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गाना रोक हेलन को देखने लगती थीं आशा भोसले, एक्ट्रेस से कहा था- लड़का होती तो तुमसे शादी कर लेती

Asha Bhosle- बॉलीवुड की बेहतरीन गायिका आशा भोसले ने एक से बढ़कर एक गाने गाए है. उन्होंने अपने सात दशक से भी ज्यादा लंबे करियर में कई अभिनेत्रियों को अपनी आवाज दी है. हाल में आशा ने अपना एक डिजिटल चैनल लॉन्च किया है. इस दौरान उन्होंने एक्ट्रेस हेलन से जुड़ी एक बहुत ही दिलचस्प बात बताई. उन्होंने कहा कि हेलेन उन्हें बहुत पसंद थी.

By Divya Keshri | May 22, 2020 1:26 PM

बॉलीवुड की बेहतरीन गायिका आशा भोसले (Asha Bhosle) ने एक से बढ़कर एक गाने गाए है. उन्होंने अपने सात दशक से भी ज्यादा लंबे करियर में कई अभिनेत्रियों को अपनी आवाज दी है. हाल में आशा ने अपना एक डिजिटल चैनल लॉन्च किया है. इस दौरान उन्होंने एक्ट्रेस हेलन (Helen) से जुड़ी एक बहुत ही दिलचस्प बात बताई. उन्होंने कहा कि हेलन उन्हें बहुत पसंद थी.

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आशा भोसले ने समाचार एजेंसी आईएएनएस से बातचीत में बताया था की उन्हें बॉलीवुड की कैबरे क्वीन कही जाने वाली हेलेन बेहद खूबसूरत लगती थीं. आशा ने बताया कि जब वह रिकॉर्डिंग स्टूडियो में जाया करती थीं तो अक्सर गाना रोककर हेलन को ताकने लगती थीं. उस समय आशा ने हेलन से यह रिक्वेस्ट की थी कि जब रिकॉर्डिंग हुआ करें तो वह स्टूडियो में न आया करें. आशा ने अपने दिल की बात बताते हुए हेलन कहा था कि अगर मैं लड़का होती, तो उनके साथ भाग कर शादी कर ली होती.

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बता दें कि ‘गोल्डन आशा’ के नाम से मशहूर आशा भोसले अब तक 16 हजार से भी ज्यादा गाने गा चुकी हैं. आशा ने फिल्मों में अपना पहला गाना 1948 में गाया था. ‘चुनरिया’ नाम की इस फिल्म में ‘सावन आया रे’ गाना उन्होंने जोहराबाई अंबालेवाली और गीता दत्त के साथ गाया था और यह कोरस में था. लेकिन जल्द ही उन्हें सोलो गाना भी मिल गया. 16 साल की उम्र में उन्होंने ‘रात की रानी फिल्म में ‘हैं मौज में अपने बेगाने’ गीत गाया था. 1957 में उन्हें बड़ा ब्रेक दिया ओ.पी. नैय्यर ने. फिल्म थी ‘तुमसा नहीं देखा’. इसके बाद नया दौर, लाजवंती, हावड़ा ब्रिज और चलती का नाम गाड़ी जैसी फिल्मों ने उन्हें बॉलीवुड में स्थापित करने का काम किया.

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हेलन ने हिंदी सिनेमा में न सिर्फ अपनी जगह बनाई, बल्कि हिंदी सिनेमा की बेहतरीन आइटम गर्ल और अदाकारा के रूप में उभर के आईं. अपनी बेहतरीन आदाकारी और कैबेर डांस के जरिए वो हिंदी सिनेमा की कैबरे क्वीन बन गई. यह कहना गलत नहीं होगा कि वो हेलन ही थीं जिन्होंने भारतीय सिनेमा में कैबेर और बैले का आगाज किया था. हेलेन को 1979 में महेश भट्ट की फिल्म लहू के दो रंग के लिए उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के पुरस्कार से नवाजा गया.

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