अजय देवगन की फिल्म भोला सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है. इस फिल्म के लेखन से श्रीधर दुबे का नाम जुड़ा हुआ है. फिल्म का स्क्रीनप्ले और संवाद उनके नाम है. अब तक कई फिल्मों और वेब सीरीज में अभिनय कर चुके श्रीधर की यह बतौर लेखक पहली रिलीज फिल्म है. वह बताते हैं कि हम अनुराग कश्यप गैंग से आते हैं. मसान जैसी फिल्में की है. हमने अब तक जो भी फिल्में की है. उसकी रिलीज डेट क्या होगी. हमें नहीं पता होती थी. लेखक के तौर भी कई स्क्रिप्ट लिख चुका हूं, लेकिन सभी अटकी पड़ी हैं, लेकिन भोला पहला मौका था, जब स्क्रिप्ट लिखने के साथ यह तय हो गया कि यह फिल्म इस तारीख को ही रिलीज होगी. इतने बड़े बैनर और सुपरस्टार की फिल्म से पहली बार जुड़ा हूं. उर्मिला कोरी से हुईं बातचीत के प्रमुख…
अजय सर को यूपी बिहार बेस्ड राइटर्स चाहिए थे
इस फिल्म से मैं और मेरे को-राइटर अंकुश के जुड़ने की वजह असीम बजाज हैं. वह इस फिल्म के डीओपी हैं. थिएटर के दिनों से मेरा उनके साथ जुड़ाव रहा है. हाल ही में उनकी पत्नी लीना के लिए हम एक फिल्म लिख रहे है. फिल्म का नाम इलेक्शन है. असीम जी को हमारी राइटिंग पसंद आयी और उस समय अजय देवगन अपनी फिल्म के लिए लिए यूपी-बिहार बेस्ड राइटर ही ढूंढ रहे थे, क्योंकि उनकी इस फिल्म का बेस यूपी ही है. अजय सर से हम मिले, उन्होंने कहा कि आप कैथी फिल्म देखकर आओ और फिर उसको पलट कर कुछ लिखना. उनके इस डायलॉग को हमने ज्यादा ही सीरियस ले लिया. फिल्म की कहानी पूरी तरह से पलट दी. अजय सर को जब उस स्क्रिप्ट की नरेशन दी, तो उन्होंने कहा कि ये कौन सी फिल्म है. कैथी का रिमेक मैं कर रहा हूं. ये सुनकर हम डर गए, फिर वो हंसने लगे, उन्होंने कहा कि तुमलोग नें अच्छा काम किया है. दूसरा लिखकर लाओ. हमने एक महीने बाद फिर से स्क्रीनप्ले को लिखा. एक महीने बाद जब हम मिले, तो उन्होंने कहा कि तेरा पिछले वाले आईडिया में ये-ये सीक्वेन्स अच्छा था, तो उसको इसमें जोड़ दो. हम चकित रह गए कि इनकी क्या मेमोरी है. इस फिल्म के स्क्रीनप्ले में छह महीने लगे,क्योंकि अजय सर का शेड्यूल बहुत बिजी था. वे रनवे में बिजी थे, फिर गंगूबाई की डबिंग में, जिस वजह से वह समय कम दे पाते थे.
भोला टाइटल के लिए पहले बहुत लोग राजी नहीं थे
फिल्म का नाम भोला हो. यह हमने ही सलाह दी थी, लेकिन उस वक्त काफी लोगों नें बोला ये नाम भोजपुरी ज्यादा हो जाएगा. मार्केटिंग टीम की भी यही राय थी. एक दिन मीटिंग में कुछ लोगों ने सवाल उठाया. टाइटल का क्या किया जाए. उन्होंने बोला टाइटल सही है. पोस्टर आएगा कुछ ऐसा साउंड नहीं आएगा. वाकई टाइटल आने के साथ हिट हो गया. कितने लोगों नें इस टाइटल को रजिस्टर्ड करवाया था, लेकिन अजय सर नें कहा सब महादेव करेंगे और यही हुआ भी. टाइटल आखिर हमें ही मिला.
दो मिनट के एक्शन सीन को 14 दिन लगे हैं
इस फिल्म की शूटिंग में 110 दिन लगे हैं. कई एक्शन सीन जो आपको देखने में दो मिनट का लगे, लेकिन उसे फिल्माने में 13 से 14 दिन गए. जो बाईक वाला एक्शन है. वो हैदराबाद में शूट हुआ है, क्योंकि मुंबई में बारिश बहुत हो रही थी, लेकिन जैसे ही हम हैदराबाद पहुंचे. वहां भी बारिश शुरू हो गयी थी. अजय सर का अनुभव ही काम आया. उन्होंने बताया कि मिट्टी में क्या डालेंगे, तो बाईक नहीं फिसलेगी. स्टंट के दौरान फिसले, तो किसी को चोट ना पहुंचे. अपने पिता की वजह से उन्होंने बचपन से एक्शन की ही बातें सुनी है. क्या कैसे होगा, किस तरह से डिजाइन किया जाएगा. क्या सेफ्टी रहेगी. सब पर वो ध्यान देते हैं. सर की सबसे अच्छी बात है कि वह दस से बारह कैमरों के साथ शूटिंग करते हैं. ऐसे में किसी ना किसी कैमरे में मनचाहा शॉट मिल जाता है.
तब्बू के एंट्री सीन में हादसा होने से बचा
तब्बू का एंट्री सीन में विदेशी एक्शन टीम थी. अजय सर के साथ शिवाय में भी वो टीम थी. स्टेरिंग में जो पहिया मुड़ता है.उसमें लॉक होता है. वो लॉक टूट गया था. सीन में आपने देखा होगा गाड़ी पांच बार नाच रही है. उसे दो बार ही नचाना था, उस बन्दे नें गाड़ी को कैसे कंट्रोल किया वही जानता है. वरना एक बड़ा हादसा हो सकता था.
विनीत दादा के जुड़ने से सीक्वल का आईडिया हमारे सामने आया
अजय सर की अच्छी आदत है, वो चीजें जल्दी बताते नहीं है. हमने जब उनको सीक्वल का आईडिया बोला था, तो वो हंसने लगे थे. विनीत दादा के जुड़ने के बाद हमें सीक्वल के बारे में पता चला. दरअसल जब हमने उन्हें बोला कि निठारी के किरदार के लिए विनीत दादा सही रहेंगे. उन्हें याद दिलाने के लिए कहा कि उन्होंने कच्चे धागे में आपके साथ काम किया है. उन्होंने बोला अब तू मुझे विनीत भाई को याद दिलाएगा. अरे वो इतने बड़े एक्टर हैं. वो कहां से आएंगे. रोल उतना बड़ा नहीं है. उनकी बात से समझ आया कि वो थिएटर एक्टर्स का कितना सम्मान करते हैं. मैंने बोला आप बात तो कीजिए. किरदार प्रभावी है. विनीत दादा अगले दिन आए. अजय सर ने मुझे कहा कि तुम नरेशन ही दोगे. मैंने नरेशन दिया. उनकों समझ आ रहा था कि छोटे भाई यानि दीपक का रोल ज्यादा बड़ा है. मैंने मामले को संभालते हुए कहा कि फिल्म में एक तरफ अजय सर की आंखें और एक तरफ आपकी होंगी. अजय सर की वजह से विनीत दादा फिल्म करने को मान गए. अजय सर फिर उनसे मिले और कहा कि तो बस विनीत भाई खेलेंगे आपकी आंखें हमारी आंखे.(हंसते हुए) हम समझ गए अजय सर नें हमारी बात सुन ली थी. विनीत भाई के जाने के बाद उन्होने हमसे कहा कि विनीत भाई आए हैं, तो अब कुछ लिखा जाए. उसके बाद भोला 2 होगा, यह तय हो गया. हमने इसलिए अतीत और भविष्य दोनों के सिरे कहानी में खुले छोड़ दिए.
अजय सर अलग तरह के सुपरस्टार हैं
अजय सर सुपरस्टार हैं. सुपरस्टार्स ऐसे रहते हैं. ऐसा अपना ख्याल रखते हैं, लेकिन अजय सर के साथ हमने ऐसा नहीं देखा. उन्होंने बनारस में शूटिंग पैदल ही चलकर की है. मुंबई के खारघर वाली शूटिंग में वह स्कूटी लेकर निकल पड़ते थे. तेज धूप में बिना सनस्क्रीन लगाए, ऐसे ही निकल पड़ते थे, जबकि बाकी लोग रुमाल से मुंह ढंक लेते थे. उनको कोई फर्क नहीं पड़ता था कि टैन हो रहा हूं या क्या. उनका फोकस बस फिल्म बनाना है.
अजय देवगन फिल्म्स का काम करने का तरीका है हटकर
इंडस्ट्री में हमने लेट पैकअप के किस्से बहुत सुने हैं, लेकिन इस फिल्म के सेट पर कई बार जल्दी पैकअप हो जाता था, तो अगले दिन का काम नहीं, बल्कि सब चिल करते थे. हम शूटिंग में भी शामिल थे, मुझे याद है, पहले दिन शूटिंग शुरू होने वाली थी. फर्स्ट असिस्टेंट डायरेक्टर नें कहा कि कल शार्प साढ़े सात. अजय सर सामने ही थे, उन्होंने कहा कि शार्प क्या होता है. ये स्कूल नहीं है. बोलो साढ़े सात बजे कॉल टाइम है. अब उनकी मर्जी है सवा सात, साढ़े सात या पौने आठ को आए. थोड़ा बहुत आगे पीछे चलता है. अजय सर सेट पर पहले आ जाते थे, कभी किसी को नहीं पूछते कि लेट क्यों हुआ तू मुझसे. इस फिल्म के दौरान मेरा एक्टिंग प्रोजेक्ट फिजिक्स वाला भी चल रहा था. मैं वहां भी जाता था. मेरी सारी टिकट्स अजय देवगन फिल्म्स ही करती थी. वो कभी नहीं बोलते कि वो तो हमारा प्रोजेक्ट नहीं है.
अजय सर ने बनारस की शूटिंग में बेटे युग को बुलाया था
यह बात बहुत कम लोग जानते हैं कि अजय सर नें पहली बार बनारस में शूटिंग की है. उन्हें बनारस इतना पसंद आया कि तीन की शूटिंग को उन्होने सात दिन तक कर दी. उन्होंने युग को मुंबई से बुलाया. बोट पर बनारस के घाटों को उसके साथ घूमते थे. एक बहुत अच्छी तस्वीर ली गयी थी. अजय सर बोट में लेटे हैं और युग उनके ऊपर, नीचे गंगा मां है.
अजय सर के प्रैंक से कोई नहीं बच सकता
अजय सर का प्रैंक इंडस्ट्री में बहुत मशहूर है. हम भी उससे बच नहीं सकें. उनके लिए हर किसी के लिए एक नया प्रैंक होता था. गोवा में वो दृश्यम 2 की शूटिंग कर रहे थे. भोला के सीन्स डिस्कशन के लिए उन्होंने हमें भी बुलाया था. वे पूल में स्विमिंग करने लगे. हमारा भी मन हुआ, उन्होंने बोला आ जाओ. अजय देवगन के साथ स्विमिंग करने का मौका कौन छोड़ सकता है. हम पूल में उतर गए. थोड़ी देर में मुझे कुछ शक हुआ. मैं थोड़ी देर में पूल से निकल गया, लेकिन मेरा को-राइटर नहीं निकले. कुछ समय बाद मालूम पड़ा उनके कपड़े गायब हो गए हैं. होटल वो टॉवेल लपेटकर गया था. एक दिन मेरे साथ भी हुआ, बोले एक किरदार का लुक तय नहीं हो रहा, तुम मूंछ लगाकर थोड़ा मुझे दिखाना. उस दिन 40 अलग-अलग तरह के मूंछे मुझे लगायी गयी. दिन खत्म होने के बाद मालूम हुआ ये प्रैंक था.