BC aunty के नाम से प्रसिद्ध सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर Snehil Mehra Dixit इन दिनों संजय लीला भंसाली की वेब सीरीज हीरामंडी द डायमंड बाजार को लेकर सुर्खियों में है. दरअसल इस सीरीज से उन्होंने निर्देशिका के तौर पर अपनी शुरुआत की है. इसके साथ ही वह सीरीज की लेखन टीम से भी जुड़ी हैं. इस सीरीज से उनके जुड़ाव और चुनौतियों पर उर्मिला कोरी की हुई बातचीत…
हीरा मंडी में लेखक और फिर निर्देशक के तौर पर किस तरह से एंट्री हुई?
लेखन का मेरा अनुभव काफी सालों का है. मैं 16-17 सालों से काम कर रही हूं. मैं पहले टेलीविजन करती थी, फिर मैंने ओटीटी में एंट्री ली, एकता कपूर से मिली और फिर मैं बालाजी की कंटेंट हेड बन गयी. मैंने उनके लिए बहुत सारे शोज बनाए. इंडस्ट्री में खबर थी कि भंसाली सर हीरा मंडी बना रहे हैं और उनको अपने इस प्रोजेक्ट के लिए एक अनुभवी बंदा चाहिए. मैं उनसे मिली और शुरुआत में एसोसिएट डायरेक्टर के तौर पर शो से जुड़ गई. उन्होंने मेरी राइटिंग स्किल देखी और जो-जो काम मैंने किया है. उसके बारे में जाना. उन्हें मेरी राइटिंग बहुत पसंद आई और भंसाली सर ने मुझे कहा कि तुम आज से राइटिंग टीम से भी जुड़ जाओ. मैं मेहनत किए जा रही थी और सर ने वह चीज नोटिस किया फिर मुझे सीरीज के कुछ एपिसोड में निर्देशन का भी मौका दिया, जो मेरे लिए एक सपने के सच होने जैसा था.
हीरा मंडी जैसे शो में लेखिका और निर्देशिका की दोहरी जिम्मेदारी निभाने का प्रेशर कितना था?
प्रेशर तो बहुत था क्योंकि पहली बार डायरेक्शन जैसी बड़ी जिम्मेदारी उठा रही थी और वह भी ऐसे इंसान के लिए, जो अपने काम के लिए बहुत पैशनेट हैं. वह बहुत हार्ड टास्क मास्टर माने जाते हैं, इसलिए पहले दिन से मैंने तय कर लिया था कि मुझे इस शो में अपना 200% देना है. सर की सभी से एक ही डिमांड होती थी कि सेट के अंदर आपने एंट्री ली तो आपकी पर्सनल लाइफ बाहर ही रह जानी चाहिए. आपका पूरा फोकस सिर्फ काम पर होना चाहिए. सर के साथ मुझे बहुत कुछ सीखने का मौका मिला.मेरी लेखनी पहले से अच्छी हो गयी है.
इतनी व्यस्तता के बीच बीसी आंटी की रील्स को किस तरह से मैनेज किया.
वो मेरी भड़ास निकालने का क्रिएटिव आउटपुट है, तो वो मुझे करना ही है. मैं संजय सर को भी यही बोलती थी कि सर यह मेरा क्रिएटिव आउटपुट है. कुछ फालतू वीडियो बनाती हूं, लेकिन मुझे वह खुशी देते हैं. कई बार 17-18 घंटे काम करने के बाद लेट नाईट पैकअप होता था. उसके बाद भी मैं घर आकर बीसी आंटी का मेकअप करके वीडियो बनाती थी. संजय सर भी कहते थे कि स्नेहिल तुम बहुत ही हिम्मती हो. पूरा दिन सेट पर बिताने के बावजूद तुम अपनी रील का काम भी कर लेती हो. सच कहूं तो मैं कुछ घंटे के लिए ही सोती हूं, तो मेरे लिए काम करने के लिए बहुत वक़्त होता है.
आप एक बच्चे की मां भी है तो ऐसे में कैसे अपने सब कुछ मैनेज किया?
मैं बताना चाहूंगी कि जिस दिन हमारे शूट नहीं भी होते थे. हम ऑफिस में होते थे. आगे के सीन्स कैसे शूट होगा. इसके बारे में डिस्कशन होता था. मेरे परिवार ने बहुत अच्छे से सपोर्ट किया. मेरे पति ने पूरे घर की जिम्मेदारी उठाई थी तो घर को लेकर मैं परेशान नहीं थी. मेरा बेटा 10 साल का है और वह अपनी उम्र के हिसाब से काफी समझदार है. मैं शुरुआत से ही वर्किंग वुमन रही हूं तो वह मेरे काम को समझता है. इंडिपेंडेंस भी बहुत है. मेरी सास भी हमारे साथ रहती हैं. वह भी मुझे सपोर्ट करती हैं. उन सभी की सिर्फ एक ही शिकायत रहती थी कि अब तुम्हारा चेहरा देखने को मिलता नहीं है. तुम सुबह बहुत जल्दी निकल जाती है और रात को देर रात को आती है. वैसे संजय सर ने भी मुझे सपोर्ट किया. जिस दिन सिर्फ ऑफिस में काम होता था. वह मुझे बोलते थे कि तुम जल्दी आज निकल जा वरना तेरा बेटा तेरी शक्ल भूल जाएगा.
क्या संजय सर बीसी आंटी के वीडियो देखते थे ?
हां संजय सर ने मेरे वीडियो देखे थे. मैं कुछ अपलोड करती थी, तो वह ना सिर्फ खुद देखते थे बल्कि दूसरों को भी दिखाते थे कि देखो स्नेहिल ये भी करती है. वो होता है ना, जब क्लास में कोई ऑलराउंडर होता है तो टीचर उसकी तारीफ करते हैं, तो भंसाली सर तारीफ करने में भी कभी पीछे नहीं हटते थे. मुझे हमेशा यह कहते कि सब करो क्योंकि बुढ़ापे में रिटायरमेंट तो होना ही है.
सीरीज को लेकर जो आलोचना हो रही है उसको किस तरह से आप देखती हैं ?
जब मैं कुछ मिनट की रील बनाती हूं, तो भी मुझे यह बात पता होती है कि कुछ लोगों को यह पसंद आएगा या नहीं. हीरा मंडी सर का विजन था. उनके साथ हमें भी पता था कि जब शो आएगा, तो कुछ लोग तारीफ करेंगे और कुछ लोग बोलेंगे क्या बना दिया. मैं इतना ही कहूंगी कि हमने बहुत शिद्दत से अपना काम किया है, जो कहानी थी हमने कह दी. अब दर्शकों की जो राय हो. इस बात को कहने के साथ मैं ये भी कहूंगी कि संजय सर से बड़ा हमारी इंडस्ट्री में कोई निर्देशक नहीं है, जो इस तरह के शोज और फिल्में बना सके. वैसे मौजूदा दौर सोशल मीडिया का है. बुरा बोलकर बड़ा बनने का चलन है, तो हर आलोचना को तवज्जो नहीं दिया जाना चाहिए.
कभी लगा नहीं कि वेब सीरीज में एक्टिंग भी कर लूं?
इस सीरीज में मैं दो डिपार्टमेंट में काम कर रही थी राइटिंग और डायरेक्शन, तो इतना स्कोप ही नहीं था. हालांकि सर बहुत ही खिंचाई करते हुए कहते थे कि कल एक मुजरे पर तुम परफॉर्मेंस करोगी. सेट पर इस तरह की मजाक मस्ती चलती रहती थी. असल में समय नहीं था, लेकिन अगर मौका मिलेगा तो मैं उस कॉस्ट्यूम को पहनकर अपने सारे अरमान निकालना चाहूंगी.
अब कैरियर को किस दिशा में शेप देने की प्लानिंग है ?
अभी तक मेरा संघर्ष जारी था. एकता मैम से बहुत कुछ सीखा. संजय सर से भी बहुत कुछ सीखा. भंसाली स्कूल आफ सिनेमा से पास हो गई हूं. मुझे लगता है कि आप मुझे अपना कुछ खुद का डायरेक्शन में करना है. अब अगला चाहे कुछ भी हो. कुछ बड़ा प्रोजेक्ट हो, छोटा हो लेकिन मैं खुद को एक निर्देशक के तौर पर स्थापित करना चाहूंगी.
एक्टिंग को लेकर क्या सोचा है ?
एक्टिंग के मुझे बहुत सारे ऑफर्स आते रहते हैं, लेकिन मैं उन्हीं चीजों को एक्सेप्ट करती हूं जिसमें मुझे कुछ करने के लिए अलग हो. अभी मेरा एक शो आया है रणनीति करके. उसमें मैंने एक सीरियस इमेज निभाई है, जो मेरी कॉमेडी इमेज से बिल्कुल अलग है. इसके अलावा मैडनेस शो भी कर रही हूं. भविष्य में वही ऑफर्स लूंगी, जो कुछ अलग करने का मौका देगा.
आप कॉमेडियन भी हैं, अक्सर कॉमेडी को लेकर लोग आहत हो जाते हैं, ताजा मामला करण जौहर का है, आपकी क्या राय है?
लोगों को लगता है कि कॉमेडियन संवेदनशील नहीं होते हैं, लेकिन वह बहुत ज़्यादा होते हैं इसलिए वह कॉमेडी कर पा रहे हैं. मैं इतना ही कहूंगी कोई आहत होता है, तो कॉमेडियन को भी बुरा लगता है.