शिव कुमार ‘बटालवी’ पंजाबी भाषा के एक विख्यात कवि थे, जो अपनी रोमांटिक कविताओं के लिए सबसे ज्यादा जाने जाते हैं, जिनमें भावनाओं का उभार, करुणा, जुदाई और प्रेमी के दर्द का बखूबी चित्रण है. उन के पिता पंडित कृष्ण गोपाल गाँव के तहसीलदार थे और माता शान्ति देवी जी घरेलू महिला थीं. उन्हें साल 1967 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया था. खास बात यह भी की कि यह पुरस्कार पाने वाले शिव कुमार बटालवी सबसे कम उम्र के साहित्यकार बन गये. साहित्य अकादमी ने उन्हें यह सम्मान पूरण भगत की प्राचीन कथा पर आधारित उनके महाकाव्य नाटिका लूणा के लिए दिया, जिसे आधुनिक पंजाबी साहित्य की एक महान कृति माना जाता है.
‘पीड़ां दा परागा’ (दु:खों का दुपट्टा) (1960), ‘मैनूं विदा करो’ (मुझे विदा करो)(1963), गजलां ते गीत (गज़लें व गीत), आरती (1971), लाजवंती (1961), आटे दियां चिड़ियां (आटे की गौरैयां) (1962), लूणा (1965), मैं ते मैं (मैं और मैं) (1970, दर्दमंदां दिया आहिन, सोग (शोक) और अलविदा (विदाई) (1974) जैसे कई रचनायें प्रमुख है. उनका एक इंटरव्यू सोशल मीडिया पर मौजूद है जिसमें वे बड़ी खूबसूरती से अपनी बातें कह रहे हैं और अपनी जिंदगी से जुड़े कई पहलुओं के बारे में बता रहे हैं.
साल 2016 में रिलीज हुई फिल्म ‘उड़ता पंजाब’ का गाना ‘इक कुड़ी…’ को शिव कुमार बटालवी ने लिखा है. देखें उनका इंटरव्यू…