड हाफ थोड़ा धीमा ज़रूर बन गया है.विजुवली फ़िल्म के सीन बेहद आकर्षक है. फ़िल्म के हर दृश्य आपको लार्जर देन लाइफ का एहसास मिलता है. जो इस फ़िल्म को और ज़्यादा खास बना देता है. यह भाग भी आंखों के लिए एक ट्रीट है.
फिल्मांकन की जितनी तारीफ की जाये कम है. दृश्यों का संयोजन खास है. अमरेंद्र बाहुबली का एंट्री सीन हो या देवसेना का राज्य बचाने के लिए पिंडारी लोगों से युद्ध वाला दृश्य ऐसे ही दृश्य हैं. फ़िल्म के हर दूसरे सीन में कुछ खास है . यह कहा जाये तो गलत न होगा. हालांकि यह फ़िल्म लार्जर देन लाइफ है लेकिन कुछ दृश्यों में विश्वसनीयता कोसों दूर लगती है. ताड़ के पेड़ के ज़रिए सैनिकों का महिष्मति में प्रवेश करने वाला दृश्य ऐसा ही कुछ था. साउथ के सिनेमा का असर इसे कह सकते हैं.
अभिनय की बात करें तो प्रभाष ने बाहुबली के लार्जर देन लाइफ वाला किरदार बखूबी जिया है. उनका स्क्रीन प्रेजेंस इतना सशक्त है कि आप उनसे आंखे नहीं हटती है. अनुष्का शेट्टी बेहतरीन रहीं हैं. उन्होंने एक योद्धा राजकुमारी की भूमिका को पूरी शिद्दत से निभाया है. राम्या पिछले पार्ट की तरह इस भाग में भी सशक्त राजमाता के किरदार को बखूबी निभाती दिखी. उनसे बेहतरीन इस किरदार में किसी की कल्पना भी नहीं की जा सकती है. कट्टप्पा उर्फ सत्यराज का किरदार इस भाग और ज़्यादा बेहतरीन बन पड़ा है.

वह कॉमेडी करते फर्स्ट हाफ में दिखें है. तमन्ना के लिए फ़िल्म में करने को कुछ खास नहीं था. वह मुश्किल से इस बार स्क्रीन में नज़र आई हैं. राणा दुग्गाबाती अपने प्रभावशाली अभिनय से नफरत पैदा करने में कामयाब रहे हैं .बाकी के किरदार भी अपनी भूमिकाओं में जमे हैं. फ़िल्म के गीत औसत हैं. चूंकि वह डब किये हैं इसलिए कानों को सुकून नहीं देते हैं. फ़िल्म का बैकग्राउंड संगीत उम्दा है. जो कहानी में एक अलग ही जोश भर जाते हैं. कुलमिलाकर एस एस राजामौली की यह मैग्नम ओपस् उम्मीदों पर पूरी तरह से खरी उतरती है.

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