परेश रावल ने अरुंधति रॉय पर किए गये अपने ट्वीट पर खेद जताने से किया इनकार
मुंबई: अभिनेता से नेता बने परेश रावल का कहना है कि उन्हें अरुंधति रॉय पर अपने ट्वीट को लेकर कोई पछतावा नहीं है क्योंकि लेखिका उस भारतीय सेना के बारे में गलत बातें कह रही है जो उन पर कभी पलटवार नहीं करेगी. भाजपा सासंद की उस बयान के लिए सोशल मीडिया पर कडी आलोचना […]
मुंबई: अभिनेता से नेता बने परेश रावल का कहना है कि उन्हें अरुंधति रॉय पर अपने ट्वीट को लेकर कोई पछतावा नहीं है क्योंकि लेखिका उस भारतीय सेना के बारे में गलत बातें कह रही है जो उन पर कभी पलटवार नहीं करेगी. भाजपा सासंद की उस बयान के लिए सोशल मीडिया पर कडी आलोचना हुई जिसमें उन्होंने कहा था कि सेना को ‘पथराव करने वाले एक व्यक्ति’ के बजाय रॉय को जीप से ‘बांधना’ चाहिए था. उन्होंने कश्मीर में उस घटना के संदर्भ में यह बात कही थी जहां सुरक्षाबलों ने पथराव करने वालों के खिलाफ कवच के रुप में एक प्रदर्शनकारी का इस्तेमाल किया था.
कई लोगों ने इस ट्वीट को ‘घृणास्पद’ और ‘हिंसा भडकाने’ वाला बताया था. 67 वर्षीय अभिनेता ने तब ट्वीट किया था जब पाकिस्तानी मीडिया ने रॉय की इस टिप्पणी का उल्लेख किया था जिसमें उन्होंने कश्मीर में भारतीय सेना की कार्रवाई की आलोचना की थी. बाद में पाकिस्तान मीडिया की यह खबर फर्जी साबित हुई थी. बहरहाल, रावल ने कहा कि अगर रॉय पर खबर ‘फर्जी’ थी तो भी उन्हें कोई खेद नहीं है. उन्होंने कहा कि अगर उन्हें सेना की जीप से ‘बांधा’ जाता तो पथराव करने वाला कोई भी व्यक्ति उन पर हमला नहीं करता क्योंकि वह उनकी विचारधारा का समर्थन करती है.
रावल ने कहा, ‘उदार सोच वाले लोगों से मुझे इस तरह की प्रतिक्रिया की ही उम्मीद थी. मैं सिर्फ यह जानना चाहता हूं कि जब अरंधति रॉय ने सैन्य कर्मियों के बारे में टिप्पणी की, उस समय किसी ने भी कुछ क्यों नहीं कहा?’ उन्होंने कहा, ‘अगर वह सही हैं तो मैं भी सही हूं. अगर वह अपनी टिप्पणियों के बारे में खेद जताती हैं तो मैं भी खेद जताता हूं. मैं इससे सहमत हूं कि यह खबर फर्जी थी लेकिन उन टिप्पणियों का क्या जो उन्होंने 2002 गोधरा दंगों पर की? अगर आपके पास अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है तो मेरे पास भी है.’
उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत नेताओं की खुले तौर पर आलोचना कर सकता है लेकिन सेना को क्यों निशाना बनाना. रावल ने कहा, ‘अगर आपमें दम है तो ममता बनर्जी (पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री) के बारे में बात करो. चार लोग आएंगे और मुंह तोड देंगे. आप उन लोगों (सेना) के बारे में बात करते हो जो आपकी टिप्पणी के लिए आप पर पलटवार नहीं करते.’
उन्होंने कहा, ‘ये लोग जाते हैं और अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों और मंचों पर बोलते हैं जहां से इन्हें फंडिंग, पुरस्कार मिलते हैं. आपको सम्मान मिलता है तो आप बेफिजूल की बात करते हैं.’ राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता अभिनेता ने कहा कि रॉय को जीप से बांधने की उनकी टिप्पणी के बाद उन्हें समझ नहीं आया कि रॉय ‘महिला कार्ड’ क्यों खेल रही हैं.
उन्होंने कहा, ‘जब हम इसके (रॉय को जीप से बांधने के उनके ट्वीट का जिक्र करते हुए) बारे में बात करते हैं तो आप कहती हैं ‘मैं महिला हूं.’ तब आप महिला नहीं होती जब ऐसी टिप्पणियां करती हैं. मैं इस टिप्पणी के बारे में माफी नहीं मांगता क्योंकि यह मेरे देश, मेरी सेना से जुडा मामला है.’ उन्होंने कहा कि रॉय पर उनकी टिप्पणी शांति का संदेश है.
रावल ने कहा, ‘कल्पना कीजिए अगर अरंधति को बांधा जाए तो कोई पथराव नहीं करेगा क्योंकि वह उनकी शुभचिंतक है, वह उनकी विचारधारा का प्रचार करती है. मैंने तो शांति का कबूतर छोडा है. कौन उन्हें मारेगा? इसलिए इसमें कोई हिंसा नहीं है.’ पुरस्कार विजेता रॉय आतंकवाद प्रभावित इलाकों में भाजपा और सेना की कार्रवाई की कडी आलोचक रही हैं. रावल ने आरोप लगाया कि रॉय जैसे आलोचक तब भी चुप रहते हैं जब पथराव की घटनाओं में 2,500 सैनिक गंभीर रुप से घायल होते हैं.
उन्होंने कहा, ‘तब आप मानवाधिकारों के बारे में बात क्यों नहीं करते. क्या उनका (सैनिकों) परिवार नहीं है? एक सैनिक की मौत होना वास्तविक है. आप इसे देख सकते हैं लेकिन आपके विचार और अभिव्यक्ति काल्पनिक हैं. आप बस यह कहते हैं कि हिंदुओं ने मिजोरम, मणिपुर और नगालैंड समेत देशभर में अत्याचार किए और हर चीज पर कब्जा कर लिया.’ उन्होंने कहा, ‘अमेरिका में पढ रहा मेरा बेटा मुझसे पूछता है कि क्या सब पर कब्जा कर लिया? सोचिए युवा इसके क्या निहितार्थ निकाल रहे हैं. वे आप पर शक करते हैं. यह सेना को हतोत्साहित करता है. मैं खुश हूं कि चर्चा शुरु हो गई है और अगर हिंसा शुरु होती तो मुझे खेद होता. मेरा उद्देश्य यह नहीं था. यह भी नहीं होना चाहिए था.’ यह पूछने पर कि एक नेता के तौर पर उन्हें कौन सी बात परेशान करती है तो उन्होंने कहा, ‘यह है एक स्थिति से निपटते हुए उत्तरदायित्व और मानवता की कमी.’