Amitabh Bachchan: सदी के महानायक अमिताभ बच्चन आज अपना 62 वां जन्मदिन मना रहे हैं. उनके जन्मदिन पर उनके करीबी दोस्त और निर्माता आनंद पंडित बिग बी के साथ अपनी दोस्ती की ख़ास यादों को उर्मिला कोरी के साथ सांझा करते हुए कई रोचक जानकारी शेयर की है
त्रिशूल का मुझ पर ज़बरदस्त प्रभाव हुआ था
हम सभी के जीवन में कोई ऐसा व्यक्ति होता है, जो हमारा फ्रेंड फिलॉस्फर गाइड होता है.जो हमारी जिंदगी में आता है तो हमारी जिंदगी में बहुत ही अच्छे बदलाव शुरू हो जाते हैं. अमिताभ बच्चन का यही स्थान मेरी जिंदगी में है. मैं अहमदाबाद से हूं बचपन से उनकी फिल्में देख-देख कर प्रभावित होकर फिर मुंबई पहुंचा था. उनकी फ़िल्म थी त्रिशूल जिसे मैं काम से कम 50 से 60 दफा देखी होगी. वह भी थिएटर में जाकर देखी थी. उसे फिल्म में मुझे हद से ज्यादा प्रभावित किया था. मैंने भी मुंबई जाने का फ़ैसला किया. पैसे कम थे लेकिन मुझे भी विजय की तरह ख़ु क़िस्मत अपनी लिखनी थी तो मैं मुंबई ऐज़ गया.
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प्रतीक्षा के बाहर उनके दर्शन के लिए मैं खड़ा रहता था
मुंबई आने के बाद मेरे दिनचर्या में शामिल हो गया था कि मैं हर रविवार प्रतीक्षा के बंगले के पास जाऊँ ताकि अपने पसंदीदा स्टार की एक झलक मुझे मिल जाये.उस वक्त मोबाइल फोन तो हुआ नहीं करते थे तो आंखों में ही उनके झलक कैद कर लेते थे. तो आप पहली बार था जब मैं उनको साक्षात अपनी आंखों से देखा था.
सबसे पहले पड़ोसी बना
हमारी बॉन्डिंग की शुरुआत ना तो रियल एस्टेट की वजह से हुई थी ना ही फिल्मों की वजह से. बॉन्डिंग की शुरुआत हमारे आस पड़ोस में रहने से हुई थी. मैंने उनके प्रतीक्षा बंगले के बाजू में एक बंगला खरीदा था. हमारी दीवार एक ही थी. मैंने वह जगह खरीदी थी और उस पर अपना घर बना रहा था. वैसे बताना चाहूंगा कि वह घर मुझे खुद सामने से आकर मिल गया था. एक आदमी मेरे ऑफिस में आया था .उसने कहा था कि मुझे एक बंगला है और मुझे यह बेचना है. मुझे जैसे मालूम पड़ा कि वह बच्चन साहब के बगल में बंगला गई . मैंने उसे बिना देखे ही टोकन मनी दे दिया था ताकि वह बाद में बंगला से इंकार न करें. उसके बाद मैं पड़ोसी होने के नाते बच्चन साहब से मिलने गया. उन्होंने मुझ पर काफी आशीर्वाद रखा. वहां से फिर हमारी बॉन्डिंग चालू हुई. फिर हम रियल स्टेट में जुड़े और फिल्मों में जुड़े.
रियल स्टेट में वह मुझ पर ही भरोसा करते हैं
बच्चन साहब रियल स्टेट में मुझसे मिलने से पहले से ही एक्टिव थे लेकिन इन सालों में उन्हें लगा कि मुझ पर वह सबसे ज्यादा विश्वास कर सकते हैं. इसके बाद उन्होंने मेरे साथ ही इन्वेस्टमेंट चालू किया है.उन्होंने मेरे बहुत सारे प्रोजेक्ट में इन्वेस्ट किया है.
मेरी फ़िल्मों के लिए पैसे नहीं लेते
हमने साथ में सरकार 3 बनाई थी.दो गुजराती फ़िल्में भी की है.इसके साथ ही चेहरे फ़िल्म उन्होंने मेरे लिए की थी. अब तक उन्होंने एक भी पैसा मेरी किसी भी फ़िल्म में नहीं लिया है . सिर्फ़ यही नहीं चेहरे की शूटिंग विदेश में हुई थी . आने जाने का भी खर्च उन्होंने ख़ुद ही दिया था .
बंगला गिफ्ट में दिया था
वह महानायक है . मैं उनको क्या ही गिफ्ट कर सकता हूं. वैसे एक बार जनक और जलसा के बीच में जो उनका एक और बांग्ला है .वह मैंने उनको गिफ्ट किया था. उनको वह बंगला लेने की इच्छा थी तो जैसे ही मुझे मालूम पड़ा ,तो मैं वह उनको गिफ्ट के तौर पर दे दिया था . वो बहुत भावुक हो गये थे . हमारी दोस्ती १५ सालों की है . हम पिछले १५ साल में दो हफ़्ते में एक बार ज़रूर मिलते हैं . फ़िल्म से लेकर हर चीज हम डिस्कस करते हैं .एक बार मैंने अपनी एक फ़िल्म की स्क्रिप्ट उनको भेजी थी . उन्होंने एक रात में ही उसे पढ़कर मुझे उसकी खामियां बता दी थी कि इस पहलू पर और काम होना चाहिए .उनके साथ आगे के काम की बात करूं तो सरकार ४ की स्क्रिप्टिंग चल रही है .इसके अलावा उनके साथ त्रिशूल के सीक्वल को लेकर बात चल रही है.
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