Exclusive: मैं जब छोटी थी तब पापा कहते थे कि मेरी बेटी पुलिस ऑफिसर बनेगी- सोनाक्षी सिन्हा
सोनाक्षी सिन्हा ने दहाड़ को लेकर बताया कि उनके माता-पिता का क्या रिएक्शन है. एक्ट्रेस ने कहा कि, वह शो को देखने के लिए ट्रेलर लॉन्च के बाद से ही काफी उत्साहित थे. मेरे मम्मी पापा ने हमेशा मुझे प्रोत्साहित किया है. मेरे पापा ने कहा कि तुम्हें जो पसंद है वह करो, उन्हें मेरे काम पर गर्व है.
अभिनेत्री सोनाक्षी सिन्हा इन दिनों अमेजॉन प्राइम वीडियो की वेब सीरीज दहाड़ में पुलिस ऑफिसर की भूमिका में नजर आ रही हैं. इस सीरीज से सोनाक्षी ने ओटीटी में अपनी शुरुआत की है. उनकी इस वेब सीरीज, उनकी प्राथमिकताओं सहित कई पहलुओं पर बातचीत के प्रमुख अंश.
दहाड़ को लेकर आपके माता – पिता का क्या रिएक्शन है?
वह शो को देखने के लिए ट्रेलर लॉन्च के बाद से ही काफी उत्साहित थे. मेरे मम्मी पापा ने हमेशा मुझे प्रोत्साहित किया है. मेरे पापा ने कहा कि तुम्हें जो पसंद है वह करो, उन्हें मेरे काम पर गर्व है. हालांकि जब मैं छोटी थी, तो वह कहते थे कि मेरी बेटी एक दिन पुलिस अफसर बनेगी. इसके बावजूद जब मैं कपड़े डिजाइन कर रही थी,तो वे उससे भी खुश थे और फिर मैं एक्ट्रेस बन गयी,तो भी उन्होंने मेरा साथ दिया. जिस दिन मैंने इस सीरीज की शूटिंग शुरू की. उस दिन मैंने वर्दी पहनी और उन्हें एक तस्वीर भेजी और कहा कि आपकी बेटी अब एक पुलिस अधिकारी बन गयी है. आपके सपने सच हो गए हैं.
अकीरा और फ़ोर्स के बाद आप इस सीरीज में भी एक्शन कर रही हैं?
मुझे एक्शन फिल्में करना पसंद है. इसके लिए आप ट्रेनिंग करते है. जिसमे कुछ नया सीखने को हमेशा मिलता है. दहाड़ ने मुझे ऑन स्क्रीन बाइक चलाने का मौका दिया. जूडो और एक नयी भाषा सीखी. आप इस प्रोसेस को एन्जॉय करते हैं क्योंकि आपको बहुत सी नई चीजें सीखने को मिलती हैं. मैंने हाल ही में अपने लिए एक नई बाइक खरीदी है, हालांकि इससे मेरे मम्मी पापा चिंतित हो जाते हैं, क्योंकि मैं कई बार रात में निकल जाती हूं. रात में ही मैं आराम से ड्राइव कर सकती हूं. वैसे मैं अच्छी राइडर हो गयी हूं, तो इसका फायदा ये हुआ है कि दहाड़ की शूटिंग के दौरान बाइक के स्टंट सीन बॉडी डबल के बजाय मुझसे करवाएं हैं. रीमा कागती को लगता था कि स्टंट वुमन से अच्छी मैं बाइक चला रही हूं.
जब इस तरह की वुमन बेस्ड शो ऑफर होते हैं , तो अच्छा करने क दबाव बढ़ जाता है?
मैं बहुत शांत व्यक्तित्व रखती हूं. मेरा मानना है कि जब आप चीजों को शांति से हैंडल करते हैं,तो यह आपके काम में दिखता है. यदि आप अपने काम से दबाव और तनाव लेते हैं, तो यह आपको और आपके काम को प्रभावित करता है इसलिए मैं शांत रहने मे यकीन हूं. मैं हर प्रोजेक्ट को अपना पहला फिल्म मानती हूं. मैं हर प्रोजेक्ट का एन्जॉय हूं और कड़ी मेहनत करती हूं.
ओटीटी को क्या आप इसे सेफ जोन मानती हैं?
यह एक अलग जोन है. एक्टर ही नहीं,प्रोड्यूसर्स के लिए सुरक्षित है. कलेक्शन का दबाव नहीं है. अगर सीरीज अच्छा करती है,तो सभी के लिए यह फायदेमंद होता है. कोविड के बाद एक फलता-फूलता प्लेटफार्म है. यहां बहुत कंटेंट है. लोग प्रयोग कर रहे हैं और सभी को काम मिल रहा है. रंगमंच का भी अपना आकर्षण है और सिनेमाघर का अलग. हम सिनेमाघरों में ऐसी फिल्में देख सकते हैं, जहां पूरे परिवार और दोस्तों के साथ आप जा सकते हैं. हमारे पास अब इतनी विविधता है.
पिछले कुछ समय से आप ज्यादा काम नहीं कर रही हैं, इसकी क्या वजह है?
पिछले कुछ समय से मैं जो भी स्क्रिप्ट पढ़ रही थी, उसमें मजा नहीं रहा था. सबकुछ दोहराव और नीरस जैसा ऑफर हो रहा था, जिसके बाद मैंने फैसला किया कि मैं अब तभी कोई प्रोजेक्ट करूंगी, जब कुछ चुनौतीपूर्ण और दिलचस्प किरदार सामने आएगा. दहाड की स्क्रिप्ट जब मुझे ऑफर हुई, तो उसे पढ़कर हिल गयी थी और मैंने तुरंत इसके लिए हां कह दिया. इतने मजबूत किरदार को निभाना बहुत संतोषजनक था. एक अनुभव के तौर पर यह सबसे अच्छा अनुभव कह सकती हूं.
क्या कमर्शियल सिनेमा से दूरी बनाने वाली हैं?
बात दूरी की नहीं है, ना ही शिकायत की है. जब मैं इंडस्ट्री में आयी. दबंग बहुत बड़ी कामयाब फिल्म रही थी. जिसके बाद मुझे एक के बाद एक कमर्शियल फिल्मों के ऑफर्स मिलते चले गए. कमर्शियल सिनेमा ने मुझे मेरे अपने दर्शक दिए. जिसने मुझे बहुत आत्मविश्वास दिया. मैंने उस फेज को एंजॉय किया. अब मैं वही भूमिकाएं नहीं कर सकती हूं, जो मैंने दस साल पहले किए हैं. मैं अलग तरह के अब किरदार करना चाहती हूं. मुझे लगता है कि एक एक्टर की यही ताकत होती है.
असल जिंदगी में आपको ताकत कहां से मिलती है?
मेरी ताकत मेरे माता-पिता दोनों से आती है. मेरे पिता मुझे आत्मविश्वास और प्रोत्साहन देते हैं और मेरी मां मुझे वह समर्थन देती है. जिसकी हर लड़की को जरूरत होती है. मैं ऐसे माता-पिता को पाकर खुद को लकी महसूस करती हूं.